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लड़कियों को कम उम्र में क्यों शुरू हो रहे हैं पीरियड्स? डॉक्टर से जानिए

समय से पहले प्यूबर्टी आने को प्रीकोशियस प्यूबर्टी कहते हैं. इसी के चलते कम उम्र में ही पीरियड्स शुरू हो जाते हैं. लड़कियों में प्यूबर्टी शुरू होने की औसत उम्र पहले 11 साल थी. अब ये घटकर 8 साल हो गई है. ऐसा क्यों हो रहा है?

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early puberty in young girls
प्यूबर्टी जल्दी होने में जीन्स का भी अहम रोल होता है. (सांकेतिक तस्वीर)
23 सितंबर 2024 (Published: 15:42 IST)
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कुछ सालों पहले तक, लड़कियों में प्यूबर्टी शुरू होने की औसत उम्र 11 साल थी. यानी 11-12-13 साल की उम्र तक उनके पीरियड्स होना शुरू हो जाते थे. लेकिन पिछले कुछ सालों से लड़कियों में प्यूबर्टी काफ़ी कम उम्र में ही शुरू हो जाती है. 11 साल से घटकर ये उम्र 8 साल हो गई है. ऐसा क्यों हो रहा है? ये हमने पूछा गुरुग्राम के क्लाउडनाइन हॉस्पिटल की सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट डॉक्टर अंशिका लेखी से. 

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डॉ. अंशिका लेखी, सीनियर गायनेकोलॉजिस्ट, क्लाउडनाइन अस्पताल, गुरुग्राम

डॉक्टर अंशिका बताती हैं कि अगर प्यूबर्टी समय से पहले हो जाए तो इसे प्रीकोशियस प्यूबर्टी (Precocious puberty) कहते हैं. इसी के चलते मेंस्ट्रुअल साइकिल भी जल्दी शुरू हो जाता है और पीरियड्स आने लगते हैं. ऐसा होने की पहली वजह है मोटापा. आजकल बच्चे एक्सरसाइज़ कम रह रहे हैं. हाई कैलोरी डाइट ज़्यादा खा रहे हैं. इससे उनके शरीर में फैट इकट्ठा होने लगता है.

दरअसल मेंस्ट्रुअल साइकिल को एस्ट्रोजन नाम का हॉर्मोन (Estrogen Hormone) कंट्रोल करता है. वैसे तो ये हॉर्मोन ओवरी में बनता है. लेकिन, शरीर के फैट सेल्स भी थोड़ी मात्रा में एस्ट्रोजन बनाते हैं. ऐसे में जब शरीर से फैट जमा होता है. तब एस्ट्रोजन का लेवल भी बढ़ जाता है. इससे प्यूबर्टी समय से पहले हो जाती है.

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जंक फ़ूड में अनहेल्दी फैट और शुगर ज़्यादा होती है

दूसरी वजह है जंक फ़ूड और प्रोसेस्ड फ़ूड खाना. इस तरह के खाने में अनहेल्दी फैट और शुगर ज़्यादा होती है. जिससे हमारे हॉर्मोन्स का बैलेंस गड़बड़ा जाता है. एस्ट्रोजन का लेवल बढ़ने लगता है और प्यूबर्टी जल्दी होती है.

ये भी पढ़ें- वजन घटते ही पीरियड साइकिल गड़बड़ा गई? डॉक्टर ने बताया सही कैसे करें

प्यूबर्टी जल्दी होने में जीन्स का भी अहम रोल होता है. अगर किसी लड़की के परिवार की महिलाओं को समय से पहले प्यूबर्टी होती रही है, तो उस लड़की को भी अर्ली प्यूबर्टी होने का चांस ज़्यादा है. ऐसी बच्चियों में पीरियड्स जल्दी होते हैं.

कुछ खास केमिकल्स के संपर्क में आने से भी प्रीकोशियस प्यूबर्टी हो सकती है. जैसे बिस्फेनॉल ए और थैलेट्स. ये केमिकल प्लास्टिक की बोतलों और पर्सनल केयर प्रोडक्ट्स में पाए जाते हैं. इनसे शरीर का एंडोक्राइन सिस्टम गड़बड़ा जाता है. 

एंडोक्राइन सिस्टम शरीर की कई ग्रंथियों का एक नेटवर्क है. ये हॉर्मोन बनाने के साथ उसे रिलीज करता है. जब ये सिस्टम गड़बड़ाता है, तो रिप्रोडक्टिव सिस्टम के विकास पर भी असर पड़ता है. जिससे पीरियड्स जल्दी होते हैं.

अगर आपके घर में कोई छोटा बच्चा है, तो उसे हेल्दी डाइट दें. बाहर की चीज़ें कम से कम खिलाएं. उसे जो भी खाना है, वो घर पर बनाएं, जिससे उसका वज़न ज़्यादा न बढ़े. साथ ही, प्रोडक्ट्स खरीदते समय लेबल ज़रूर चेक करें. अगर उनमें बिस्फेनॉल ए और थैलेट्स हैं, तो उन्हें न खरीदें. बच्चों के एक्सरसाइज करने पर ज़रूर ज़ोर दें.

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