सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस शेखर यादव के बयान का संज्ञान लिया, "देश तो बहुसंख्यक से चलेगा" कहा था
Justice Shekhar Kumar Yadav के विवादित बयान को लेकर Supreme Court ने इलाहाबाद हाई कोर्ट से डिटेल मांगी है. जस्टिस शेखर कुमार यादव विश्व हिंदू परिषद के एक कार्यक्रम में की गई टिप्पणी के बाद से विवादों में हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव की विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में की गई टिप्पणी का संज्ञान ले लिया है. शीर्ष अदालत ने जस्टिस शेखर के बयान को लेकर हाई कोर्ट से विस्तृत ब्योरा मांगा है. 8 दिसंबर को दिए इस बयान को लेकर जस्टिस शेखर कुमार यादव की काफी आलोचना हो रही है. इसमें उन्होंने कहा था कि ये भारत है और ये अपने ‘बहुमत की इच्छा के अनुसार ही चलेगा’. हालांकि, विवाद के बीच जस्टिस शेखर यादव का पक्ष भी सामने आया था. उन्होंने कहा कि उनके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट ने लिया संज्ञान, हाई कोर्ट से मांगा ब्योरासुप्रीम कोर्ट ने इस संबंध में एक प्रेस रिलीज जारी की है. ‘लाइव लॉ’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, इसमें कहा गया है,
“सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस शेखर कुमार यादव के भाषण की अखबारों में छपी रिपोर्टों पर संज्ञान लिया है. हाई कोर्ट से ब्योरा और जानकारियां मंगवाई गई हैं और मामला विचाराधीन है.”
इससे पहले 9 दिसंबर को कैंपेन फॉर ज्यूडीशियल अकाउंटैबिलिटी एंड रिफॉर्म्स (CJAR) ने भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिखा था. इसमें जस्टिस शेखर कुमार यादव के भाषण को लेकर शिकायत की गई थी. आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक, पत्र में जस्टिस शेखर कुमार यादव के बयान की सांस्थानिक जांच की मांग की गई है. साथ ही यह भी मांग की गई कि जांच पूरी होने तक शेखर कुमार यादव को सभी न्यायिक कामों से दूर रखा जाए.
क्या कहा था जस्टिस शेखर यादव ने?विश्व हिंदू परिषद की लीगल शाखा की तरफ से 8 दिसंबर को प्रयागराज में एक कार्यक्रम आयोजित किया गया था. ये कार्यक्रम हाई कोर्ट परिसर के भीतर लाइब्रेरी हॉल में आयोजित किया गया था. इस दौरान वक्फ कानून, समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और धर्मांतरण के कारणों और उनकी रोकथाम पर चर्चा की गई थी.
जस्टिस शेखर यादव ने कहा कि अगर पर्सनल कानूनों से ऐसी खामियां दूर नहीं की गईं तो पूरे देश के लिए एक समान कानून लाया जाएगा. उन्होंने अपने भाषण में मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को जमकर लताड़ा. बोले,
“ये कहने में बिल्कुल गुरेज नहीं है कि ये हिंदुस्तान है. हिंदुस्तान में रहने वाले बहुसंख्यक के अनुसार ही देश चलेगा. यही कानून है. आप यह भी नहीं कह सकते कि हाई कोर्ट के जज होकर ऐसा बोल रहे हैं. कानून तो भईया बहुसंख्यक से ही चलता है. परिवार में भी देखिए, समाज में भी देखिए. जहां पर अधिक लोग होते हैं, जो कहते हैं उसी को माना जाता है.”
उन्होंने ये भी कहा कि 'कठमुल्ले' देश के लिए घातक हैं. जस्टिस शेखर ने कहा,
“जो कठमुल्ला हैं, शब्द गलत है लेकिन कहने में गुरेज नहीं है, क्योंकि वो देश के लिए घातक हैं. जनता को बहकाने वाले लोग हैं. देश आगे न बढ़े इस प्रकार के लोग हैं. उनसे सावधान रहने की जरूरत है.”
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बयान पर दी सफाईजस्टिस शेखर यादव के 34 मिनट के भाषण से जिन दो चीज़ों पर बवाल मचा, वे हैं ‘हिंदुस्तान बहुसंख्यक के हिसाब से चलेगा’ और ‘कठमुल्ला’ शब्द का इस्तेमाल किया जाना. इन दोनों पर उन्होंने अपना पक्ष रखा. ‘बीबीसी हिंदी’ से बातचीत में जस्टिस शेखर यादव ने कहा,“मेरे बयान को तोड़-मरोड़कर चलाया जा रहा है. बहुसंख्यक का मतलब हैं जिनकी सोच अच्छी है यानी प्रगतिशील सोच है, तो उनके आधार पर यह देश चलना चाहिए. हिंदू-मुस्लिम का इसमें गलत सेंस लिया जा रहा है. बहुसंख्यक का सीधा सा मतलब है इस देश का आगे लेकर जाने वाले लोग."
वहीं, 'कठमुल्ला' शब्द का इस्तेमाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह एक प्रचलित शब्द हो गया है जो हमारे हिंंदू में भी हो सकता है. उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में जो गलत ढंग से काम करने वाले लोग हैं उनको भी 'कठमुल्ला' कहते हैं.
वीडियो: VHP के कार्यक्रम में इलाहाबाद के जस्टिस शेखर कुमार यादव ने ऐसा क्या कहा कि वीडियो वायरल हो गया!