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बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को लताड़ा, पीड़ित को 25 लाख का हर्जाना देने को कहा

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपी सरकार की कार्रवाई को 'अराजकता' करार दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने जिसका घर तोड़ा गया है उसको 25 लाख रुपये मुआवजा देने का आदेश दिया है.

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supreme court cji dy chandrachud slams up government on illegal demolition imposes 25 lakh fine
सुप्रीम कोर्ट के जज डीवाई चंद्रचूड़ ने यूपी सरकार को बिना नोटिस के घर तोड़ने को लेकर लताड़ा. (तस्वीर:PTI)
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शुभम सिंह
6 नवंबर 2024 (Updated: 6 नवंबर 2024, 19:15 IST)
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सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को बिना नोटिस घर तोड़े जाने को लेकर जमकर लताड़ा है. मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने यूपी सरकार की कार्रवाई को 'अराजकता' करार दिया. इसके साथ ही कोर्ट ने जिसका घर तोड़ा गया है उसको 25 लाख रुपये मुआवजा देने के आदेश दिए हैं.

कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए आदेश दिए

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की एक बेंच साल 2020 के एक मामले का स्वत: संज्ञान लेते हुए सुनवाई कर रही थी. मामला मनोज टिबरेवाल आकाश की एक शिकायत पर आधारित है जिनका यूपी के महराजगंज में पैतृक घर और दुकान साल 2019 में तोड़ दिया गया था. 

लाइव लॉ’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, याचिकाकर्ता की दलील है कि उसका घर बिना किसी पूर्व सूचना के तोड़ दिया गया था. वहीं, यूपी सरकार का कहना है कि याचिकाकर्ता ने सार्वजनिक भूमि पर ने 3.7 वर्ग मीटर का अतिक्रमण किया था.

मामले की सुनवाई के दौरान डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा,

“आप (यूपी सरकार) कहते हैं कि उसने 3.7 वर्ग मीटर अतिक्रमण किया. ठीक है, चलिए इसे मान लेते हैं. लेकिन आप इस तरह लोगों के घरों को कैसे तोड़ सकते हैं? बिना किसी पूर्व सूचना के किसी के घर में घुसना और उसे तोड़ना आराजकता है. हमारे पास हलफनामा है जिसमें कहा गया है कि कोई नोटिस जारी नहीं किया गया था, आप केवल साइट पर गए थे और लाउडस्पीकर के माध्यम से लोगों को सूचित किया था.”

सुनवाई के दौरान बेंच को बताया गया कि मनोज के घर के आसपास के 123 अन्य निर्माण भी ध्वस्त कर दिए गए. उन सभी लोगों को केवल सार्वजनिक घोषणाओं के माध्यम से सूचना दी गई थी. उन्हें पहले से कोई नोटिस नहीं दिया गया. इस बात को लेकर भी कोर्ट ने आश्चर्य जताया है. जस्टिस पारदीवाला ने कहा,

“आप बुलडोजर लाकर रातोरात लोगों का घर नहीं गिरा सकते. आपने परिवार को घर खाली करने का समय नहीं देिया. आप केवल ढोल बजाकर लोगों से घर खाली करने और उन्हें गिराने के लिए नहीं कह सकते. उचित प्रक्रिया का पालन किया जाना चाहिए था.”

जांच और मुआवजा भरने का आदेश

NDTV की एक रिपोर्ट के अनुसार, नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और जिला प्रशासन ने कथित तौर पर बिना किसी पूर्व सूचना के मनोज के घर का 3.7 मीटर का हिस्सा हाईवे की जमीन बताते हुए वहां पीली लाइन खींच दी थी. मनोज ने उतना हिस्सा खुद ही गिरवा दिया. लेकिन कुछ घंटे के भीतर प्रशासन ने बुलडोजर से उनका पूरा घर ध्वस्त करवा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ जांच शुरू करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा कोर्ट ने राज्य सरकार से मुआवज़े के तौर पर याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये देने का आदेश दिया है. साथ ही बेंच ने कुछ दिशा-निर्देश जारी किए हैं जिनका आधिकारियों को सड़क चौड़ीकरण करते वक्त पालन करना चाहिए.  

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