The Lallantop
Advertisement

सुप्रीम कोर्ट ने अजित पवार गुट को दी 'घड़ी', लेकिन कड़ी हिदायत के साथ

शरद पवार ने याचिका दाखिल कर ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी. कहा था कि अजित पवार गुट सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन कर रहा है.

Advertisement
NCP Symbol
फरवरी में चुनाव आयोग ने अजित पवार गुट के पक्ष में फैसला दिया था. (फाइल फोटो)
pic
साकेत आनंद
24 अक्तूबर 2024 (Published: 18:58 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अजित पवार गुट वाली राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) को ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने की अनुमति दे दी है. हालांकि कोर्ट ने कहा कि पार्टी डिस्क्लेमर के साथ इस चुनाव चिह्न का इस्तेमाल करेगी. आदेश के मुताबिक, चुनाव प्रचार में चुनाव चिह्न के साथ हर जगह लिखना होगा कि ये कोर्ट के सामने विचाराधीन है. पिछले साल जुलाई में NCP में हुई दो फाड़ के बाद, इस साल फरवरी में चुनाव आयोग ने अजित पवार के गुट के पक्ष में फैसला दिया था. लेकिन शरद पवार गुट ने चुनाव आयोग के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी.

शरद पवार गुट ने चुनाव चिह्न को लेकर हाल में एक नई याचिका दाखिल की थी. कोर्ट को बताया गया कि अजित पवार गुट चुनाव प्रचार में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं कर रहा है. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने लोकसभा चुनाव से पहले आदेश दिया था कि एनसीपी (अजित गुट) अपने प्रचार में ये डिस्क्लेमर डाले कि 'घड़ी' चुनाव चिह्न का इस्तेमाल कोर्ट के सामने विचाराधीन है. इसलिए, शरद पवार ने याचिका में निर्देशों का उल्लंघन बताते हुए ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगाने की मांग की थी.

24 अक्टूबर को इस याचिका पर जस्टिस सूर्य कांत, जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस उज्ज्वल भुइयां की बेंच ने सुनवाई की. कोर्ट ने अजित पवार गुट को निर्देश दिया कि वह नया हलफनामा दाखिल कर बताए कि विधानसभा चुनाव में कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन नहीं करेगा. बेंच ने ये भी कहा कि अगर निर्देशों का उल्लंघन होता है तो कोर्ट खुद से संज्ञान लेकर कार्रवाई करेगी.

शरद पवार ने कोर्ट में क्या कहा?

लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, शरद पवार की तरफ से पेश हुए सीनियर वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कोर्ट को बताया कि अजित पवार गुट अपनी प्रचार सामग्रियों में कोर्ट के निर्देशों पर अमल नहीं कर रहा है. जो चुनाव चिह्न कोर्ट के सामने विचाराधीन है, उसका किसी को फायदा नहीं उठाना चाहिए.

इस पर अजित पवार की तरफ से पेश हुए वकील बलबीर सिंह ने सिंघवी के दावों पर आपत्ति जताई. उन्होंने दावा किया कि सभी पोस्टर्स, बैनर्स और प्रचार सामग्रियों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों को पालन हो रहा है.

फिर, अभिषेक मनु सिंघवी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स फेसबुक और X से निकालकर लाए गए कुछ पोस्टर्स के स्क्रीनशॉट को कोर्ट के सामने रख दिया. और कहा कि ये एनसीपी (अजित पवार गुट) के सोशल मीडिया पेज के स्क्रीनशॉट हैं, जिसमें कोर्ट के निर्देशों का पालन नहीं हो रहा है. इसके अलावा उन्होंने मुंबई में पार्टी ऑफिस के बाहर लगे एक बैनर की तस्वीर भी कोर्ट को दिखाई.

इसके बाद कोर्ट ने अजित पवार गुट को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया. अब मामले की अगली सुनवाई 4 नवबंर को होगी.

क्या हुआ था NCP ने?

पिछले साल 2 जुलाई को अजित पवार के नेतृत्व में कई नेताओं ने NCP में बगावत कर दी थी. अजित पवार पार्टी के अधिकतर विधायकों के साथ बीजेपी-शिवसेना सरकार में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्होंने पार्टी पर दावा किया था. मामला फिर चुनाव आयोग के पास चला गया.

इस साल 6 फरवरी को चुनाव आयोग से शरद पवार को बड़ा झटका लगा. आयोग ने अजित पवार के गुट को असली NCP बताया. आयोग ने कहा है कि अजित पवार गुट को NCP का नाम और ‘घड़ी’ चुनाव चिह्न इस्तेमाल करने का अधिकार होगा.

शरद पवार ने चुनाव आयोग के आदेश को चुनौती दी थी. 19 मार्च को कोर्ट ने शरद पवार गुट को पार्टी के लिए 'NCP (शरदचंद्र पवार)' और चुनाव चिह्न ‘तुरहा बजाता व्यक्ति’ का इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी. कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी निर्देश दिया था कि वो एनसीपी (शरद चंद्र पवार) और उसके सिंबल को मान्यता दे.

कोर्ट ने अजित पवार गुट को ‘घड़ी’ सिंबल का इस्तेमाल डिस्क्लेमर के साथ करने की अनुमति दी थी. कि वो प्रचार सामग्रियों में ये लिखेगा कि सिंबल कोर्ट के सामने विचाराधीन है. साथ ही कोर्ट ने कहा था कि अजित पवार गुट राजनीतिक लाभ के लिए शरद पवार के नाम और तस्वीर का इस्तेमाल नहीं करेगा.

वीडियो: UP उपचुनाव के लिए 7 सीटों पर बीजेपी के उम्मीदवार घोषित, करहल से किसे मिला टिकट?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement