एलिस मुनरो: खून बेचकर पढ़ती रहीं, कहानी लिखी तो नोबेल मिल गया
मुनरो ने अपने जीवन में हर किसी के लिए लिखा - जिसने अफसोस की तेज धार को रोजमर्रा के दर्द में बदल लिया है. जो प्यार से इतना दूर रहा, कि उसके होने की गुंजाइश उसे हैरान कर देती है. 13 मई 2024 को उनका निधन हो गया.
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