मणिपुर पर गृह मंत्री अमित शाह की हाई लेवल मीटिंग में क्या तय हुआ?
राज्य में अब कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए CAPF की कुल 70 यूनिट्स तैनात की जा चुकी हैं.
हिंसाग्रस्त मणिपुर में हालात फिर नाजुक बताए जा रहे हैं. रविवार, 17 नवंबर को यहां प्रदर्शनकारी भीड़ और पुलिस के बीच हुई झड़प के दौरान गोली लगने से एक युवक की मौत हो गई. इस बीच "सामान्य स्थिति बहाल करने" में सरकार की विफलता का हवाला देते हुए नेशनल पीपुल्स पार्टी (NPP) 17 नवंबर को ही भारतीय जनता पार्टी (BJP) से अपना समर्थन वापस ले लिया. इसके बाद 18 नवंबर को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नेतृत्व में एक उच्चस्तरीय बैठक हुई (Amit Shah meeting on Manipur). इसमें फैसला लिया गया कि CAPF की 50 अतिरिक्त कंपनियां मणिपुर भेजी जाएंगी.
इंडिया टुडे से जुड़ीं मनीषा पांडे की रिपोर्ट के मुताबिक बैठक के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर में सुरक्षा तैनाती की समीक्षा की. उन्होंने केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों (CAPF) तथा राज्य पुलिस अधिकारियों को क्षेत्र में शांति और व्यवस्था बनाए रखने का निर्देश दिया. गृह मंत्री की अध्यक्षता में राज्य की सुरक्षा पर विचार-विमर्श का ये लगातार दूसरा दिन था.
केंद्र सरकार ने अब राज्य में CAPF की 50 अतिरिक्त कंपनियां भेजने का फैसला किया है. इससे पहले 20 कंपनियां तैनात की गई थीं. माने राज्य में अब कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए CAPF की कुल 70 यूनिट्स तैनात की जा चुकी हैं.
उधर, NPP नेता और मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड संगमा ने एन बीरेन सिंह सरकार से समर्थन वापस लेने के पीछे के कारणों पर अपना पक्ष सामने रखा है. इंडियन एक्सप्रेस को दिए एक इंटरव्यू में संगमा ने बताया कि उन्होंने भाजपा के नेतृत्व के सामने राज्य के मुद्दों पर कई बार चर्चा की है. इस मुद्दे पर पीएम मोदी के साथ पिछली बैठक के दौरान हुई चर्चा से जुड़े सवाल के जवाब में संगमा ने बताया,
“मुख्यमंत्री के तौर पर मैं प्रधानमंत्री के साथ राज्य और शासन के मुद्दों पर चर्चा करता हूं. लेकिन भाजपा के नेतृत्व के साथ मैंने कई बार चर्चा की. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ कई बार चर्चा की. मैंने भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा और भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ मुद्दे पर चर्चा की. मैंने उन्हें कई बार बताया कि स्थिति काफी जटिल होती जा रही है, और हमें आगे बढ़ने की जरूरत है.”
संगमा ने बताया कि वो नेताओं से संवाद कर रहे हैं. गृह मंत्री इस मुद्दे को उठाने के लिए सही व्यक्ति हैं, उन्हें बताया गया है कि स्थिति बहुत गंभीर है.
उधर केंद्रीय गृह मंत्रालय द्वारा जारी निर्देशों के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने मणिपुर में हाल की हिंसा से जुड़े तीन मामलों की जांच अपने हाथ में ले ली है. पहला मामला जिरीबाम जिले में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और कुकी उग्रवादियों के बीच हुई मुठभेड़ का है. इस मुठभेड़ में कम से कम 11 कुकी उग्रवादी मारे गए थे. छह लोगों के अपहरण और हत्या के एक अन्य मामले की जांच भी NIA को सौंप दी गई है.
11 नवंबर को फिर से शुरू हुई हिंसाबता दें कि 11 नवंबर को मणिपुर के जिरिबाम जिले के बोकबेरा इलाके में संदिग्ध कुकी विद्रोहियों ने मैतेई समुदाय से आने वाली तीन महिलाओं और तीन बच्चों का अपहरण किया था. इस दौरान ही विद्रोहियों के एक समूह ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) के कैंप पर भी हमला किया था. जिन तीन महिलाओं और तीन बच्चों का अपहरण हुआ, उनमें से एक महिला और दो बच्चों की लाशें जिरी नदी में 15 नवंबर को तैरती बरामद हुई थीं. इस घटना के बाद से मणिपुर में स्थिति और तनावपूर्ण हो गई थी. राज्य में जमकर प्रदर्शन हुए और प्रदर्शनकारियों ने वाहनों में आग लगा दी. कई विधायकों, मंत्रियों के आवासों पर हमले भी किए गए.
वीडियो: "मणिपुर की पुलिस मैतेई पुलिस..." इस बयान पर विवाद, राज्य की पुलिस ने जवाब दिया