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पूरी दिल्ली में AQI 400 पार, इस एक घर में 15 कैसे?

पीटर और नीनो ने एडवांस सेल्फ डिजाइन टेक्निक्स और कई अन्य तरीकों का इस्तेमाल करके अपने घर में साफ हवा का जुगाड़ किया है.

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Delhi home achieves AQI of 15 by opting sustainable ways
कपल सिर्फ साफ हवा भर में नहीं जी रहे. उनका घर पूरी तरह से ऑफ-ग्रिड ऑपरेट करता है. माने बिजली के लिए वो किसी सोर्स पर निर्भर नहीं हैं. (फोटो- इंडिया टुडे)
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प्रशांत सिंह
29 नवंबर 2024 (Published: 17:36 IST)
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आप सुबह 6 बजे उठे हों, बाहर टहलने का मन हो, पर बाहर स्मॉग दिखे. माने धुएं की वो लेयर जो कोहरे जैसी दिखती है, पर असल में पॉल्यूशन है. AQI 400 के पार. टहलने जाना आपकी हेल्थ पर उल्टा असर करे. कुछ ऐसा ही हाल है भारत की राजधानी दिल्ली का. लेकिन इसी राजधानी में एक जगह है जहां आप खुल कर बिना किसी टेंशन के ये काम कर सकते हैं. इस जगह का AQI 10-15 के बीच रहता है (Delhi home AQI of 10-15). एक पल के लिए आपको लगेगा हम क्या ‘बक’ रहे हैं. पर ये सच है. पूरी कहानी आगे बताते हैं.

पेंट और प्लास्टर का इस्तेमाल नहीं

स्मॉग की परतों के बीच, प्रदूषित नदियों और नालों के बीच, साउथ दिल्ली में एक जगह बसी है. नाम है सैनिक फार्म्स. फार्म का नाम सुनकर कुछ हरी-भरी जगह की एक पिक्चर बनती दिखाई देती है. और बात भी यही है. सैनिक फार्म्स में एक कपल रहता है. पीटर सिंह और नीनो कौर. इन दो लोगों ने दिल्ली में 10-15 के बीच AQI का इंतजाम करने में कामयाबी पाई है.

aqi
पीटर सिंह और नीनो कौर. इन दो लोगों ने दिल्ली में 10-15 के बीच AQI का इंतजाम करने में कामयाबी पाई है.

पीटर और नीनो ने एडवांस सेल्फ डिजाइन तकनीकों और अन्य तरीकों का इस्तेमाल करके अपने घर में साफ हवा का जुगाड़ किया है. इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक बाकी घरों की तरह इनके घर में पेंट और प्लास्टर का इस्तेमाल नहीं किया गया है. दोनों ने घर में पारंपरिक तरीकों का उपयोग किया है. ईंटों को सीमेंट के बजाय चूने के मोर्टार से जोड़ा गया है और आधुनिक पेंट की जगह चूने का इस्तेमाल किया गया है.

उनके घर की छत कंक्रीट स्लैब की बजाय पत्थर की टाइलों से ढकी हुई है. इससे घर के अंदर के तापमान को नियंत्रित करने में मदद मिलती है. माने दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी के महीनों में भी इनका घर काफी ठंडा रहता है. पर अभी तो ठंड है. साफ हवा की कमी ही कमी है. पर नीनो और पीटर ने इसका भी इंतजाम कर रखा है.

Delhi eco-friendly home
दिल्ली की चिलचिलाती गर्मी के महीनों में भी इनका घर काफी ठंडा रहता है.
15 हजार से ज्यादा पेड़ लगाए

दोनों ने अपने घर में हजारों पेड़ लगाए हुए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक उन्होेंने 15 हजार से ज्यादा पेड़-पौधे लगा रखे हैं. इसी वजह से उनके घर में इस मौसम में भी साफ हवा रहती है. जो इस समय किसी लग्जरी से कम नहीं है. इन दिनों 15 से कम के AQI में जीना और अपने लंग्स को और स्वास्थ्य को बचाए रखना ही बड़ी उपलब्धि है.

ये कपल सिर्फ साफ हवा में नहीं जी रहा, उनका घर पूरी तरह से ऑफ-ग्रिड ऑपरेट करता है. माने बिजली के लिए वो किसी सोर्स पर निर्भर नहीं हैं. उनका घर पूरी तरह से सोलर पावर पर चलता है. इसके अलावा उनके घर में पानी भी कंजर्व किया जाता है. मॉनसून के दौरान 15 हजार लीटर के टैंक में वो पानी इकट्ठा कर लेते हैं. जिसे बाद में पौधों को सींचने के लिए इस्तेमाल किया जाता है. पानी की एक भी बूंद बर्बाद नहीं होने दी जाती है.

Delhi AQI Eco-friendly home
कपल सिर्फ साफ हवा भर में नहीं जी रहे. उनका घर पूरी तरह से ऑफ-ग्रिड ऑपरेट करता है. 
सब्जी भी घर की

दिल्ली-NCR में रहने वालों की एक और बड़ी समस्या है. ऐसे पॉल्यूशन में घर से निकलना और घर की सब्जी लाना. कुछ लोग घर बैठे सब्जी ऑर्डर करते हैं. उनके लिए समस्या ये है कि सब्जी की क्वालिटी कैसी होगी. पर नीनो और पीटर को ये टेंशन भी नहीं है. दोनों को सब्जी खरीदने की कोई जरूरत नहीं पड़ती. उनके घर में ही सब कुछ पैदा किया जाता है. ऑर्गैनिक खाद मिलाकर वो घर के अंदर मशरूम उगाने के लिए फर्टिलाइजर बनाते हैं.

यहां एक बड़ा सवाल उठता है. ये सब करने का आइडिया कहां से और क्यों आया? दरअसल, पीटर की वाइफ नीनो को ब्लड कैंसर डायग्नोज हुआ था. जिसके बाद उनकी कीमोथेरेपी हुई. इस प्रक्रिया के दौरान उनके लंग्स कमजोर हो गए. उन्हें दिल्ली की इस टॉक्सिक हवा में सांस लेने में दिक्कत होने लगी. यहां तक कि डॉक्टर ने उन्हें दिल्ली छोड़ने को भी कह दिया.

लेकिन एक आयुर्वेदिक डॉक्टर ने कपल से ऑर्गैनिक लाइफस्टाइल की ओर जाने की सलाह दी. जिसके बाद दोनों कुछ दिन गोवा में रहे, जहां उनके बेटे ने एक घर लिया था. बाद में दोनोें प्रण करके दिल्ली लौटे और सेल्फ सस्टेनिंग लाइफस्टाइल अपनाई. उसी का नतीजा है कि उनके घर का AQI 15 है, जबकि पूरी दिल्ली में लोग 400 पार AQI वाले प्रदूषण में जी रहे हैं.

वीडियो: दिल्ली में AQI का लेवल एक हजार से ऊपर या सरकार का डेटा सही, कहीं AQI को नापने में झोल तो नहीं?

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