The Lallantop
Advertisement

CJI चंद्रचूड़ की बेंच UP मदरसा एजुकेशन एक्ट पर आज सुना सकती है फैसला, हाई कोर्ट ने अंसवैधानिक बताया था

Allahabad High Court ने उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम को असंवैधानिक बताया था. Supreme Court ने इस फैसले पर रोक लगाते हुए कहा था कि हाई कोर्ट ने इसकी गलत व्याख्या की.

Advertisement
Madarasa Act
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 मार्च को ये फैसला सुनाया था. (सांकेतिक तस्वीर: PTI)
pic
रवि सुमन
5 नवंबर 2024 (Updated: 5 नवंबर 2024, 11:17 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 'उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम 2004' को संवैधानिक रूप से अवैध करार दिया था. हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में चुनौती दी गई है. आज यानी 5 नवंबर को शीर्ष अदालत इस याचिका पर अपना फैसला सुना सकती है. इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 22 मार्च को ये फैसला सुनाया था. इसके बाद अप्रैल महीने में सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक लगा दी थी.

UP Madarsa Education Act पर फैसला

हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए इनकी तरफ से याचिकाएं दायर की गई थीं- अंजुम कादरी, मैनेजर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया (UP), ऑल इंडिया टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया (नई दिल्ली), मैनेजर एसोसिएशन अरबी मदरसा नई बाजार और टीचर्स एसोसिएशन मदारिस अरबिया कानपुर. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने इस मामले की सुनवाई की है.

दो दिनों तक चली सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने मुख्य रूप से ये तर्क दिया कि उच्च न्यायालय ने यूपी मदरसा अधिनियम को गलत तरीके से समझा है. उन्होंनेे समझा है कि इस अधिनियम का उद्देश्य धार्मिक शिक्षा प्रदान करना है. जबकि इसका वास्तविक उद्देश्य मुस्लिम बच्चों की शिक्षा के लिए योजना प्रदान करना है.

ये भी पढ़ें: महाराष्ट्र सरकार ने बढ़ाया मदरसा शिक्षकों का वेतन, बहुतों के निशाने पर आ गई BJP!

इस अधिनियम का विरोध करने वालो में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) भी शामिल है. NCPCR ने इस बात पर जोर दिया है कि मदरसा शिक्षा, संविधान के अनुच्छेद 21A के तहत 'गारंटीकृत गुणवत्तापूर्ण' शिक्षा के वादे को नकारती है. उन्होंने कहा कि धार्मिक शिक्षा लेने की स्वतंत्रता सबको है लेकिन इसे मुख्यधारा की शिक्षा के विकल्प के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता है.

अप्रैल में जब शीर्ष अदालत ने इस फैसले पर रोक लगाई थी, तब उन्होंने कहा था कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस अधिनियम की गलत व्याख्या की है. 

Allahabad High Court का फैसला क्या था?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, न्यायमूर्ति विवेक चौधरी और न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की खंडपीठ ने उत्तर प्रदेश सरकार को एक योजना तैयार करने का निर्देश दिया था. ताकि वर्तमान में मदरसों में पढ़ रहे छात्रों को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा सके. ये फैसला राज्य सरकार द्वारा राज्य में इस्लामी शिक्षा संस्थानों का सर्वेक्षण करने के निर्णय के कुछ महीने बाद आया. और विदेशों से मदरसों के धन की जांच के लिए अक्टूबर 2023 में एक SIT का गठन भी किया गया था.

वीडियो: इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने UP के मदरसा एजुकेशन एक्ट को असंवैधानिक क्यों ठहराया?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement