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"कई महाराजा आए और गए लेकिन...", अजमेर दरगाह वाली याचिका मंजूर होने पर भड़के ओवैसी

ओवैसी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करके प्रधानमंत्री पर भी सवाल उठाया. उन्होंने लिखा कि बहुत अफसोस की बात है कि हिंदुत्व संगठनों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.

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Owaisi on ajmer sharif dargah
AIMIM के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी. (फोटो - पीटीआई)
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साकेत आनंद
27 नवंबर 2024 (Published: 23:50 IST)
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राजस्थान की अजमेर शरीफ दरगाह में 'शिव मंदिर' होने का दावे पर स्थानीय कोर्ट में एक याचिका दाखिल की है. कोर्ट ने याचिका स्वीकार करते हुए तीन पक्षकारों को नोटिस जारी किया है. इस पर AIMIM प्रमुख और हैदराबाद से सांसद ने सवाल उठाया है. उन्होंने 1991 के प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट का जिक्र करते हुए कहा है कि अदालतों का फर्ज बनता है कि वो इस कानून को अमल में लाए. ये कानून स्वतंत्रता के समय मौजूद किसी भी धार्मिक पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को बदलने पर रोक लगाता है.

27 नवंबर को ओवैसी ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट करके प्रधानमंत्री पर भी सवाल उठाया. उन्होंने लिखा कि बहुत अफसोस की बात है कि हिंदुत्व संगठनों का एजेंडा पूरा करने के लिए कानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं.

अजमेर में 13वीं शताब्दी के सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह है. इस दरगाह पर हर दिन अलग-अलग धर्मों के हजारों लोग पहुंचते हैं. अब इसी दरगाह में शिव मंदिर को लेकर बड़ा दावा किया गया है.

इसी पर प्रतिक्रिया देते हुए ओवैसी ने पोस्ट किया है, 

"सुल्तान-ए-हिन्द ख़्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती (RA) भारत के मुसलमानों के सबसे अहम औलिया इकराम में से एक हैं. उनके आस्तान पर सदियों से लोग जा रहे हैं और जाते रहेंगे इंशाअल्लाह. कई राजा, महाराजा, शहंशाह, आए और चले गए, लेकिन ख़्वाजा अजमेरी का आस्तान आज भी आबाद है. 1991 का इबादतगाहों का कानून साफ कहता है के किसी भी इबादतगाह की मजहबी पहचान को तब्दील नहीं किया जा सकता, ना अदालत में इन मामलों की सुनवाई होगी. ये अदालतों का कानूनी फर्ज है कि वो 1991 एक्ट को अमल में लाएं. बहुत ही अफसोसनाक बात है के हिंदुत्व तंज़ीमों का एजेंडा पूरा करने के लिए क़ानून और संविधान की धज्जियां उड़ाई जा रहीं हैं और नरेंद्र मोदी चुप चाप देख रहे हैं."

इसी तरह आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह ने भी सवाल उठाए हैं. आजतक से बातचीत में संजय सिंह ने कहा कि इस पर सुप्रीम कोर्ट को तत्काल हस्तक्षेप करना चाहिए. उन्होंने कहा है, 

"बीजेपी सिर्फ झगड़ा कराना चाहती है. इसलिए मैंने इस पार्टी का नाम भारतीय झगड़ा पार्टी रखा है. अमन-चैन बिगाड़ना है. अजमेर शरीफ मुसलमानों के लिए धार्मिक स्थान नहीं है. भारी संख्या में वहां पर हिंदू भी जाते हैं. मुझे लगता है कि बीजेपी शासित राज्यों में देश के ताने-बाने को बिगाड़ा जा रहा है."

अजमेर दरगाह में शिव मंदिर का दावा करते हुए विष्णु गुप्ता नाम के व्यक्ति ने कोर्ट में याचिका दाखिल की है. विष्णु ‘हिंदू सेना’ संगठन के प्रमुख हैं.

विष्णु गुप्ता के वकील योगेश सिरोजा ने मीडिया से कहा कि दरगाह में एक शिव मंदिर होना बताया जा रहा है. उन्होंने दावा किया कि उसमें पहले पूजा पाठ होता था. पूजा पाठ दोबारा शुरू करवाने के लिए सितंबर 2024 में एक याचिका दायर की गई थी.

ये भी पढ़ें- क्या है पूजा स्थल अधिनियम, जिसका जिक्र बार-बार ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में किया जा रहा है?

याचिकाकर्ता ने अजमेर दरगाह को ‘संकट मोचन महादेव मंदिर’ घोषित करने की मांग की है. दरगाह की जगह को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से सर्वे कराने और वहां हिंदुओं को पूजा करने का अधिकार देने की भी मांग हुई है.

इसी याचिका को स्वीकारते हुए कोर्ट ने अजमेर दरगाह कमेटी, केंद्रीय अल्पसंख्यक मंत्रालय, ASI को नोटिस जारी किया है. कोर्ट में अगली सुनवाई 20 दिसंबर को होनी है.

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