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"DGP को बता देना, ऐसा ऑर्डर देंगे जिंदगी भर...", SC ने यूपी पुलिस को बुरी तरह सुनाया

सुप्रीम कोर्ट गैंगस्टर अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था.

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Supreme Court warns UP Police of drastic order says it Needs To Be Sensitised
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि याचिकाकर्ता शायद इस डर में जी रहा है कि यूपी पुलिस उसके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज कर देगी. (फोटो- X)
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प्रशांत सिंह
28 नवंबर 2024 (Published: 23:56 IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी पुलिस की कार्यशैली पर टिप्पणी करते हुए कड़ी फटकार लगाई है. कोर्ट ने कहा कि यूपी पुलिस ‘पावर एंजॉय’ कर रही है. उसे संवेदनशील होने की जरूरत है. शीर्ष अदालत ने राज्य पुलिस को चेतावनी देते हुए कहा कि वो अपने डीजीपी को बता दे कि कोर्ट ऐसा कठोर आदेश देगा कि सारी जिंदगी याद रहेगा (Supreme Court warns UP Police).

अनुराग दुबे की याचिका पर सुनवाई

दरअसल, सुप्रीम कोर्ट गैंगस्टर अनुराग दुबे की अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई कर रहा था. लाइव लॉ में छपी डेब्बी जैन की रिपोर्ट के मुताबिक जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस उज्जवल भुयान की बेंच इस मामले को देख रही थी. बेंच ने पाया कि याचिकाकर्ता के खिलाफ कई FIR दर्ज हैं, और उसे डर है कि अगर वो जांच के लिए कोर्ट में पेश हुआ तो उसके खिलाफ एक और नया मामला दर्ज कर दिया जाएगा.

बेंच ने निर्देश दिया कि याचिकाकर्ता को जांच अधिकारी की ओर से दिए गए किसी भी तरह के नोटिस का पालन करना होगा. हालांकि, कोर्ट ने ये भी साफ किया कि अदालत की पूर्व अनुमति के बिना उसे पुलिस हिरासत में नहीं लिया जाएगा.

"याचिकाकर्ता शायद डर में जी रहा है"

मामले में यूपी सरकार की तरफ से पेश हुए सीनियर एडवोकेट राणा मुखर्जी ने कोर्ट को बताया कि अदालत के पिछले आदेश के बाद याचिकाकर्ता को नोटिस भेजा गया था, लेकिन वो जांच अधिकारी के सामने पेश नहीं हुआ. इसके बजाय उसने एक हलफनामा भेजा. वकील की इस दलील पर जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि याचिकाकर्ता शायद इस डर में जी रहा है कि यूपी पुलिस उसके खिलाफ एक और झूठा मामला दर्ज कर देगी. उन्होंने कहा,

“वो शायद इसलिए पेश नहीं हो रहा होगा क्योंकि उसे पता है कि आप कोई और झूठा केस दर्ज करके उसे गिरफ्तार कर लेंगे. आप अपने डीजीपी को बता दीजिए कि जैसे ही वो अनुराग दुबे को छुएंगे, हम ऐसा कठोर आदेश देंगे कि सारी जिंदगी याद रहेगा. हर बार आप उसके खिलाफ एक नई एफआईआर लेकर आते हैं. अभियोजन पक्ष कितने मामलों को बरकरार रख सकता है?”

कोर्ट ने आगे कहा कि जमीन हड़पने का आरोप लगाना बहुत आसान है. जब कोई रजिस्टर्ड सेल डीड से खरीदता है तो उसे आप जमीन हड़पने वाला कहते हैं, ये सिविल विवाद है या क्रिमिनल विवाद? बेंच ने कहा,

“हम सिर्फ यह बता रहे हैं कि आपकी पुलिस किस खतरनाक क्षेत्र में घुस गई है और उसका मजा ले रही है. सत्ता से कौन चूकना चाहेगा? कभी आप पुलिस की सत्ता संभाल रहे हैं. कभी आप सिविल कोर्ट की सत्ता संभाल रहे हैं. इसलिए आप मौज-मस्ती कर रहे हैं.”

वकील राणा मुखर्जी ने इस पर कहा कि अगर याचिकाकर्ता को छुआ गया तो इसकी जानकारी यूपी सरकार को भेज दी जाएगी. इस पर जस्टिस कांत ने कहा कि मुद्दा ये है कि पुलिस को किस तरह संवेदनशील बनाया जाना चाहिए. बेंच ने अनुराग दुबे के वकील अभिषेक चौधरी से भी पूछा कि वो क्यों पेश नहीं हो रहे हैं. वकील ने जवाब दिया कि उनके पास इस संबंध में कोई निर्देश नहीं है. हालांकि, दुबे ने पुलिस अधिकारियों को अपना मोबाइल नंबर दिया है, ताकि वो उन्हें सूचित कर सकें कि उन्हें कब और कहां पेश होना है.

इस पर जस्टिस भुयान ने राणा मुखर्जी से पूछा कि दुबे को किस माध्यम से पेश होने के लिए कहा गया था. जब उन्हें बताया गया कि एक लेटर भेजा गया था, तो बेंच ने टिप्पणी की कि आजकल सब कुछ डिजिटल हो गया है और सुझाव दिया कि दुबे के मोबाइल पर एक मैसेज भेजा जाए, जो हर समय चालू रहेगा. इसमें ये जानकारी दी जाए कि उन्हें कहां पेश होना है.

जस्टिस कांत ने चेतावनी देते हुए कहा कि पुलिस अधिकारी खुद दुबे को गिरफ्तार नहीं करेंगे. उन्होेंने कहा कि अगर आप सचमुच सोचते हैं कि किसी मामले में गिरफ्तारी जरूरी है, तो आप हमें आकर बताइए कि ये कारण हैं. लेकिन अगर पुलिस अधिकारी ऐसा कर रहे हैं तो आप ये समझ लीजिए, हम न केवल उन्हें निलंबित करेंगे, बल्कि उन्हें काफी कुछ खोना पड़ सकता है.

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