68 साल का फर्जी IPS असली कमिश्नर से मिला, दो पुलिसवालों को सस्पेंड करवा दिया
फैमिली बैकग्राउंड और दोस्तों की सोहबत के कारण आरोपी की कई IAS, IPS और अन्य उच्च अधिकारियों से जान पहचान बनती गई. इसका फायदा उठाकर अनिल कटियाल ने अपने आप को ही 1979 बैच का आईपीएस अधिकारी बताना शुरू कर दिया था.
कांड करने वालों की कमी नहीं. एक को ढूंढो, एक से एक मिलते हैं. यूपी पुलिस ने ऐसे ही एक शख्स को गिरफ्तार किया है. नाम है अनिल कटियाल. 68 साल का है. खुद को 1979 बैच का रिटायर IPS ऑफिसर बताता था. कॉन्फिडेंस ऐसा दिखाता कि बड़े-बड़े अधिकारी लपेटे में आ जाते और उसके कहने पर एक्शन भी लेते. आरोप है कि अनिल खुद को रिटायर्ड IPS अधिकारी बताकर एक पुलिस कमिश्नर से मिला. उसने पुलिस पर एक केस में गलत कार्रवाई करने का आरोप लगाया. उसकी शिकायत पर दो पुलिसकर्मियों को निलंबित भी कर दिया गया. लेकिन बाद में मालूम पड़ा कि अनिल नाम का कोई IPS है ही नहीं. अब पुलिस ने अनिल और उसके एक दोस्त को धोखाधड़ी के मामले में गिरफ्तार किया है.
दोस्त की पैरवी के दौरान भंडाफोड़गाजियाबाद के ट्रांस हिंडन के पीआरओ को 14 नवंबर को एक कॉल आई. कॉल करने वाले ने अपना नाम अनिल कटियाल बताया और कहा कि वो मणिपुर कैडर का रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी है. अनिल कटियाल ने इंदिरापुरम थाने के एक केस में अपने दोस्त विनोद कपूर के पक्ष में पैरवी की और जांच अधिकारी प्रमोद हुड्डा पर अनियमितता का आरोप लगाया. आजतक के मयंक गौड़ की रिपोर्ट के मुताबिक, अनिल के दबाव में आकर अधिकारियों ने पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी कर दी.
लेकिन बाद में पुलिस को उसकी बातों पर शक हुआ. जांच की तो अनिल कटियाल का फर्जीवाड़ा सामने आया. एडिशनल कमिश्नर दिनेश कुमार पी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी बनकर धोखाधड़ी करने वाले अनिल कटियाल और उसके साथी विनोद कपूर को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है.
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सेंट स्टीफेंस से पढ़ाई की, निजी कंपनी में वाइस प्रेसिडेंटपुलिस की पूछताछ में पता चला कि 68 साल का अनिल कटियाल एक निजी कंपनी में कॉर्पोरेट मामलों के वाइस प्रेसिडेन्ट के तौर पर काम कर चुका है. जांच में पता चला कि अनिल के पिता IRS अधिकारी और चाचा एक पुलिस अधिकारी रह चुके हैं. उसने दिल्ली के मशहूर सेंट स्टीफेन्स कॉलेज से पढ़ाई की थी. कॉलेज के उसके कई दोस्त UPSC की परीक्षा पास करके अधिकारी बन गए.
फैमिली बैकग्राउंड और दोस्तों की सोहबत के कारण उसकी कई IAS, IPS और अन्य उच्च अधिकारियों से जान पहचान बनती गई. इसका फायदा उठाकर अनिल कटियाल ने अपने आप को ही 1979 बैच का आईपीएस अधिकारी बताना शुरू कर दिया था. पूछताछ में आरोपी ने स्वीकार किया कि उसने अपनी सरकारी और निजी संपर्कों का इस्तेमाल कर पुलिस और अन्य विभागों को गुमराह किया. अब पुलिस अनिल कटियाल और विनोद कपूर के बारे में और जानकारी जुटाने में लगी है.
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