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हफ्ते में 84 घंटे काम, वीकेंड पर भी चैन नहीं, CEO का दावा, 'आए दिन मिलती है मौत की धमकी'

कई लोगों ने CEO पर टॉक्सिक वर्क कल्चर को बढ़ावा देने के आरोप लगाए. तो कइयों ने उनके माइंडसेट पर ही सवाल खड़े कर दिए.

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Indian origin CEO claims his company operates on 84 hour workweek policy gets death threats
Greptile नाम के एक AI स्टार्टअप के CEO दक्ष का पोस्ट वायरल. (फोटो- X)
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प्रशांत सिंह
18 नवंबर 2024 (Updated: 18 नवंबर 2024, 17:01 IST)
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वर्कप्लेस पर ‘वर्क लाइफ बैलेंस’ (Work life balance) होना चाहिए या नहीं? काम के लिए आठ-नौ घंटे काफी हैं या और देर काम करना चाहिए? हफ्ते में ‘फाइव डेज़ अ वीक’ हो या ‘सिक्स डेज़ अ वीक’. ये सभी सवाल कॉर्पोरेट सेटिंग में काम करने वाले लोगों के बीच अक्सर डिस्कस होते रहते हैं. सोशल मीडिया पर इसको लेकर मिले-जुले रिएक्शन भी देखने को मिलते हैं. ऐसी ही एक और कंपनी है जो हफ्ते में 84 घंटे काम कराती है (84 hour workweek policy). सुबह 9 बजे से रात 11 बजे तक कर्मचारी लगे रहते हैं. वर्क लाइफ बैलेंस नाम की कोई चीज यहां नहीं है. इतना ही नहीं संडे के दिन भी कंपनी काम कराती है. ये सब हम नहीं कंपनी के CEO ने खुद बताया है.

दरअसल, Greptile नाम का एक AI स्टार्टअप है. इसके CEO भारतीय मूल के दक्ष गुप्ता नाम के सज्जन हैं. उनका एक पोस्ट सोशल मीडिया पर काफी वायरल है. इसमें वो अपनी कंपनी के इंटेन्स वर्क कल्चर के बारे में बात कर रहे हैं. दक्ष ने 9 नवंबर को अपने X अकाउंट पर किए एक पोस्ट में लिखा,

“हाल ही में, मैंने कैंडिडेट्स को पहले इंटरव्यू से ही बताना शुरू कर दिया कि ग्रेप्टाइल किसी भी तरह का वर्क लाइफ बैलेंस नहीं ऑफर करती है. आम तौर पर काम सुबह 9 बजे शुरू होता है और रात 11 बजे तक चलता है. हम अक्सर शनिवार को काम करते हैं, कभी-कभी संडे के दिन भी. मैं इस बात पर जोर देता हूं कि हमारी कंपनी में वातावरण बहुत तनावपूर्ण है, और खराब काम को बिल्कुल बर्दाश्न नहीं किया जाता. पहले तो मुझे ऐसा करना गलत लगा, लेकिन अब मुझे यकीन है कि पारदर्शिता अच्छी है और मैं चाहता हूं कि लोग इसे शुरू से ही जानें, बजाय इसके कि उन्हें ये काम के पहले दिन पता चले. मुझे उत्सुकता है कि क्या बाकी लोग भी ऐसा करते हैं और क्या इससे कोई नुकसान है जिसे मैं अनदेखा कर रहा हूं.”

अब बात वर्क लाइफ बैलेंस और काम को लेकर हो रही थी, तो ये पोस्ट तो वायरल होना ही था. हुआ भी. 16 लाख से ज्यादा लोगों ने इस पोस्ट को देखा. लोगों ने शार्प रिएक्शन भी दिए. कई लोगों ने दक्ष पर टॉक्सिक वर्क कल्चर को बढ़ावा देने के आरोप लगाए. तो कइयों ने उनके माइंडसेट पर ही सवाल खड़े कर दिए. एक यूजर ने लिखा,

“मुझे आश्चर्य होगा अगर लोग इसे पढ़ने के बाद भी नौकरी के लिए अप्लाई करेंगे. और जो लोग अप्लाई करेंगे वो शायद सही उम्मीदवार न हों.”

एक सज्जन ने कमेंट किया,

“समस्या लोगों को ये बताने में नहीं है, ईमानदारी अच्छी है. समस्या आपकी कंपनी को इस तरह चलाने में है.”

एक शख्स ने तो दक्ष को इसे डिलीट करने तक को कह दिया. उन्होंने लिखा,

“आपके पास अभी भी इसे डिलीट करने का समय है.”

वर्क लाइफ बैलेंस से जुड़ी ये सब बातें यहीं खत्म नहीं हुई. पोस्ट पर आए रिएक्शन के बाद दक्ष ने एक और पोस्ट किया. इसमें उन्होंने बताया कि उनका इनबॉक्स 80 प्रतिशत जॉब एप्लीकेशन और 20 प्रतिशत ‘हत्या की धमकियों’ से भरा है. हालांकि, दक्ष ने ये भी स्पष्ट किया कि उनकी कंपनी का ये डिमांडिंग वर्क कल्चर स्टार्टअप के विकास के शुरुआती चरणों के लिए है.

वीडियो: Infosys के फाउंडर Narayana Murthy wife Sudha Murthy ने सप्ताह में 70 घंटे काम को लेकर कहा?

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