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एयरपोर्ट पर सिख कर्मचारी कृपाण के साथ ड्यूटी नहीं कर पाएंगे, आदेश वापस लेने की मांग

FAI ने अपने पत्र में लिखा है कि किसी के धर्म का पालन करने के अधिकार को रोजगार द्वारा सीमित नहीं किया जाना चाहिए. AVM और FAI ने BCAS से प्रतिबंध हटाने और सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण पहनने की स्पष्ट अनुमति देने का आग्रह किया है.

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आदेश वापस लेने की मांग की गई है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे)
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रवि सुमन
6 नवंबर 2024 (Published: 12:44 IST)
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एयरपोर्ट पर सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण ले जाने पर रोक लगाई गई है. नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू से इस आदेश को वापस लेने की मांग की गई है. अमृतसर विकास मंच (AVM) और फ्लाईअमृतसर इनिशिएटिव (FAI) ने शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (SGPC) के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (एनसीएम) के अध्यक्ष इकबाल सिंह लालपुरा और नागरिक उड्डयन मंत्री के सामने ये मांग रखी है. उन्होंने सिख यात्रियों और कर्मचारियों के कृपाण और अन्य धार्मिक प्रतीक धारण करने पर लगाए गए प्रतिबंधों पर ध्यान देने का आग्रह किया है.

हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ये संगठन नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो (BCAS) के हाल के निर्देश में संशोधन की मांग कर रहे हैं. BCAS ने 30 अक्टूबर को एक आदेश जारी किया था. इसके मुताबिक, सिख यात्रियों को घरेलू उड़ानों में छह इंच से छोटे ब्लेड वाले कृपाण ले जाने की अनुमति दी गई है, लेकिन आदेश में सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण पहनने पर स्पष्ट रूप से प्रतिबंध लगाया गया है. संगठनों का कहना है कि इस आदेश का असर देश भर के हवाई अड्डों पर काम कर रहे सिख कर्मचारियों पर पड़ेगा.

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संगठनों ने अपने पत्र में कहा है कि इस नियम के कारण भारतीय हवाई अड्डों पर ऐसी घटनाएं हुई हैं, जहां अमृत चख चुके सिख कर्मचारियों को सुरक्षा जांच के बाद टर्मिनल क्षेत्रों में प्रवेश करने से रोक दिया गया है. इससे उनके पेशेवर कर्तव्यों को पूरा करने की क्षमता में बाधा उत्पन्न हो रही है.

FAI ने अपने पत्र में लिखा है कि किसी के धर्म का पालन करने के अधिकार को रोजगार द्वारा सीमित नहीं किया जाना चाहिए. AVM और FAI ने BCAS से प्रतिबंध हटाने और सिख कर्मचारियों को ड्यूटी के दौरान कृपाण पहनने की स्पष्ट अनुमति देने का आग्रह किया है. 

इससे पहले साल 2022 में भी ऐसी पाबंदी लगाई गई थी. तब सिख संगठनों ने इसका विरोध किया था. इसके बाद इस आदेश को वापस ले लिया गया था.

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