'Fair and Handsome' से नहीं हुआ गोरा तो कर दी शिकायत, कंपनी को लाखों देने पड़े!
Fair and Handsome के विज्ञापन को लेकर ये जुर्माना लगाया गया है. Emami कंपनी पर जुर्माना लगाते हुए Delhi consumer forum ने क्या-क्या कहा है?
दिल्ली की एक ज़िला उपभोक्ता फोरम ने ‘व्यापार के ग़लत तरीक़े’ (Unfair Trade Practices) के लिए इमामी लिमिटेड पर 15 लाख रुपये का ज़ुर्माना लगाया है (Emami fined Rs 15 lakh). निखिल जैन नाम के एक व्यक्ति की तरफ़ से इमामी पर लगाए गए आरोपों पर ये कार्रवाई हुई है. निखिल ने आरोप लगाया था कि इमामी की फेयरनेस क्रीम ‘फेयर एंड हैंडसम’ का विज्ञापन भ्रामक और गुमराह करने वाला था. बता दें, इमामी नेचुरल स्कीनकेयर और हेल्थकेयर के प्रोडक्ट बेचता है.
मामला क्या है?मध्य दिल्ली ज़िला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग मामले पर सुनवाई कर रहा था. शिकायतकर्ता निखिल जैन के आरोपों के मुताबिक़, उन्होंने 2013 में 79 रुपये में क्रीम खरीदी थी. लेकिन प्रोडक्ट ‘फेयर एंड हैंडसम’ उन्हें अपेक्षित गोरी त्वचा का नतीजा नहीं दे पाया. फोरम के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह और मेंबर रश्मि बंसल ने 9 दिसंबर को अपना आदेश दिया.
आदेश के मुताबिक़, शिकायत को आंशिक रूप से माना जाता है. जबकि OP यानी अपोज़िशन पार्टी Emami को निर्देश दिया जाता है कि वो अपने प्रोडक्ट को लेकर व्यापार का ग़लत तरीक़ा ना अपनाए. वो अपने ब्रांड एंबेसडर या दूसरे पैकेज, लेबल, विज्ञापन को वापस लें. साथ ही, ऑडियो या विज़ुअल के ज़रिए फिर से ना दिखाएं.
इसके अलावा, इमामी से कहा गया कि वो 14.50 लाख रुपये जुर्माने के तौर पर जमा करे. वहीं शिकायतकर्ता को भी 50 हजार रुपये का जुर्माना दे. साथ ही 10 हजार रुपये मुकदमेबाजी के खर्च के तौर पर शिकायतकर्ता को दिए जाएं. फोरम ने अपने आदेश में आगे कहा कि ये राशि दिल्ली राज्य उपभोक्ता कल्याण कोष (DSCWF) में जमा की जानी चाहिए.
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Delhi consumer forum ने क्या-क्या सुनाया?फोरम ने शिकायतकर्ता निखिल की इस दलील पर गौर किया कि ‘उसने प्रोडक्ट की पैकेजिंग और लेबल पर दिए निर्देश के मुताबिक़, नियमित रूप से प्रोडक्ट का इस्तेमाल किया. साथ ही, तेज़ी से चमकते गोरेपन के लिए चेहरे और गर्दन पर दिन में दो बार साफ़ करने के बाद लगाया. लेकिन उसकी त्वचा में गोरापन नहीं आया या दूसरे कोई फ़ायदे नहीं हुए.’ सुनवाई के दौरान फोरम ने कई बातें कहीं. मसलन,
- रिकॉर्ड में ऐसा कुछ भी नहीं है, जिससे ये निष्कर्ष निकाला जा सके कि प्रोडक्ट के इस्तेमाल के बाद शिकायतकर्ता की त्वचा गोरी हो गई थी या नहीं.
कंपनी ने कहा था, ‘अगर ज़रूरी नतीजे चाहिए, तो प्रोडक्ट के सही इस्तेमाल और सही पौष्टिक आहार, एक्सरसाइज़, हेल्थी हैबिट और हाइजिन मेंनटेन करने जैसी कई कारकों की ज़रूरत होती है.’ इस पर कोर्ट ने कहा-
- प्रोडक्ट की पैकेजिंग और लेबलिंग पर ऐसी सख्त शर्तों का उल्लेख नहीं किया गया है. एक और सुधार ये है कि प्रोडक्ट 16-35 उम्र के बीच के नॉर्मल युवा पुरुषों (बीमार लोगों के लिए नहीं) के लिए है. बीमार व्यक्ति का क्या मतलब है? पैकेजिंग पर इसके बारे में नहीं बताया गया. इमामी लिमिटेड ये आरोप लगाकर शिकायतकर्ता को दोषी नहीं ठहरा सकता कि निर्देशों का पालन नहीं किया गया.
- पैकेजिंग और लेबलिंग पर बहुत कम और सीमित निर्देश दिए गए हैं कि 3 हफ़्तों तक इसके रोज़ाना इस्तेमाल से पुरुषों की त्वचा में गोरापन आ जाएगा. कंपनी जानती थी कि निर्देश अधूरे हैं और दूसरी ज़रूरतों का पालन न करने के कारण वो दावा किए गए नतीजे नहीं देगी. एक समझदार या औसत बुद्धिमान कस्टमर भी ये मान सकता है कि अगर क्रीम की पैकेजिंग पर दिए गए निर्देश का पालन किया जाए, तो नतीजे बताए गए दावों को अनुसार आएंगे.
- इससे साबित होता है कि विज्ञापन भ्रामक है. साथ ही, प्रोडक्ट की बिक्री को बढ़ावा देने के लिए इमामी ने ऐसी रणनीति अपनाई थी.
- ये हर्जाना इसलिए भी लगाया गया, क्योंकि इमामी चीज़ें तो सुधारे ही, साथ ही दूसरे लोगों के साथ ऐसी ‘ग़लत चीज़ें’ ना हों.
हालांकि, फोरम का ये भी कहना था कि न्यूज़पेपर्स में सुधार वाले विज्ञापन (Corrective Advertisement) देने की ज़रूरत नहीं है. क्योंकि शिकायत 2013 में दर्ज की गई थी. बताते चलें, मामले की सुनवाई काफ़ी लंबी चली. इससे पहले 2015 में फोरम ने शिकायतकर्ता निखिल जैन के पक्ष में फैसला सुनाया था. लेकिन बाद में दिल्ली राज्य उपभोक्ता आयोग (DSCC) ने मामले को फोरम को वापस भेज दिया था. साथ ही, कहा था फोरम सबूतों का गहन मूल्यांकन कर, फिर नए सिरे से कार्रवाई शुरू करे.
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