आप कई बार एक झटके के कारण नींद से उठते हैं. पिछले 15 दिनों से मेरी जिंदगी एकसस्पेंस स्टोरी की तरह हो गई है. मुझे बस इतना पता है कि रेयर स्टोरीज को खोजते हुएमुझे एक रेयर बीमारी हो गई. मैंने कभी हार नहीं मानी और हमेशा अपनी पसंद के लिएफाइट की. मेरा परिवार और दोस्त मेरे साथ हैं और हम इससे निकलने का पूरा प्रयास कररहे हैं. कृपया किसी तरह के कयास न लगाएं. क्योंकि एक सप्ताह या 10 दिनों के अंदरजब जांच किसी निष्कर्ष पर पहुंचेगी, मैं खुद अपनी कहानी आपको सुनाऊंगा. तब तक प्लीजमेरे लिए प्रार्थना कीजिए. ये था इरफ़ान का पांच मार्च को किया गया ट्वीट.🙏🏻 pic.twitter.com/JXD8NKwH3D— Irrfan (@irrfank) March 5, 2018 तुरंत कयासों का बाज़ार गर्म हो गया. कोई कहनेलगा कि उनको पीलिया है और वो विदेश इलाज के लिए जाने वाले हैं. कई फ़िल्मीसेलिब्रिटीज़ ने उनके अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना भी की - We all are with yousir. Wishing you a speedy recovery. 🙏🏻 — Ayushmann Khurrana (@ayushmannk)March 6, 2018 A prayer to god to grant @irrfank an exceptional talent a long and a healthylife . https://t.co/0Gn9PEDYlD— Paresh Rawal (@SirPareshRawal) March 6, 2018 No matter what, I am sure youwill emerge as a hero out of this too @irrfank All our prayers with you. Getwell soon. https://t.co/mFvI4OW6r8 — Suniel Shetty (@SunielVShetty) March 6,2018 लेकिन उसके बाद आज सुबह दैनिक भास्कर ने लिखा कि इरफ़ान खान कोग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफोर्मे (जीबीएम) ग्रेड-4 की बीमारी हो गई है. चूंकि अभी किसीऔर माध्यम से इस खबर की पुष्टि नहीं हुई है इसलिए हम दुआ कर रहे हैं कि इरफ़ान खानको ये रोग न हो. होने को ट्रेड एनालिस्ट कोमल नहाटा ने भी ट्वीट करते हुए ये कहा हैकि जो खबरें मीडिया में फैल रही हैं वो निराधार हैं.Although IrrfanKhan is unwell, all malicious news being spread about him and hiscondition since an hour or two are untrue. Likewise, all other horrendous newsrelating to his hospitalisation are fake. By God’s grace, Irrfan is in Delhi andthat’s the only truth.— Komal Nahta (@KomalNahta) March 6, 2018 इरफ़ान खान की बीमारी को ‘डेथ ऑनडायग्नोसिस’ के मेटाफर दिया जा रहा है. ‘डेथ ऑन डायग्नॉसिस’ मतलब, इस रोग का पताचलते ही ये बात निश्चित हो जाती है कि रोगी की मृत्यु निश्चित है. इन ढेर सारीदुआओं के साथ कि इरफ़ान के बारे सारी बुरी ख़बरें झूठ निकलें आइए हम जानते हैं किजीबीएम ग्रेड-4 क्या है और क्या ये एक घातक बीमारी है?--------------------------------------------------------------------------------# ब्रेन ट्यूमरहमने इस रोग का नाम बहुत सुना है. लेकिन ब्रेन ट्यूमर दरअसल कोई रोग नहीं एक‘अम्ब्रेला टर्म’ है, जिसके अंदर दिमाग से संबंधित वो सारी बीमारियां आ जाती हैंजिनमें दिमाग में गांठ बन जाए. और गांठ कैसे बन जाती है? गांठ बनती है कोशिकाओं मेंअनियमित वृद्धि से. अब हमने कहा कि ये एक अम्ब्रेला टर्म है या अपेक्षाकृत ज़्यादाजैनेरिक टर्म है तो और स्पेसिफिक होकर बात करें तो ब्रेन ट्यूमर तीन तरह के होतेहैं – # बिनाइन ट्यूमर (Benign Tumor) यदि सर की कोई गांठ कैंसर नहीं है तो उसेबिनाइन ट्यूमर कहा जाता है. # कैंसरस ट्यूमर या मेलिगनेट ट्यूमर (Malignant Tumor)बिनाइन ट्यूमर के जस्ट अपोज़िट यदि सर में पहले कोइ गांठ डायग्नॉस हुई है और वो गांठदरअसल एक कैंसर है तो इस गांठ को मेलिगनेट ट्यूमर कहा जाता है. यानी ब्रेन का हरकैंसर ट्यूमर होता है लेकिन हर ट्यूमर कैंसर हो ये ज़रूरी नहीं. # मेटास्टेटिस कैंसर(Metastatic Cancer) यदि अतीत में शरीर के किसी भाग में कैंसर रहा हो और उसका उपचारचल रहा हो, या वो सही हो चुका हो, लेकिन वही कैंसर फैल कर शरीर के दूसरे हिस्से मेंपहुंच जाए तो उसे मेटास्टेटिस कैंसर कहते हैं.--------------------------------------------------------------------------------# कारणमानव के शरीर में कैंसर पैदा करने वाले वाह्य कारकों या पदार्थों को कार्सिनोजेनिकपदार्थ कहा जाता है, इनमें प्लास्टिक और प्लास्टिक के बाय-प्रोडक्ट, शीशा, पाराजैसे ढेरों पदार्थ शामिल हैं. कार्सिनोजेनिक पदार्थों के अलावा पर्यावरण प्रदूषण भीकैंसर और ट्यूमर का एक और बड़ा कारण है. होने को पहला और दूसरा कारण बहुत अलग नहींहै. फिर भी... जींस, यानी जैनेटिक्स भी कैंसर का कारण हो सकती है. मतलब यदि किसीव्यक्ति के माता-पिता, दादा-दादी, नाना-नानी को ये रोग हुआ है तो उस व्यक्ति को भीये रोग होने की संभावना बन/बढ़ जाती है. टेक्निकली इसे हम हिंदी में वंशानुगत रोग भीकह सकते हैं. खान-पान, कॉस्मेटिक्स, सिगरेट-बीड़ी, शराब और अन्य नशीले पदार्थों कासेवन करना भी कैंसर, ट्यूमर, ब्रेन ट्यूमर वगैरह का कारण हो सकता है. होने को ऐसाकिसी ‘ऑफिसियल’ स्टडी में प्रूफ नहीं हुआ है, लेकिन मोबाइल का ज़्यादा उपयोग भीविभिन्न तरीके के कैंसर्स का कारण बन सकता है.--------------------------------------------------------------------------------# लक्षणजब हमें कारणों की बात की तो ट्यूमर या ब्रेन ट्यूमर की बात नहीं की बल्कि कैंसर कीबात की फिर वो चाहे शरीर के किसी भी अंग का हो. अब लक्षण की बात करते वक्त हम केवलब्रेन ट्यूमर की बात करेंगे. तो इसका सबसे कॉमन लक्षण तो सर दर्द ही है. लेकिनट्यूमर का सर-दर्द बाकी सर-दर्द की तुलना में कम समय तक रहता है. साथ ही सुबह उठतेवक्त यदि सर-दर्द हो रहा हो तो सचेत होना ज़रुरी है. विशेषज्ञ कहते हैं कि यदिसर-दर्द के दौरान उल्टी करने की इच्छा हो रही हो और उल्टी कर चुकने के बाद आराम आएतो इसे भी ट्यूमर के संकेत के रूप में लेना चाहिए. डॉक्टर्स ये भी कहते हैं किसर-दर्द के दौरान चीज़ें धुंधली दिखना भी ट्यूमर की ओर इशारा करता है. और साथ ही यदिआपका और आपके परिवार का मिर्गी का कोई इतिहास न रहा हो लेकिन आपको अचानक से मिर्गीके दौरे आना शुरू हो चुके हैं तो भी डॉक्टर, न्यूरोलॉजिस्ट को दिखवा लेना चाहिए.अचानक बिहेवियरल चेंज और हाथ पांव में कमज़ोरी महसूस होना भी ट्यूमर के कुछ लक्षणोंमें से एक है. प्लीज़ ध्यान दें कि ये सारे लक्षण बड़े ‘जेनेरिक’ हैं. मतलब कि येसारे किसी अन्य बीमारी के चलते भी संभव हैं. पूरी जानकारी तो डायग्नॉसिस के बाद हीमिल पाती है.--------------------------------------------------------------------------------# इलाजएमआरआई से एक्यूरेटली पता चल जाता है कि दिमाग के किस हिस्से में ट्यूमर है और उसकीवर्तमान स्थिति क्या है. ब्रेन मैपिंग से ये पता लग जाता है कि दिमाग के कितनेहिस्से को ट्यूमर प्रभावित कर रहा है, और इसका इलाज करने के दौरान क्या क्या अन्यपरेशानियां संभव हैं. इसके अलावा सीटी स्कैन, एंजियोग्राम, स्पाइनल टैब, बायोप्सीद्वारा भी ब्रेन ट्यूमर की पहचान और स्पेसिफिकेशन का पता चलता है. ये तो थीडायग्नॉसिस की बात, अब अगर इलाज की बात करें तो, यदि ट्यूमर 2 सेंटीमीटर से छोटाहुआ तो गामा रेज़ या लेज़र वगैरह से ही इसका इलाज संभव है और ऑपेरट करने की कोई जरूरतनहीं पड़ती. अन्यथा सर्जरी, रेडियोथेरेपी या कीमोथेरेपी या इनके कॉम्बिनेशन्स कासहारा लेना पड़ता है. मरीज़ को इलाज के लिए न्यूरोसर्जन, न्यूरो ऑन्कोलोजिस्ट, मेडिकलऑन्कोलोजिस्ट, रेडियेशन ऑन्कोलोजिस्ट या न्यूरो रेडियोलोजिस्ट के पास या इनमें सेएकाधिक विशेषज्ञों के पास जाना पड़ सकता है. डॉक्टर कहते हैं कि कोई भी दो ट्यूमरसमान नहीं होते, इसलिए उनके इलाज़ में भी ज़मीन आसमान का फर्क है. जैसा कि हम पहले भीकह चुके हैं कि ट्यूमर कोई रोग नहीं रोगों के लिए एक ‘अम्ब्रेला टर्म’ है. मरीज़ कीउम्र, उसके लिंग, उसके स्वास्थ के साथ साथ ब्रेन ट्यूमर का इलाज, ट्यूमर के ग्रेडपर भी सबसे ज़्यादा निर्भर करता है. ग्रेड चार होते हैं. ग्रेड वन सबसे कम जानलेवाऔर बढ़ते बढ़ते ग्रेड फोर सबसे ज़्यादा जानलेवा ट्यूमर होता है.--------------------------------------------------------------------------------# ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफोर्मे (जीबीएम) ग्रेड-4अब बात करते हैं उस ट्यूमर की जो इन दिनों बहुत कुख्यात हुआ पड़ा है -ग्लियोब्लास्टोमा मल्टीफोर्मे (जीबीएम) ग्रेड-4. इस बीमारी की कुछ बेसिक जानकरी तोहमें ऊपर तक के लेख और बीमारी के नाम से ही पता चल जाती है. जैसे इसके नाम मेंग्रेड-4 जुड़ा है. यानी ये सबसे घातक ट्यूमर है. अब दूसरी जानकारी आपको बता दें किये मेलिगनेट ट्यूमर है. यानी ऊपर के लेख से पता ही चल गया होगा कि कैंसर वालाट्यूमर. इसके बारे में सबसे दुखद बात ये है कि उपचार न हो पाने की स्थिति में रोगीकेवल तीन महीने तक बच पाता है. और यदि उपचार हुआ भी तो अधिकतम सवा साल. सौ में सेचार लोग ही इस बीमारी के बावज़ूद पांच वर्ष तक जीवित रह पाते हैं. ग्रेड-4 के ट्यूमरका इलाज सर्जरी से ही संभव है, और चूंकि यह भी ग्रेड-4 ट्यूमर है इसलिए इसमेंसर्जरी ही एकमात्र रास्ता बचता है. होने को यह ट्यूमर इतना उलझ जाता है कि सर्जरीके माध्यम से भी इसका पूरी तरह से इलाज संभव नहीं हो पाता. यानी ये बात मोटा-मोटीतौर पर सही कही जा सकती है कि यदि किसी रोगी को जीबीएम ग्रेड-4 नाम की बीमारी हुईहै तो मिरेकल हो जाने की दशा में भी वह पांच वर्ष से अधिक समय तक नहीं बचाया जासकता. इंडिया या वैश्विक स्तर पर तो आंकड़े उपलब्ध नहीं है लेकिन यूएस में एक लाखलोगों में से दो से तीन लोगों में ये बीमारी पाई जाती है.--------------------------------------------------------------------------------ये भी पढ़ें:अब व्हाट्सएप मैसेजेस 4,096 सेकंड्स तक डिलीट कर सकते हैं, मगर 4,096 सेकंड्स हीक्यों?हार्ट फेल और हार्ट अटैक में क्या अंतर है और कैसे इन दोनों से बचा जाए, जान लोक्या है ‘पिंक स्लिप’ जो नीरव मोदी बांट रहे हैं, और जिनको मिल रही है वो दुखी हैंहाइपर-लूप: बुलेट ट्रेन से दोगुनी स्पीड से चलती है ये ‘ट्रेन’ATM में उल्टा पिन डालने से क्या होता है?हमने 2018-19 के इनकम टैक्स की सारी बातें दो के पहाड़े सी आसान कर दी हैं‘वंस इन अ ब्लू मून’ जैसे इन 4 मुहावरों के पीछे का विज्ञान बड़ा इंट्रेस्टिंग हैएमआरआई से एक आदमी की मौत के बावज़ूद आपको डरने की जरूरत क्यों नहीं है?--------------------------------------------------------------------------------वीडियो देखें:त्रिपुरा, नागालैंड, मेघालय में BJP ने कमाल कैसे किया?