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'यूपी-बिहार वालों को दिल्ली से भगाओ', BJP सांसद रमेश बिधूड़ी ने ये कब कहा?

रमेश बिधूड़ी को लेकर एक कथित अखबार की कटिंग वायरल है. कहा जा रहा इस बार निशाना यूपी बिहार वालों पर है.

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रमेश बिधूड़ी का एक कथित बयान वायरल है. (तस्वीर/PTI, तस्वीर@INCUttarPradesh)
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शुभम सिंह
27 सितंबर 2023 (Updated: 27 सितंबर 2023, 20:44 IST)
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दावा:

रमेश बिधूड़ी (Ramesh Bidhuri) दक्षिण दिल्ली से बीजेपी (BJP) के सांसद हैं. बीते सप्ताह वो लोकसभा में विवादित टिप्पणी करने के कारण चर्चा में थे. अब उनके एक कथित बयान को लेकर सोशल मीडिया पर पोस्ट वायरल हैं. पोस्ट में एक कथित अखबार की कटिंग है. इसमें छपी खबर की हेडिंग में रमेश बिधूड़ी के हवाले से लिखा है कि अब दिल्ली से भी यूपी-बिहार वालों को भगा देना चाहिए.

यूपी कांग्रेस ने वायरल पोस्ट शेयर करते हुए लिखा, 

भाजपा सांसद रमेश बिधूड़ी की बेलगामी बढ़ती ही जा रही है. अब ये UP-बिहार वालों को दिल्ली से भगाने चले हैं. मूर्ख मानव को यह भी नहीं पता कि अगर ये लोग चले गए तो दिल्ली में बचेगा कौन? और क्या ये देश के अंदर ही दो देश बनाने की फिराक में हैं?

(ट्वीट का आर्काइव लिंक यहां देखा जा सकता है.)

इसके अलावा कई अन्य यूजर्स ने भी अखबार की खबर जैसी दिख रही वायरल कटिंग की तस्वीर शेयर की है.

पड़ताल

‘दी लल्लनटॉप’ की जांच में सांसद रमेश बिधूड़ी को लेकर किया गया यह दावा भ्रामक निकला.

दावे की सच्चाई जानने के लिए हमने गूगल पर अलग-अलग कीवर्ड्स के सहारे सर्च किए. हमें ऐसी कोई प्रामाणिक रिपोर्ट नहीं मिली, न ही रमेश बिधूड़ी का ऐसा कोई बयान मिला, जिससे वायरल दावे की पुष्टि होती हो.

फेसबुक और ट्विटर (‘X’) पर सर्च करने पर हमारे संज्ञान में आया कि कथित अखबार की कटिंग पांच साल पहले भी वायरल हो चुकी है.

इसके बाद हमने सांसद रमेश बिधूड़ी का फेसबुक अकाउंट खंगाला. उनके फेसबुक अकाउंट पर 13 सितंबर 2018 को किया गया एक पोस्ट मिला. उन्होंने अपने इस पोस्ट में ही वायरल दावे को फर्जी बताया था. सांसद बिधूड़ी ने लिखा था कि उनके नाम से यूपी,बिहार के लोगों को लेकर एक बयान चलाया गया जबकि इसमें न किसी अखबार का नाम है और ना छापने वाले का नाम है.

रमेश बिधूड़ी की पोस्ट का स्क्रीनशॉट.

इसके अलावा उस वक्त दिल्ली बीजेपी ने भी ट्वीट कर रमेश बिधूड़ी को लेकर हो रहे दावे का खंडन किया था. बीजेपी दिल्ली ने खबर को पूरी तरह झूठी और निराधार बताया था.

नतीजा

कुल मिलाकर, हमारी पड़ताल में यह सामने आया कि वायरल अखबार की कटिंग फर्जी है. यह पांच साल पहले भी वायरल की गई थी, जिसका बीजेपी और रमेश बिधूड़ी ने खंडन किया था.  


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