The Lallantop
Advertisement

'सरकारें हर प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा नहीं कर सकतीं', सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला

CJI DY Chandrachud की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच ने ये फैसला सुनाया है. अपने फैसले में Supreme Court ने साफ किया कि- 'प्रत्येक निजी संपत्ति को समुदाय की भौतिक संपत्ति नहीं बताया जा सकता. राज्य सरकारें सभी निजी संपत्तियों पर दावा नहीं कर सकती.'

Advertisement
Supreme court judgement on private property
सुप्रीम कोर्ट ने निजी संपत्ति पर बड़ा फैसला सुनाया है. ( इंडिया टुडे)
pic
आनंद कुमार
5 नवंबर 2024 (Updated: 5 नवंबर 2024, 15:19 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट (Supreme court judgement) ने निजी संपत्ति विवाद में बड़ा फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ (DY Chandrachud) की अध्यक्षता वाली 9 जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि प्रत्येक निजी संपत्ति को सामुदाय की भौतिक संपत्ति नहीं बताया जा सकता. संविधान के अनुच्छेद 39 B के तहत सरकार कुछ खास संसाधनों को ही सामुदायिक संसाधन मानकर इनका इस्तेमाल आम लोगों के हित में कर सकती है.

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, संविधान पीठ में जस्टिस ऋषिकेश रॉय, जस्टिस बीवी नागरत्ना, जस्टिस जेबी पारदीवाला, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस राजेश बिंदल, जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा और जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह भी शामिल थे. सीजेआई चंद्रचूड़ ने बताया कि इस मामले में तीन जजमेंट हैं. एक उनका और 6 दूसरे जजों का. दूसरा जस्टिस बीवी नागरत्ना का जो इस फैसले से आंशिक रूप से सहमत हैं. और तीसरा जस्टिस सुधांशु धूलिया का जिन्होंने इस फैसले से असहमति जताई है.

बेंच ने 1978 में दिए गए जस्टिस कृष्ण अय्यर के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि सभी निजी संपत्तियों पर राज्य सरकारें कब्जा कर सकती हैं. CJI चंद्रचूड़ ने कहा, पुराना फैसला विशेष आर्थिक, समाजवादी विचारधारा से प्रेरित था. हालांकि राज्य सरकारें उन संसाधनों पर दावा कर सकती हैं. जो भौतिक हैं. और सार्वजनिक भलाई के लिए समुदाय द्वारा रखे जाते हैं.

सुप्रीम कोर्ट  की 9 सदस्यीय पीठ ने 1 मई की सुनवाई में अपना फैसला सुरक्षित रखा था. पिछली सुनवाई में शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की थी कि किसी व्यक्ति के हर निजी संसाधन को समुदाय के भौतिक संसाधन के हिस्से के रूप में मानना 'दूर की कौड़ी' होगी. कोर्ट ने कहा कि इससे निवेशक भी डर जाएंगे. जो उन्हें मिलने वाली सुरक्षा के स्तर से चिंतित हो सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी सीनियर एडवोकेट गोपाल शंकरनारायणन के इस दलील के बाद आई. जिसमें उन्होंने बताया कि अलग-अलग संविधान पीठों के दिए गए 16 फैसलों में भौतिक संसाधनों की व्याख्या निजी संपत्ति और निजी संसाधनों को शामिल करने के लिए की गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके बारे में दिए गए संदर्भ पर सुनवाई की.

यह रेफरेंस कर्नाटक राज्य और अन्य बनाम श्री रंगनाथ रेड्डी और अन्य के मामले में 1978 के फैसले में जजों द्वारा दिए गए दो अलग-अलग विचारों के संदर्भ में आया. यह मामला सड़क परिवहन सेवाओं के राष्ट्रीयकरण से जुड़ा था. जस्टिस वीआर कृष्ण अय्यर की राय थी कि समुदाय के भौतिक संसाधनों में प्राकृतिक और मानव निर्मित, सार्वजनिक और निजी स्वामित्व वाले दोनों तरह के संसाधन शामिल होंगे. हालांकि जस्टिस एनएनल उंटवालिया द्वारा लिखे गए दूसरे फैसले में कहा गया कि अधिकांश जज न्यायमूर्ति अय्यर द्वारा अनुच्छेद 39 (बी) के संबंध में दिए गए दृष्टिकोण से सहमत नहीं थे.

न्यायमूर्ति अय्यर के रूख को 1982 के संजीव कोक मैन्यूफैक्चरिंग कंपनी बनाम भारत कोकिंग कोल लिमिटेड और अन्य मामले में भी सही ठहराया गया. राज्य के नीति निर्देशक सिद्धांतों में शामिल अनुच्छेद 39 (B) में कहा गया है कि राज्य विशेष रूप से ऐसी नीतियां बनाएगा जो समुदाय के भौतिक संसाधनों के स्वामित्व और वितरण में आम आदमी के हितों का ख्याल रखेगा. आर्टिकल 39 (C) में कहा गया है कि आर्थिक व्यवस्था के संचालन के परिणामस्वरूप धन और उत्पादन के साधनों का नियंत्रण कुछ हाथों तक सीमित नहीं होना चाहिए.

वीडियो: सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के प्रदूषण पर तगड़ा सुना दिया

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement