"अहंकार, शिकायत, व्यवहार कुशलता की कमी", सेना की महिला कर्नलों पर अधिकारी ने उठाए सवाल
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कर्नल रैंक की महिला अधिकारियों में इंटरपर्सनल रिलेशन को लेकर गंभीर चिंताएं और समझदारी और व्यवहार कुशलता की कमी की ओर इशारा किया है.
सुप्रीम कोर्ट के लगभग दो साल पहले दिए एक ऐतिहासिक निर्णय के बाद सेना ने 108 महिला अधिकारियों को कर्नल की पोस्ट पर प्रमोट किया था. इनमें से आठ महिला अधिकारियों को कमांड करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी ने अब कुछ गंभीर सवाल उठाए हैं (Army Officer Questions Women Colonels). उन्होंने महिला अधिकारियों में ‘अहंकार’ से जुड़े मुद्दे और ‘सहानुभूति की कमी’ का जिक्र किया है.
एनडीटीवी में छपी रिपोर्ट के अनुसार लेफ्टिनेंट जनरल राजीव पुरी ने 20 नवंबर को 17 माउंटेन स्ट्राइक कोर के कमांडर के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया है. उन्होंने पूर्वी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल राम चंद्र तिवारी को एक लेटर लिखकर 'अत्यंत महत्वपूर्ण इन-हाउस रिव्यू' के निष्कर्षों के बारे में बताया है.
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कर्नल रैंक की महिला अधिकारियों में इंटरपर्सनल रिलेशन को लेकर गंभीर चिंताएं और 'समझदारी और व्यवहार कुशलता की कमी’ की ओर इशारा किया है. लेटर में महिला अधिकारियों द्वारा 'शिकायत करने की प्रवृत्ति' और ‘अहंकार’ से जुड़ी सांसारिक समस्याओं के बारे में बताया गया है.
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने कहा है कि कर्नल रैंक की महिला अधिकारी निर्णय लेने के मामले में ‘माई वे या हाईवे’ वाली नीति अपनाती हैं और उन्हें कमांडर बनने के लिए ट्रेन नहीं किया जाता है. एनडीटीवी के मुताबिक ये लेटर 1 अक्टूबर को लिखा गया था. इसमें लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने दावा किया,
“पिछले एक साल में महिला अधिकारियों द्वारा कमांड की गई यूनिट्स में ऑफिसर मैनेजमेंट से जुड़े मुद्दों की संख्या में वृद्धि हुई है. ये इंटरपर्सनल रिलेशन के बारे में गंभीर चिंताओं का संकेत हैं. अधिकांश मामले अधिकारियों की व्यक्तिगत आवश्यकताओं की समझ और व्यावहारिकता की कमी से संबंधित हैं. आपसी सम्मान के माध्यम से विवाद का समाधान निकालने के बजाय शक्ति के माध्यम से इसे सॉल्व करने पर अधिक जोर दिया जाता है."
आर्मी ऑफिसर ने कहा कि इससे यूनिट्स में तनाव का स्तर बहुत बढ़ गया है. लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने ये भी दावा किया,
जेंडर इक्वैलिटी पर फोकस होना चाहिए"साथियों को श्रेय देने और उन्हें प्रोत्साहित करने के बजाय जूनियर अधिकारियों के बारे में अपमानजनक बयान देने की अनियंत्रित इच्छा आम बात है."
पुरी ने कुछ महिला अधिकारियों में अधिकार को लेकर गलत भावना का भी उल्लेख किया और कहा कि वो 'छोटी-छोटी उपलब्धियों के लिए तत्काल संतुष्टि' की चाह रखती हैं. उन्होंने महिला अधिकारियों के बारे में उठाई गई चिंताओं को दूर करने के लिए ‘जेंडर न्यूट्रैलिटी’ के बजाय ‘जेंडर इक्वैलिटी’ पर ध्यान केंद्रित करने का आग्रह किया.
वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इन महिला कर्नलों की पोस्टिंग ने उन्हें कमांड भूमिकाओं से परिचित नहीं कराया. महिला अधिकारियों को ऑपरेशनल टास्क से परिचित नहीं कराया गया है और इसके कारण कठिनाइयों की समझ की कमी और इन कामों में शामिल सैनिकों के प्रति ‘सहानुभूति की कमी’ हुई है.
हालांकि, रक्षा सूत्रों ने एनडीटीवी को बताया कि सेना महिला अधिकारियों को शामिल करने के लिए प्रतिबद्ध है, और वरिष्ठ अधिकारी के सुझाव ट्रेनिंग स्टैंडर्ड में सुधार के लिए हैं.
बता दें कि 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने सेना में महिलाओं के लिए परमानेंट कमीशन को मंजूरी दे दी थी, और उनके लिए कमांड भूमिकाएं संभालने का रास्ता साफ किया था. पिछले साल फरवरी में 108 महिला अधिकारियों को सेलेक्ट-ग्रेड कर्नल के पद पर प्रमोट करने के लिए एक स्पेशल बोर्ड बनाया गया था.
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