सिस्टम को गच्चा देकर 24 लोगों ने यूपी सरकार में 30 साल नौकरी कर ली, अब सैलरी, पेंशन सब वसूला जाएगा
इन कर्मचारियों ने 30 साल पहले फर्जी तरीके से कलेक्टर ऑफिस में नौकरी पाई थी.
उत्तर प्रदेश में साल 1993 से 1995 के बीच कथित तौर पर फर्ज़ी तरीके से नौकरी पाने वाले 24 सरकारी कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है. आरोप है कि इन्होंने राजस्व परिषद के फर्जी आदेश के जरिये नौकरी पाई थी. अब 30 साल बाद सरकार ने इन पर कार्रवाई की है.
30 साल की नौकरी निकली फर्जीवाड़ाये पूरा मामला यूपी के दो जिलों कासगंज और एटा का है. आजतक से जुड़े देवेश पाल सिंह की एक रिपोर्ट के मुताबिक 1995 में एटा के तत्कालीन डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट मेजर आरके दुबे को एक लेटर मिला. इस लेटर में इन्हीं 24 कर्मचारियों की नियुक्ति का आदेश था. लेटर के आधार पर सभी को सरकारी नौकरी दे दी गई. इसके कुछ साल बाद शिकायत दर्ज की गई कि ऐसा कोई आदेश कभी जारी ही नहीं हुआ था. जांच हुई और तब राजस्व परिषद ने भी स्पष्ट किया कि उनकी ओर से ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया था.
फ़ाइल दबाई गईअभी तक हम यूट्यूब-इंस्टाग्राम पर सुन रहे थे 'सच्चाई छुपाई गई, अफवाह उड़ाई गई'. इस मामले में ये कथन एकदम फिट बैठता है. बस थोड़ा सा चेंज करना है, 'फ़ाइलें दबाई गईं'. आरोप है कि इस मामले को टालने के लिए लंबे समय तक फ़ाइलें दबा दी गईं. हर जुगत लगाई गई कि इन 24 लोगों को बचाया जाए. पर 2019 में फिर से एक बार शिकायत की गई और जांच शुरू हुई.
जांच में सामने आया कि नौकरी पाने वाले कर्मचारियों ने कई सारे दस्तावेज ही गायब कर दिए थे. बाद में इस मामले में एक SIT का गठन हुआ. SIT की जांच रिपोर्ट के मुताबिक 30 कर्मचारी सरकारी नौकरी के इस फर्जीवाड़े में संलिप्त थे. इनमें से 4 लोग अभी भी कार्यरत थे. सरकार ने इन्हें बर्खास्त कर दिया है. साथ ही रिटायर हो चुके आरोपी कर्मचारियों से भी वेतन और नौकरी के दौरान मिले बाकी लाभों की रिकवरी का आदेश जारी कर दिया है.
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