‘दो और दो प्यार’ की सबसे अच्छी बात ये है कि यहां कोई हीरो या विलन नहीं. बस इसकेकेंद्र में कुछ लोग हैं जो हम-आप जैसे हैं. वो आपस में बात नहीं करते, और फिर उनचीज़ों के फट पड़ने का इंतज़ार करते हैं. उनके प्यार जताने, बताने और दिखाने के तरीकेक्यों एक-दूसरे से जुदा है, क्यों दूसरा इंसान पहले वाले की तरह प्यार नहीं करता,क्यों प्यार शब्द की एक्स्पेक्टेशन ही दो लोगों के दिमाग में बिल्कुल अलग है, फिल्मबिना जज किए ऐसे पहलुओं को छूती है.फिल्म के बारे में विस्तार से जानने के लिएदेखें वीडियो.