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अग्निवीर स्थायी काडर में गए, तो आधी हो जाएगी सेवा निधि और छुट्टी एक तिहाई

अग्निपथ योजना के तहत भर्तियों के लिए आर्मी ने आज अधिसूचना की जारी.

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इस स्कीम के तहत युवाओं को 4 साल की अवधि के लिए सशस्‍त्र सेनाओं में भर्ती किया जाएगा(सोर्स-इंडिया टुडे)
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20 जून 2022 (Updated: 20 जून 2022, 23:26 IST)
Updated: 20 जून 2022 23:26 IST
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अग्निपथ योजना और उसपर युवाओं की प्रतिक्रिया को लेकर सरकार ने कितनी तैयारी की थी, वो हमने बीते दिनों में देख लिया. लेकिन 19 जून को तीनों सेनाओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस ने इतना तो साफ कर ही दिया कि अग्निपथ को लेकर सरकार का रुख क्या है. आज सेना ने पहली भर्ती के लिए नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया. अग्निपथ योजना को लेकर युवाओं का गुस्सा कम हुआ या नहीं, इसका उत्तर निबंधात्मक है. लेकिन हिंसक प्रदर्शनों और उपद्रवों में अब कमी आ गई है. लगातार हुए उपद्रव और आगज़नी के बाद अलग-अलग राज्यों में प्रशासन ने आज के लिए तैयारी करके रखी थी. क्योंकि आज के लिए भारत बंद का कॉल दिया गया था.

उपद्रव का सबसे बड़ा खामियाज़ा भारतीय रेल को भुगतना पड़ा है. अलग-अलग ज़ोन और डिविज़न में 5 दिनों के दौरान हुए प्रदर्शन के चलते हुए नुकसान का आकलन अभी चल रहा है. लेकिन ये तय है कि कुल रकम हज़ारों करोड़ में होगी. उग्र प्रदर्शनों की आशंका के चलते भारतीय रेल ने आज पूरे देश में 500 जोड़ी गाड़ियों को रद्द कर दिया. इसके चलते यात्री जहां-तहां फंसे रहे.  

सबसे उग्र प्रदर्शन और आगज़नी बिहार में ही देखने को मिली. इसे देखते हुए बिहार सरकार ने आज 20 ज़िलों में इंटरनेट सेवाओं को बंद रखा. पड़ोसी झारखंड में भी 20 जून के रोज़ स्कूल्स को बंद रखा गया. राजधानी दिल्ली और हरियाणा में आज भी छुटपुट प्रदर्शन दर्ज किए गए. राजधानी में कांग्रेस ने जंतर मंतर पर अग्निपथ के खिलाफ सत्याग्रह का आह्वान किया था. पार्टी ने देश के अलग-अलग हिस्सों में प्रदर्शन भी किए. राजधानी में पुलिस ने एक दिन पहले ही बंदोबस्त लगा दिया था और कई रास्तों को डायवर्ट कर दिया था. इसके चलते ट्रैफिक की रफ्तार सुस्त रही.

सेना ने क्या कहा?

19 जून को तीनों सेनाओं की एक प्रेस कॉन्फेंस में अग्निपथ को लेकर सवालों के जवाब दिए गए. प्रदर्शनकारियों को ये संदेश दिया गया कि हिंसा के रास्ते पर चलने वालों के लिए सेना में कोई जगह नहीं है. और ये भी, कि योजना अब वापस नहीं होगी.

ये बात सभी जानते हैं कि एक बार भर्ती शुरू हो जाने के बाद कोई प्रदर्शनों में शामिल होने का खतरा मोल नहीं लेगा. क्योंकि अभ्यर्थी रैलियों और एडमिट कार्ड के चक्कर में लग जाएंगे. इसीलिए तीनों सेनाएं भर्ती को लेकर फुर्ती से काम कर रही हैं. अग्निपथ योजना के तहत भर्तियों के लिए थलसेना ने आज अधिसूचना जारी भी कर दी. दर्शक जानते ही हैं कि अधिसूचना किसी भी भर्ती के लिए पहला कदम होता है. इसमें वो सारे नियम और कायदे लिखे होते हैं, जिनके तहत भर्ती होगी. हम इस अधिसूचना की मोटी मोटी बातों कुछ इस तरह हैं-

> ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा. JOININDIANARMY.NIC.IN पर जुलाई 2022 से संबंधित आर्मी रिक्रूटमेंट ऑफिस द्वारा रजिस्ट्रेशन लिंक जारी कर दिया जाएगा.  

> अग्निवीर भर्ती में भी कई वर्ग होंगे -

- अग्निवीर जनरल ड्यूटी 
- अग्निवीर टेक्निकल
- अग्निवीर टेक्निकल (एविएशन/एम्युनिशन एग्ज़ैमिनर)
- अग्निवीर क्लर्क/स्टोर कीपर टेक्निकल 
- अग्निवीर ट्रेड्समैन 10 वीं पास
- अग्निवीर ट्रेड्समैन 8 वीं पास

> अभ्यर्थियों को पंजीकरण के बाद एडमिट कार्ड डाउनलोड करना होगा. इसे वो रैली स्थल अपने साथ ले जाएंगे. इन सबके लिए तिथियों का ऐलान अलग से होगा.

> उम्र का निर्धारण 1 अक्टूबर 2022 के हिसाब से होगा. इस साल भर्ती 17.5 से 23 साल के अभ्यर्थियों के लिए खुली है.

> रैली स्थल पर एडमिट कार्ड के साथ 20 पासपोर्ट साइज़ तस्वीरें ले जानी होंगी. सफेद बैकग्राउंड पर तस्वीर खींची जाए, बाल कटे हों और दाढ़ी बनी हो. बालों के मामलों में सिख अभ्यर्थियों को छूट रहेगी. साथ में पढ़ाई से जुड़े दस्तावेज़ जैसे मार्कशीट भी ले जानी होंगी. साथ में डोमिसाइल सर्टिफिकेट, कास्ट सर्टिफिकेट, कैरेक्टर सर्टिफिकेट, अनमैरिड सर्टिफिकेट इत्यादि भी चाहिए होंगे. सबसे ज़रूरी चीज़ - आधार कार्ड अवश्य ले जाएं. ये रैली स्थल पर चेक होगा.

> रैली में वही शामिल हो सकेंगे, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की दोनों खुराकें ले ली हों.

> बोनस मार्क्स के लिए अगर NCC या स्पोर्ट्स सर्टिेफिकेट लगाने वाले हों, तो इन्हें रैली स्थल पर ही लाएं. बाद में इनपर ध्यान नहीं दिया जाएगा.

> फिज़िकल टेस्ट में पास होने के बाद मेडिकल जांच होंगी. इसके बाद कॉमन एंट्रेंस एग्ज़ामिनेशन CEE होगा. इसके लिए एडमिट कार्ड रैली स्थल पर ही दे दिए जाएंगे.

> सेवा के दौरान अग्निवीरों को नियमित मेडिकल चेकअप, फिज़िकल, लिखित परीक्षाओं और फील्ड टेस्ट्स से गुज़रना होगा. इनमें प्रदर्शन को स्थायी काडर में नियुक्ति के वक्त देखा जाएगा.

> अग्निवीरों को पेंशन, ग्रैचुटी, भूतपूर्व सैनिकों के लिए दिए जाने वाली बीमा पॉलिसी (ECHS), कैंटीन या दूसरी सुविधाएं नहीं मिलेंगी. न ही भूतपूर्व सैनिक माना जाएगा.

> मेडिकल ब्रॉन्च में टेक्निकल काडर को छोड़कर सारे सैनिक अग्निपथ के ज़रिए ही लिए जाएंगे.

> अग्निवीरों को एक साल में 30 दिन की छुट्टी मिलेगी. स्वास्थ्य कारणों के चलते छुट्टी डॉक्टरी सलाह पर मिलेगी.

> स्थायी काडर में नियुक्ति अग्निवीर का अधिकार नहीं होगा. ये सेना के अधिकार क्षेत्र का विषय होगा. सेना मौका सबको देगी. सेना की ज़रूरतों के मुताबिक 25 फीसदी तक अग्निवीरों को स्थायी काडर में लिया जाएगा.

> जो अग्निवीर स्थायी काडर में लिए जाएंगे, उन्हें सेवा निधि का उतना ही हिस्सा मिलेगा, जो उनकी तनख्वाह से कटा होगा. साथ में ब्याज. इसे ऐसे समझिए कि जो अग्निवीर सेना से बाहर होंगे, उन्हें करीब साढ़े 11 लाख मिलेंगे. इसमें से आधा पैसा तनख्वाह से कटा होगा और आधा सरकार अपने पास से देगी. लेकिन जो अग्निवीर स्थायी काडर में शामिल होंगे, उन्हें साढ़े पांच लाख के लगभग ही मिलेंगे. मतलब सरकार वाला हिस्सा नहीं मिलेगा.

> 4 साल के सेवाकाल को बीच में अपनी मर्ज़ी से छोड़ने वाले अग्निवीरों को भी सेवा निधि का वही हिस्सा मिलेगा, जो तनख्वाह से कटा होगा. सरकार वाला हिस्सा नहीं मिलेगा.

> अग्निवीरों को महंगाई भत्ता या मिलिट्री सर्विस पे नहीं मिलेंगे. उनकी तनख्वाह अलग पैकेज के तहत ही रहेगी.

> अग्निवीरों को 48 लाख का मुफ्त बीमा मिलेगा. वो आर्मी ग्रुप इंशयोरेंस फंड AGIF के तहत लाभ नहीं ले पाएंगे.

> सेवारत सैनिकों, भूतपूर्व सैनिकों और वीर नारियों के बेटों को ऊंचाई में 2 सेंटीमीटर, सीने में 1 सेंटीमीटर और वज़न में 2 किलो की छूट मिलेगी.

> वीर नारियों के दत्तक पुत्रों और पुत्र न होने पर दामाद को भी ये छूट मिलेगी. बशर्ते गोद लेने की प्रक्रिया सैनिक के जीते जी पूरी हो गई हो.

हमने यहां मुख्य बातें ही बताई हैं. अभ्यर्थियों को हमारी सलाह है कि वो पूरी अधिसूचना अपने से भी पढ़ें. थलसेना की ही तरह वायुसेना और नौसेना भी जल्द ही भर्ती की अधिसूचना निकालने वाले हैं.

अग्निपथ पर शुरू हो गई राजनीति 

अग्निपथ को लेकर राजनीति हो रही है. कांग्रेस के प्रदर्शन के बारे में हमने आपको बता दिया. अब प्रधानमंत्री की बात करते हैं. अग्निपथ को लेकर हो रहे विरोध प्रदर्शनों को लेकर आज पहली बार प्रधानमंत्री ने अपनी चुप्पी तोड़ी. वो कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरू में थे. यहां उन्होंने विकास योजनाओं के उद्घाटन के साथ-साथ एक रैली को संबोधित भी किया. उन्होंने कहा, 

"पिछले आठ सालों में देश के लिए विकास की राह पर चलना आसान नहीं था. कई फैसले तात्कालिक रूप से अप्रिय लग सकते हैं, लेकिन समय के साथ उन रिफॉर्म्स का लाभ देश अनुभव करता है. रिफॉर्म का रास्ता ही हमें नए लक्ष्यों की तरफ ले जाता है."

प्रधानमंत्री ने अग्निपथ का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनके बयान का मतलब अग्निपथ को लेकर हो रहे विरोध के संदर्भ में ही निकाला गया. खबर है कि 21 जून को प्रधानमंत्री तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ एक बैठक भी करेंगे. प्रधानमंत्री की बात चली ही है, तो आपको कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुबोध सहाई की एक टिप्पणी भी सुनवा देते हैं, जिसपर विवाद होना तय है,

"मुझे तो लगता है, कि इसने हिटलर का सारा इतिहास पार कर लिया है. हिटलर ने भी ऐसी ही एक संस्था बनाई थी." 

सुबोध सहाई ने अपने भाषण में आगे कहा कि अगर मोदी हिटलर की राह पर चलते हैं तो उनकी मौत हिटलर कि तरह ही होगी. सुबोध के बयान पर भाजपा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा, 

"इस देश में कौन हिटलर रहा है और किसने आपातकाल लगाया था, ये पूरे देश ने देखा है. लेकिन यहां सवाल ये पैदा होता है कि ये सारी बातें संयोग है , या ये सोच-समझा साजिशन प्रयोग है."

सेना से बाहर होने वाले अग्निवीर क्या करेंगे, इसके लिए सरकार ने ऐलानों की झड़ी लगा दी है. केंद्र की तरफ से गृह मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय ने अपने यहां होने वाली भर्तियों में अग्निवीरों को वरीयता देने का वादा किया है. शहरी विकास मंत्रालय और पेट्रोलियम मंत्रालय ने भी अपने यहां अग्निवीरों के लिए जगह बनाने का आश्वासन दिया है. अनेक राज्यों ने अपने यहां पुलिस भर्ती में वरीयता की बात कही है. इस बीच भूतपूर्व सैनिकों के लिए पहले से चल रही योजनाओं का क्या हाल है, ये समझना ज़रूरी हो जाता है. दर्शक जानते ही हैं कि भूतपूर्व सैनिकों को सरकारी भर्तियों में पहले से वरीयता मिली हुई है. हर भर्ती में तय संख्या में पद आरक्षित होते हैं. क्या इन सुविधा का लाभ भूतपूर्व सैनिकों को मिल रहा है. इस सवाल का जवाब खोजती हुई एक रिपोर्ट अंग्रेज़ी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में छपी है. हरिकिशन शर्मा की ये रिपोर्ट बताती है कि भूतपूर्व सैनिकों के पुनर्वास के नाम पर दिए गए कोटा सिस्टम का हाल क्या है. हरिकिशन ने अपनी रिपोर्ट में डायरेक्टोरेट जनरल रीसेटलमेंट DGR के हवाले से 20 जून 2021 तक के आंकड़े दिए हैं. DGR, रक्षा मंत्रालय के मातहत काम करता है.

रिपोर्ट के अनुसार केंद्र सरकार में ग्रुप सी के 10 फीसदी और ग्रुप डी के 20 फीसदी पद भूतपूर्व सैनिकों के लिए आरक्षित हैं. लेकिन ग्रुप सी में उनकी संख्या सिर्फ 1.29 फीसदी है और ग्रुप डी में उनकी संख्या महज़ 2.66 फीसदी है. ये आंकड़े केंद्र सरकार के 77 में से 34 विभागों के हैं. सिर्फ एक विभाग है, जहां भूतपूर्व सैनिकों का पुनर्वास तय कोटे के करीब नज़र आता है - सरकारी बैंक. यही वजह है कि पुनर्वास को लेकर सरकार और कॉर्पोरेट अब जो दावे कर रहे हैं, उन्हें लेकर लगातार सवाल पूछ जा रहे हैं. महिंद्रा ग्रुप के आनंद महिंद्रा का उदाहरण हमारे सामने है, जिन्हें टैग करके पूछा जा रहा है कि अब तक आपने कितने फौजियों को नौकरी दी.

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