पश्चिम बंगाल का 'टैबलेट घोटाला' क्या है, जिसमें अब तक 11 लोगों की गिरफ्तारी हुई है?
पुलिस ने बताया कि कुल 1,911 छात्र हैं जिनके लिए आवंटित किए गए पैसे किसी अन्य के अकाउंट में ट्रांसफर हो गए. क्या है ये टैबलेट घोटाला, जानिए पूरी कहानी.
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ‘टैबलेट घोटाले’ की जांच लेकर एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है. सरकार ने टैबलेट या मोबाइल फोन खरीदने के लिए छात्रों के बैंक खातों में पैसे भेजे, लेकिन कई छात्रों को यह पैसे नहीं मिले. इस मामले में कुल 93 केस दर्ज हुए हैं और अब तक 11 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है.
सीएम ममता बनर्जी ने बागडोगरा हवाई अड्डे पर पत्रकारों से बातचीत में इस मामले पर जानकारी दी. उन्होंने कहा कि इस मामले में पहले ही छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है. मुख्यमंत्री ने बताया,
“मामले की जांच के लिए SIT का गठन किया गया है. हमारा प्रशासन बहुत मजबूत है. पहले ही छह लोगों को गिरफ्तार कर लिया है और जो भी जरूरी होगा, वह किया जाएगा. इस मामले में शामिल समूह महाराष्ट्र और राजस्थान से हैं. ऐसे समूह लगभग सभी अन्य राज्यों में मौजूद हैं.’’
पीटीआई की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ममता ने कहा है कि सरकार ने उन सभी लोगों को पैसा देना शुरू कर दिया है, जिन्हें पैसे नहीं मिले थे.
क्या है टैबलेट घोटाला?पश्चिम बंगाल सरकार ने साल 2022 में ‘तरुणेर स्वपन’ योजना की घोषणा की थी. इसके तहत कक्षा 11 और 12 के छात्रों को टैबलेट खरीदने के लिए 10 हज़ार रुपए दिए जाएंगे. इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट के अनुसार, हालांकि, स्कूल अधिकारियों और कई पैरेंट्स ने शिकायत की कि 2024 में एलिजबल छात्रों के अकाउंट में पैसे नहीं आए.
इन छात्रों ने संबंधित पोर्टल के जरिये टैब मनी के लिए प्रक्रिया के अनुसार आवेदन किया था. दुर्गा पूजा के बाद छात्रों के खाते में पैसे ट्रांसफर किए जाने थे. लेकिन कई छात्रों के अकाउंट में पैसे नहीं आए हैं. पुलिस के मुताबिक, कुल 1,911 छात्र ऐसे हैं जिन्हें पैसे नहीं मिले.
इस धोखाधड़ी के खिलाफ कोलकाता के अलग-अलग पुलिस स्टेशन में कम से कम 10 मामले दर्ज किए गए हैं. शिकायत में बताया गया कि पश्चिम बंगाल शिक्षा विभाग की वेबसाइट को हैक करके स्कूली छात्रों को दिए जाने वाले टैबलेट और स्मार्टफोन के लिए धनराशि निकाल ली गई थी.
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16 लाख लाभार्थियों को ट्रांसफर किए गए थे पैसेदक्षिण बंगाल के पुलिस महानिरीक्षक सुप्रीतम सरकार ने भी इस मामले में बयान जारी किया है. उन्होंने बताया,
“मामले में कुल 93 FIR दर्ज की गई हैं और 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है. ऐसे कुल 1,911 छात्र हैं जिनके लिए आवंटित किए गए पैसे किसी अन्य के अकाउंट में ट्रांसफर हुए हैं.”
उन्होंने कहा कि आरोपियों से पूछताछ के आधार पर पुलिस को अंतरराज्यीय गिरोह के बारे में पता चला है. अधिकतर गिरफ्तारियां उत्तर दिनाजपुर और मालदा जिले के लोगों की हुई हैं, इसलिए ये भी हो सकता है कि इन जगहों का घोटाले से सीधा संबंध हो. मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने इस धोखाधड़ी के बारे में ज्यादा बताने से इनकार कर दिया.
पुलिस ने बताया कि ‘तरुणेर स्वपन’ योजना के तहत 16 लाख छात्रों को पैसे ट्रांसफर किए गए थे. राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में इस योजना के लिए लगभग 900 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं.
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