The Lallantop
Advertisement

लता ने पल्लू खोंसा और बोलीं, 'दोबारा दिखा तो गटर में फेंक दूंगी, मराठा हूं'

जानिए लता मंगेशकर के उस रूप के बारे में, जिससे बहुत कम लोग परिचित हैं.

Advertisement
Img The Lallantop
pic
कुलदीप
28 सितंबर 2021 (Updated: 27 सितंबर 2021, 04:45 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share
ग़ुलाम अली ग़ज़ल गा रहे थे. अचानक ठहरे और कहने लगे, 'माफ कीजिएगा, सुर ज़रा बहक गया था.' गले को भरोसा देकर वो फिर शुरू हुए और गाना पूरा किया.
इन गुलाम अली के गुरु थे, बड़े गुलाम अली साहेब. आज भी वो उनका नाम लेने से कतराते हैं. लेना पड़े तो कान पर हाथ लगा लेते हैं. तो जो गुलाम अली के गुरु थे, बड़े गुलाम अली खां साहेब, उन्होंने लता मंगेशकर के बारे में एक बात कही थी, 'कम्बख़्त ग़लती से भी बेसुरी नहीं होती!'
इस एक पंक्ति में आप इस करिश्माई गायिका के लिए एक उस्ताद फनकार का प्रशंसा मिश्रित स्नेह देख सकते हैं. आप अपनी अगली पीढ़ी से फख़्र से कह सकते हैं कि आपने लता ताई को अपनी आंखों से देखा था.
दूरदर्शन देखा होगा तो महाभारत में 'मैं समय हूं' वाली आवाज याद होगी. वो हरीश भीमाणी की आवाज थी. हरीश ने 21 देशों के 53 शहरों में लता मंगेशकर के 123 प्रोग्राम का संचालन किया था. बाद में उन्होंने इन अनुभवों पर डायरी लिखनी शुरू कर दी. इसी डायरी के हिस्से को उन्होंने बाद में एक किताब के तौर पर छापा. नाम था, 'इन सर्च ऑफ लता मंगेशकर.'
आज लता मंगेशकर को इसी किताब के कुछ हिस्सों से याद करते हैं:

1

पूरा गोवा खरीदना चाहते थे लता के पापा

इंदौर में जब लता का जन्म हुआ था तो मास्टर दीनानाथ कामयाबी के चरम पर थे. उस समय उन्हें मराठी मंच का सबसे पॉपुलर सिंगर-एक्टर माना जाता था. सांगली की एक गली में उन्होंने 13 कमरों वाला दोमंजिला महल सरीखा घर बनाया था. इस गली को बाद में 'दीनानाथ रस्ता' कहा जाने लगा. नागपुर से लेकर खानदेश तक के हर बैंक में उनके नाम का खाता था. उनकी एक स्टेज परफॉर्मेंस की लागत उन दिनों में भी चकरा देने वाली रकम थी- 70 हजार रुपये.
पिता दीनानाथ.
पिता दीनानाथ.
मास्टर दीनानाथ के पास गोवा में आम और काजू के बाग थे. ये जानकर बहुत सारे लोग चौंकेंगे, लेकिन सच है कि उस वक्त उन्होंने एक पहाड़ी 2 लाख रुपये में खरीद रखी थी. उनका सपना था, 'अगर देवी लक्ष्मी मुझ पर इसी तरह प्रसन्न रहीं तो 50 साल की उम्र तक मैं पूरा गोवा प्रदेश पुर्तगाली घुसपैठियों से खरीद लूंगा.'

2

6 महीने की उम्र में संगीत से प्यार?

मंगेशकर परिवार मानता है कि लता ने अपने संगीत की तरफ रुझान का संकेत बोल फूटने से पहले ही दे दिया था. दीनानाथ मंगेशकर पोर्च में बैठकर सारंगी बजा रहे थे तभी उनकी नजर नन्ही लता पर गई. 6 महीने की वो बच्ची मुट्ठी भर मिट्टी अपने मुंह में डालने ही वाली थीं. उन्होंने सारंगी उठाकर उसे प्यार से झिड़कना चाहा. लेकिन वे हैरान रह गए जब उस बच्ची ने सांरगी के तार को ठीक उसी तरह छेड़ दिया, जिस तरह वे बजा रहे थे. 'ये लड़की अद्भुत है!'- पिता नि:शब्द थे.
लता.
लता.

3

तीन दर्दनाक महीने

5 साल की उम्र में लता को भयंकर चेचक हो गई थी. हर किसी को आशंका थी कि वह चल बसेगी या फिर उसका चेहरे से दाग कभी नहीं जाएंगे. घावों में मवाद पड़ गया था और जरा भी मौका लगने पर कीड़े बच्ची पर हमला कर देते. उसकी मां या तो उसे केले के पत्तों पर लिटाती या उनको लपेट देती और उसे धीरे-धीरे हिलाती. जब मां उसे लोरियां सुनाती तो रोती-कराहती बच्ची अकसर उनका साथ देती थी. डॉक्टरों को उसकी आंखों की रोशनी जाने का डर था. इस भयंकर बीमारी की चपेट में वो पूरे तीन महीने रही. जब वो ठीक हो गईं तो उनके पिता ने बाजे वालों को बुलाया. मां ने अनाज-नारियल औऱ महंगी साड़ियां शगुन के तौर पर बांटी और बेटी का पुनर्जन्म मनाया.

4

मधुबाला की शर्त!

तब फिल्म इंडस्ट्री के बाहर लोग यही सोचते थे कि म्यूजिक डायरेक्टर ही सिंगर चुनते हैं. लेकिन ये काम तब एक्टर और एक्ट्रेस भी करने लगे थे. लता ने एक टीवी इंटरव्यू में कहा था, 'मधुबाला जो कॉन्ट्रैक्ट करती थीं, उसमें ये शर्त भी होती थी कि उन पर जो भी गाने फिल्माए जाएंगे उन्हें मैं ही गाऊंगी.'
5

हरीश भीमाणी ने एक जलनखोर प्लेबैक फीमेल सिंगर के बारे में भी लिखा, जिसने लता के बारे में एक बात कही थी. हरीश के मुताबिक, वो उस महिला के पास रेडियो इंटरव्यू के लिए टेप रिकॉर्डर लेकर गए थे.
लता के बारे में एक नाजुक सवाल का जवाब देने से पहले उन्होंने कहा, 'अगर आप किसी मैगजीन से होते तो मैं बहुत कुछ कहती. क्योंकि छपे हुए शब्दों का खंडन कभी भी किया जा सकता है. लेकिन यहां मेरी आवाज़ पहचान ली जाएगी.' ये कहने के बाद वे एक असहज हंसी हंसने लगी!
हरीश ने लिखा, 'मैं उस कलाकार का नाम यहां लिख सकता था, लेकिन वो इस बात से मुकर भी सकती थी.'

5

कविता कृष्णमूर्ति को इस तरह चौंकाया!

एक दिलचस्प किस्सा कविता कृष्णमूर्ति का भी है. 1982 के आस-पास कविता ने बप्पी लहरी के लिए एक डबिंग आर्टिस्ट के रूप में राजकुमार कोहली की एक फिल्म के लिए एक गाना गाया था. उन्हें अच्छी तरह मालूम था कि बाद में ये गाना किसी पॉपुलर सिंगर की आवाज में रिकॉर्ड किया जाएगा. कविता ने बताया, 'मुझे फिल्म का नाम याद नहीं, पर वो गीत था, 'ओ मेरे सजना' और वो शिवरंजनी राग में था. मुझे अपनी फीस मिली और मैं इस बारे में भूल गई. बाद में मैंने एक तमिल मैगजीन में पढ़ा कि बप्पी लहरी के इस गाने की रिकॉर्डिंग के लिए लता मंगेशकर गई थीं और कविता कृष्णमूर्ति की आवाज़ में डब किया गया गाना सुनने के बाद उन्होंने उसे रिकॉर्ड करने से मना कर दिया.'
कविता सन्न रह गईं. उन्हें लगा कि ठीक है, हमें लीड सिंगर के तौर पर मौका नहीं मिलता. लेकिन क्या इसका ये मतलब है कि हमसे 'डब' करने वाले गाने भी छीन लिए जाएंगे. लेकिन कुछ दिनों में उन्होंने यही खबर एक हिंदी मैगजीन में डिटेल में पढ़ी.
लता स्टूडियो पहुंचीं, गीत पढ़ा, धुन सुनी और फिर डब किए हुए गीत को सुनने की इच्छा जताई. वो गीत सुनने के बाद उन्होंने कहा, 'इस लड़की ने तो कमाल कर दिया है. फिर आप मेरी आवाज में क्यों रिकॉर्ड करना चाहते हैं?'
कविता को यकीन ही नहीं हो रहा था. वे हैरत में पड़ गईं, 'क्या एक बेस्ट सिंगर के कहने पर एक नए कलाकार को मौका मिल सकता है?'

6

उसने कहा, 'लता, तुम सफेद चादर लपेटकर क्यों चली आती हो?'

1940 के दशक में म्यूजिक की दुनिया में जीएम दुर्रानी का जलवा था. उस दौर में कोई नया म्यूजिक डायरेक्टर उनके पास पहुंचता तो दुर्रानी उससे कहते, 'दुर्रानी का गाना चाहते हो तो अच्छी धुन बनाना सीख आओ.'
एक बार लता, नौशाद साहब और दुर्रानी गाने की रिकॉर्डिंग कर रहे थे. लेकिन दुर्रानी का बर्ताव शर्मीली और विनम्र लता के साथ ठीक नहीं था. उनकी ज़ुबान में कामयाबी का उग्र एहसास झलकता था. नौशाद साहब उस घटना के गवाह थे. उन्होंने बताया, 'उस समय सिर्फ दो माइक होते थे. एक संगीतकारों के लिए, दूसरा गायकों के लिए. इस तरह वे दोनों (दुर्रानी और लता) आमने सामने खड़े थे. जैसे ही दुर्रानी की लाइन पूरी होती, वे कोई शरारत करने लगते. मैंने उनसे बाद में कहा कि वे चुपचाप खड़े रहें और अपने मसखरेपन से उस लड़की के काम में अड़चन न डालें. क्योंकि लड़की (लता) नई थी और इससे उसका कॉन्फिडेंस डगमगा सकता था.'
6
लेकिन 'नई लड़की' दुर्रानी की हरकतों से घबराने की जगह नाराज हो रही थी. लता के साथ एक और रिकॉर्डिंग के दौरान दुर्रानी ने पुरानी हरकतें शुरू कर दीं. उन्होंने लता के सादे पहनावे का मजाक उड़ाते हुए लखनवी उर्दू में कहा, 'लता, तुम रंगीन कपड़े क्यों नहीं पहनती? तुम कैसे इस तरह सफेद चादर लपेटकर चली आती हो?'
लता ने बिलाशक ये सोचा होगा कि उर्दू जबान की तहजीब से वाकिफ ये आदमी कैसे एक औरत से गैरवाजिब नजदीकी दिखाते हुए उसे 'आप' की जगह 'तुम' कह रहा है. लता ने कहा, 'मैं सोचती थी कि ये आदमी मेरे पहनावे की जगह मेरे गायन पर ज्यादा ध्यान देगा. उसी पल मैंने फैसला किया कि मैं उस कलाकार के साथ फिर नहीं गाऊंगी.'

7

और जब शोहदे को सिखाया सबक!

लता ने बताया कि अगर मेरी किसी चीज की कोई बहुत तारीफ कर देता था तो मैं वो चीज उसे दे देती थी. उन दिनों फिल्म 'महल' बन रही थी. फिल्म के एक गाने के लिए हुई बैठक में गीतकार नक्शाब ने लता की चमचमाती नई कलम की बहुत तारीफ की. 'लीजिए इसे आप रखिए' ये कहते हुए लता ने ये कलम उन्हें थमा दी.
लेकिन लता भूल गईं कि उस कलम पर उनका नाम खुदा हुआ था. उन्हें बिल्कुल इल्म नहीं था कि इस गीतकार का इरादा कुछ और है.
नक्शाब ने 'लता' के नाम वाली कलम फिल्म इंडस्ट्री में सबको दिखानी शुरू कर दी कि उन दोनों के बीच 'कुछ चल रहा है.' लता ने इस मामले में चुप रहना ही ठीक समझा क्योंकि वे जानती थीं कि अगर वे उन्हें झूठा साबित करने की कोशिश करेंगी तो बवाल और बढ़ेगा और लोग मज़ा लेंगे.
एक और रिकॉर्डिंग में नक्शाब फिर से टकराए. वे ये जताने को डेस्परेट थे कि लता उनके प्यार में पड़ गई हैं. इसलिए रिकॉर्डिंग शुरू होने के बाद वो बीच-बीच में उनके बूथ में घुस जाते थे और उनसे डूबकर गाने पर जोर देते थे. 'इन लाइनों में इतनी मुहब्बत भर दो कि ऐसा लगे कि तुम अपने प्रेमी के सामने बिना शर्त समर्पण कर रही हो.' लता ने यहां भी अपना गुस्सा पी लिया.
लेकिन उस दिन तो हद हो गई जब ये गीतकार अचानक लता के घर पहुंच गए. लता अपने नाना चौक वाले घर के अहाते में बहनों के साथ खेल रही थीं. उस समय वे महज हंसती-खेलती किशोरी ही तो थीं.
लता ने बताया, 'अगर मैं अकेली होती तो उनके आने से दिक्कत में पड़ सकती थी, लेकिन अपनी बहनों के सामने मैं उस चिपकू आदमी से एक शब्द भी नहीं सुनना चाहती थी. मैं उन्हें सड़क पर ले गई. गुस्से में साड़ी का पल्लू कमर में खोंसते हुए मैंने पूछा कि मेरी इजाजत के बिना मेरे घर आने की उनकी हिम्मत कैसे हुई. मैंने उन्हें धमकाया, 'अगर मैंने दोबारा तुम्हें यहां देखा तो तुम्हारे टुकड़े-टुकड़े कर इस गटर में फेंक दूंगी. ये मत भूलना कि मैं मराठा हूं.''

8

मुसलमान के साथ न गाने की अफवाह!

साठ के दशक में लता और तलत महमूद के डुएट गाने की रिकॉर्डिंग का प्रपोजल आया, लेकिन किन्हीं वजहों से पूरा नहीं हो सका. तब अफवाह फैली कि लता ने ये गाना इसलिए नहीं गाया क्योंकि उनका को-सिंगर मुसलमान था. तलत महमूद ने इस अफवाह पर भरोसा भी कर लिया था.
दिलीप कुमार संग रक्षाबंधन.
दिलीप कुमार संग रक्षाबंधन.

लेकिन अच्छी बात रही कि वक्त रहते ये गलतफहमी दूर हो गई. दोनों आमने सामने मिले. उत्तेजित लता ने तलत से पूछा, 'आपने इस तरह की घटिया कहानी पर कैसे यकीन कर लिया? आप ये नहीं जानते कि रफी साहब, नौशाद साहब भी मुसलमान हैं? मैं हमेशा उनके साथ काम करती हूं. मैं यूसुफ भाई (दिलीप कुमार) को राखी बांधती हूं. आप ये भी भूल गए कि मैंने अमन अली और अमानत खां साहब की शागिर्द के तौर पर सीखना शुरू किया था. वे दोनों मुसलमान थे.'


किताबवाला: लता मंगेश्कर को कौन दे रहा था खाने में धीमा ज़हर?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement