बहुसंख्यकों के हिसाब से देश चलाने की बात कहने वाले जज को योगी आदित्यनाथ का समर्थन, कॉलेजियम ने बुलाई बैठक
Yogi Adityanath On Justice Shekhar Yadav: योगी आदित्यनाथ के मुताबिक़, विपक्ष सच बोलने वाले व्यक्तियों को डराने की कोशिश कर रहा है, जिसमें जज भी शामिल हैं. कॉलेजियम के साथ जस्टिस शेखर यादव की बैठक पर क्या पता चला?
इलहाबाद हाई कोर्ट के जज, जस्टिस शेखर कुमार यादव (Justice Shekhar Yadav) के ‘भारत बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा’ वाले बयान को एक ही हफ़्ते हुए हैं. लेकिन इस एक हफ़्ते में ही इससे कई तरह के विवाद जुड़ गए हैं. ताज़ा घटनाक्रम ये है कि सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम ने उन्हें अगले हफ़्ते बैठक के लिए बुलाया है. संभावना जताई जा रही है कि बैठक 17 दिसंबर को हो सकती है. वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जस्टिस शेखर के बयान का समर्थन किया है.
Justice Shekhar Yadav के बचाव में Yogi Adityanathयूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि विपक्ष ने सिर्फ़ अपने (जज के) विचार व्यक्त करने के लिए जज के ख़िलाफ़ महाभियोग नोटिस दायर किया है. उन्होंने आगे कहा,
वो (विपक्ष) ख़ुद को लोकतांत्रिक कहते हैं और संविधान को अपने साथ लेकर चलते हैं. लेकिन उन्हें शर्म नहीं है. ये वो लोग हैं जो संविधान का गला घोंट रहे हैं. विपक्ष सच बोलने वाले व्यक्तियों को डराने की कोशिश कर रहा है -'जिसमें जज भी शामिल हैं'- जो सांस्कृतिक और सामाजिक संगठनों के ज़रिए सामाजिक वास्तविकताओं को उजागर करते हैं. सच को दबाने वाले ऐसे लोगों को समाज के सामने बेनकाब किया जाना चाहिए.
योगी आदित्यनाथ ने उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को भी उन सच बोलने वालों में गिना, जिनकी ‘आवाज़ दबाई’ जा रही है. दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ बीते दिन यानी 14 दिसंबर को मुंबई पहुंचे हुए थे. यहां वो 'विश्व हिंदू आर्थिक मंच 2024' को संबोधित कर रहे थे. इंडियन एक्सप्रेस की ख़बर के मुताबिक़, इस दौरान ‘समान नागरिक संहिता (UCC) की ज़रूरत’ पर बल देते हुए उनका कहना था,
ज़्यादातर देशों में सामाजिक व्यवस्थाएं, बहुसंख्यक आबादी की भावनाओं के अनुरूप होती हैं. इसी तरह, भारत में भी बहुसंख्यक इस तरह के भेदभाव को ख़त्म करने की वकालत कर रहे हैं. लेकिन कुछ समूह दबाव डालकर और सच की आवाज़ को दबाकर इस विचार का विरोध कर रहे हैं. राष्ट्र इन कामों को देख रहा है और इस तरह के व्यवहार को उजागर करने की ज़रूरत है.
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बता दें, इलाहाबाद हाई कोर्ट में सेवा दे रहे जस्टिस शेखर राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव के केंद्र में हैं. विपक्ष ने उन पर ‘घृणास्पद भाषण’ और ‘सांप्रदायिक विद्वेष भड़काने’ का आरोप लगाया है. इस बीच, सीजेआई संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाले कॉलेजियम ने उन्हें बैठक के लिए बुलाया है. एक अधिकारी ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया,
जस्टिस शेखर के साथ बैठक के लिए कॉलेजियम का कॉल कोर्ट की आंतरिक प्रक्रियाओं के हिस्से के रूप में देखा जा रहा है. इसके बाद क्या कार्रवाई होगी, ये बैठक पर निर्भर करेगा.
इससे पहले, 10 दिसंबर को आला अदालत ने जस्टिस शेखर के विवादास्पद भाषण का संज्ञान लिया था. साथ ही, हाई कोर्ट से भी विस्तृत ब्योरा मांगा गया था. वहीं, 13 दिसंबर को राज्यसभा में 55 विपक्षी सांसदों ने उनके ख़िलाफ़ महाभियोग प्रस्ताव लाने का नोटिस दिया था. जस्टिस शेखर यादव का हाई कोर्ट जज के रूप में कार्यकाल अप्रैल 2026 में तक होगा.
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Justice Shekhar Yadav ने क्या-क्या कहा था?दरअसल, इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद (VHP) के कार्यक्रम में पहुंचे थे. यहां वो समान नागरिक संहिता यानी UCC पर अपने विचार रख रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि ये भारत है और ये अपने बहुमत की इच्छा के अनुसार चलेगा. उन्होंने कहा कि हिंदू कानून में भी सती और जोहर जैसी कुप्रथाएं थीं, लेकिन राजा राम मोहन रॉय और ईश्वरचंद्र विद्यासागर जैसे लोगों ने इन बुराइयों को खत्म करने में अहम भूमिका निभाई. हाई कोर्ट के जज ने आगे कहा,
वहीं इस तथ्य के बावजूद कि मुस्लिम कानून में भी तलाक, भरण-पोषण और गोद लेने जैसी समस्याएं थीं, लेकिन उस समुदाय की तरफ से इसे बदलने के लिए कोई पहल नहीं की गई. अगर पर्सनल कानूनों से ऐसी खामियां दूर नहीं की गईं तो पूरे देश के लिए एक समान कानून लाया जाएगा.
उन्होंने ये भी कहा कि 'कठमुल्ले' देश के लिए घातक हैं. जस्टिस शेखर ने कहा, 'जो कठमुल्ला हैं, शब्द गलत है लेकिन कहने में गुरेज नहीं है, क्योंकि वो देश के लिए घातक हैं. जनता को बहकाने वाले लोग हैं. देश आगे न बढ़े इस प्रकार के लोग हैं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है.' इसके बाद विपक्षी सांसदों समेत कई जानकारों ने इस पर सवाल उठाए थे.
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