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बांग्लादेश में फिर से हिंसक प्रदर्शन, इस बार राष्ट्रपति और पुराने संविधान को हटाने की मांग

Bangladesh के राष्ट्रपति Mohammed Shahabuddin ने कहा था कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि Sheikh Hasina ने देश छोड़ने से पहले इस्तीफा दे दिया था.

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Bangladesh Protest
'बंगभवन' के बाहर प्रदर्शनकारियों की भीड़. (तस्वीर: AP)
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रवि सुमन
23 अक्तूबर 2024 (Updated: 23 अक्तूबर 2024, 11:03 IST)
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बांग्लादेश (Bangladesh Protest) में एक बार फिर से तनाव की स्थिति बन गई है. राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन (Mohammed Shahabuddin) के एक बयान के बाद उन्हें पद से हटाने की मांग की जा रही है. न्यूज एजेंसी PTI की रिपोर्ट के अनुसार, 22 अक्टूबर को सैकड़ों प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन में घुसने की कोशिश की. पुलिस ने उन्हें अंदर घुसने से रोक दिया. इस दौरान पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई भी हुई.

Mohammed Shahabuddin ने ऐसा क्या कहा? 

पिछले सप्ताह शहाबुद्दीन ने बांग्ला दैनिक अखबार मनाब जमीन को एक इंटरव्यू दिया था. इस दौरान उन्होंने शेख हसीना को लेकर एक बयान दिया. उन्होंने कहा कि इस बात का कोई दस्तावेजी सबूत नहीं है कि हसीना ने देश छोड़ने से पहले इस्तीफा दे दिया था. छात्रों ने हसीना के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया था. इसके बाद उन्होंने देश छोड़ दिया और भारत आ गईं.

Mohammed Shahabuddin
प्रदर्शन के दौरान का एक बैनर. बैनर पर राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन की तस्वीर लगी है. (फोटो: AP)

प्रदर्शनकारियों को राष्ट्रपति के आधिकारिक निवास ‘बंगभवन’ में घुसने से रोकने के लिए पुलिस ने ‘साउंड ग्रेनेड’ दागे. और सेना के जवानों ने भी हस्तक्षेप किया. सेना ने लाउडस्पीकर पर लोगों को बंगभवन के गेट से हटने का अनुरोध किया. इसके बाद स्थिति थोड़ी शांत हुई.

बांग्लादेशी दैनिक अखबार ‘द बिजनेस स्टैंडर्ड’ ने अस्पताल सूत्रों के हवाले से बताया कि बैरिकेड्स तोड़ने से प्रदर्शनकारियों को रोकने के लिए सुरक्षा बलों द्वारा की गई गोलीबारी में दो लोग घायल हो गए. इसमें कहा गया कि हिंसक भीड़ को तितर-बितर करने के लिए साउंड ग्रेनेड दागने से तीसरा व्यक्ति घायल हो गया. केंद्रीय शहीद मीनार के सामने रैली निकाली गई थी.

इस्तीफे के लिए 7 दिन का समय दिया

प्रदर्शन करने वालों ने शहाबुद्दीन को हटाने के लिए 7 दिनों का समय दिया है. साथ ही उन्होंने बांग्लादेश के 1972 के संविधान को खत्म करने सहित 5 सूत्री मांग रखी. शेख हसीना पर छात्रों के साथ भेदभाव करने के आरोप लगे थे, इसके बाद उनके खिलाफ आंदोलन हुआ था. इस छात्र आंदोलन के समन्वयकों में से एक हसनत अब्दुल्ला ने कहा,

"हमारी पहली मांग (पांच मांगों में से) ‘मुजीब’ (बांग्लादेश के संस्थापक नेता) के समर्थन वाले 1972 के संविधान' को तत्काल खत्म करना है, जिसने चुप्पू (राष्ट्रपति का उपनाम) को पद पर बनाए रखा."

सेंट्रल शहीद मीनार में एक विशाल रैली के समापन वक्ता के रूप में अब्दुल्ला ने कहा, 

“2024 में 1972 के संविधान को बदलकर नया संविधान लिखना होगा. अगर सरकार इस सप्ताह तक मांगों को पूरा करने में विफल रही तो प्रदर्शनकारी पूरी ताकत के साथ सड़कों पर लौट आएंगे.”

Muhammad Yunus की अंतरिम सरकार ने क्या कहा?

मुहम्मद यूनुस की अंतरिम सरकार के कानून मामलों के सलाहकार, आसिफ नजरुल ने इस मामले पर अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने शहाबुद्दीन पर झूठ बोलने का आरोप लगाते हुए कहा,

"उनकी टिप्पणी उनके पद की शपथ के उल्लंघन के बराबर थी. अगर वो अपनी टिप्पणियों पर अड़े रहे तो अंतरिम सरकार को ये सोचना होगा कि क्या वो अब भी अपने पद पर बने रहने के योग्य हैं. 5 अगस्त की रात को एक टेलीविजन पर शहाबुद्दीन ने कहा था कि आप जानते हैं कि शेख हसीना ने राष्ट्रपति को अपना त्यागपत्र सौंप दिया है. और मुझे वो प्राप्त हो गया है. उन्होंने ये टिप्पणी उस समय की जब सेना प्रमुख जनरल वाकर उज जमान, नौसेना और वायु सेना प्रमुख उनके साथ खड़े थे."

नजरुल ने कहा कि यदि शहाबुद्दीन त्यागपत्र प्राप्त करने से इनकार करते हैं, तो उनके दो में से एक बयान झूठा होगा. और उन्हें झूठ बोलने के आरोप का सामना करना पड़ सकता है. 

छात्र आंदोलन के नेता और सूचना मंत्रालय के सलाहकार नाहिद इस्लाम और विधि मामलों के सलाहकार ने मुख्य न्यायाधीश सैयद रेफात अहमद के साथ बंद कमरे में एक बैठक की. ये बैठक 40 मिनट तक चली. संविधान विशेषज्ञ शाहदीन मलिक ने PTI को कहा कि बांग्लादेश की संसद के पास राष्ट्रपति पर महाभियोग चलाने का अधिकार है, लेकिन अंतरिम सरकार राष्ट्रपति के खिलाफ कोई भी कार्रवाई कर सकती है. क्योंकि अब कई चीजें कानून से परे हो रही हैं. उन्होंने कहा कि शेख हसीना की सरकार गिराए जाने के बाद, सुप्रीम कोर्ट की राय के आधार पर अंतरिम सरकार का गठन किया गया है. और इस पर किसी बहस की जरूरत नहीं है. 

इस बीच, बंगभवन ने एक बयान में कहा है कि राष्ट्रपति ने लोगों से एक सुलझे हुए मुद्दे पर फिर से विवाद नहीं बढ़ाने का आग्रह किया है. बयान में कहा गया कि राष्ट्रपति का ये स्पष्ट बयान है कि सुप्रीम कोर्ट ने मौजूदा अंतरिम सरकार की संवैधानिक वैधता के बारे में बताया है.

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