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वो 5 वजहें, जिनकी वजह से शाहरुख खान की 'पठान' को लेकर मार्केट में इतना भयंकर बज़ बना

शाहरुख खान यानी वो सुपरस्टार जो तमाम नेगेटिविटी के बीच पॉज़िटिविटी का प्रतीक बनकर अड़ गया.

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फिल्म 'पठान' का एक सीन.
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श्वेतांक
24 जनवरी 2023 (Updated: 24 जनवरी 2023, 15:42 IST)
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Pathaan को लेकर मार्केट में जो बज़ है, वैसा शायद ही किसी हिंदी फिल्म को लेकर देखा गया है. Shahrukh Khan की इस फिल्म ने हिंदी सिनेमा इतिहास की अडवांस बुकिंग के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं. इस तरह की एक्साइटमेंट और बेसब्री की वजह क्या है. लोगों का कहना है कि शाहरुख चार साल के बाद किसी फिल्म में लीड रोल करते दिखाई देंगे. ये एक वजह हो गई. मगर 'पठान' को लेकर जो भौकाल मार्केट में बना हुआ है, उसकी ये इकलौती वजह नहीं हो सकती. आज हम उन वजहों को डिकोड करने की कोशिश करेंगे, जिन्होंने 'पठान' को वो फिल्म बनाया, जिसे ऐतिहासिक प्री-रिलीज़ बज़ के लिए आने वाले समय में भी याद किया जाएगा.  

1) चार साल बाद शाहरुख खान किसी फिल्म में हीरो के तौर पर नज़र आएंगे

लीड रोल में शाहरुख खान की आखिरी फिल्म थी 'ज़ीरो'. 2018 में आई थी. उसके बाद से शाहरुख 'रॉकेट्री', 'लाल सिंह चड्ढा' और 'ब्रह्मास्त्र' जैसी फिल्मों में गेस्ट रोल्स कर चुके हैं. 'द ज़ोया फैक्टर' को नैरेट कर चुके हैं. इनमें से कोई भी किरदार ऐसा नहीं था, जिसे ब्लिंक एंड मिस माना जाए. कहने का मतलब ये कि शाहरुख बीच-बीच में बड़े परदे पर नज़र आ रहे थे. इसलिए ये तो नहीं कहा जा सकता कि पब्लिक ने उन्हें बिग स्क्रीन पर बहुत मिस किया.  

1992 यानी करियर शुरू करने के बाद से ऐसा कोई साल नहीं रहा, जब शाहरुख खान की कोई फिल्म नहीं आई. 1999 वो इकलौता साल था, जब शाहरुख खान की सिर्फ एक फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज़ हुई. अब्बास-मुस्तन की 'बादशाह'. इसके अलावा कोई गेस्ट अपीयरेंस, कोई कैमियो, कुछ नहीं. अगली बार ऐसा देखा गया 2009 में. इस साल शाहरुख खान के लीड रोल वाली कोई फिल्म नहीं आई. करियर में पहली बार. हालांकि उन्होंने 'लक बाई चांस' और 'बिल्लू' जैसी फिल्मों में कैमियो किया. ये वो साल था, जब शाहरुख 'माय नेम इज़ खान' पर काम कर रहे थे.

2011 के बाद से शाहरुख खान समेत तमाम सुपरस्टार्स ने एक अनकहा सा रूल बना लिया. साल में एक फिल्म करने का. 'जब तक है जान', 'चेन्नई एक्सप्रेस' सुपरहिट रहीं. मगर उसके बाद शाहरुख का बॉक्स ऑफिस सूखा शुरू हुआ. 'हैप्पी न्यू ईयर' ठीक-ठाक चली. 'दिलवाले' और 'फैन' नहीं चलीं. डेस्परेशन के मारे शाहरुख ने 2017 में दो फिल्में की. 'रईस' और 'जब हैरी मेट सेजल'. दोनों पिट गईं. फिर आनंद एल. राय की 'ज़ीरो' आई. इस फिल्म से शाहरुख और जनता, दोनों को बहुत उम्मीदें थीं. बड़े प्यार से बनाई गई फिल्म थी. जब ये फिल्म नहीं चली, तो शाहरुख का दिल टूट गया. ये बात उन्होंने खुद अपने इंटरव्यू में कही. क्योंकि उन्होंने मास एंटरटेनर फिल्में कर लीं. प्रयोगधर्मी सिनेमा करके देख लिया. हार्डकोर रोमैंटिक फिल्म भी कर डाली. मगर कुछ वर्क नहीं किया. इसलिए उन्होंने ब्रेक लेने का फैसला किया.  

ज़ाहिर तौर पर ये ब्रेक एक बड़ी वजह है, जिसके लिए पब्लिक उन्हें 'पठान' में देखने को लालायित बैठी है.

2) शाहरुख खान का ब्लॉकबस्टर स्पाई यूनिवर्स का हिस्सा बनना

YRF ने पिछले कुछ सालों में जो भी बनाया है, जनता ने रिजेक्ट कर दिया. स्पाई यूनिवर्स YRF की वो प्रॉपर्टी है, जिसके साथ वो कुछ भी गलत नहीं जाने देना चाहते. हालांकि शाहरुख खान को इस यूनिवर्स में लाना रिस्की था. क्योंकि उन्होंने पिछले 8 सालों में कोई हिट पिक्चर नहीं दी थी. मगर हम जिस आदमी की बात यहां कर रहे हैं, उसका नाम शाहरुख खान है. उस आदमी ने आदित्य चोपड़ा को बनाया, जिसकी बनाई फ्रैंचाइज़ की हम बात कर रहे हैं. स्पाई यूनिवर्स में एंट्री शाहरुख खान के लिए सेफ बेट था. क्योंकि ये सफल फिल्म सीरीज़ है. इस फ्रैंचाइज़ ने बहुत पैसे कमाए हैं. कल्ट फॉलोइंग है इसकी. इसलिए खतरा कम है. एक और एंगल है. 'सूर्यवंशी' के लिए सबसे बड़ा किक ये था कि इसमें अक्षय कुमार, अजय देवगन, रणवीर सिंह और कटरीना कैफ जैसे सुपरस्टार्स एक साथ दिखेंगे. कमोबेश 'पठान' के फेवर में भी ये चीज़ काम कर रही है कि पब्लिक को शाहरुख खान, सलमान खान, ऋतिक रौशन, जॉन अब्राहम और दीपिका पादुकोण जैसे सुपरस्टार्स साथ में स्क्रीन पर दिखेंगे. 'पठान' को लेकर जो बज़ बना है, उसमें इस यूनिवर्स का भी बड़ा योगदान है.

3) YRF की स्मार्ट और धुआंधार मार्केटिंग

यशराज फिल्म्स मासी फिल्में बनाती है. चित्त पर वित्त को तरजीह देती है. ये प्रोडक्शन कंपनी/स्टूडियो चाहे कुछ भी बनाए, बेचेगी ऐसे जैसे कुछ बवाल बना दिया है. इसे मार्केटिंग या प्रमोशन कहते हैं. 'पठान' को प्रमोट नहीं किया जा रहा है. यही YRF की प्रमोशनल स्ट्रैटेजी है. शाहरुख खान का लुक बदलो. मगर जनता को दिखाओ मत. शाहरुख खान को मीडिया इंटरव्यूज़ मत करने दो. शाहरुख-सलमान को साथ में लेकर बवाल एक्शन सीक्वेंस बनाओ. मगर उस चीज़ का एक टुकड़ा भी फिल्म के टीज़र-ट्रेलर में मत डालो. ये गेम यहां तक पहुंच चुका है कि सलमान की 'किसी का भाई किसी की जान' का टीज़र भी 'पठान' के साथ रिलीज़ किया जा रहा है. मगर ये सिर्फ थिएट्रिकल रिलीज़ होगा. यूट्यूब या अन्य सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर ये टीज़र कुछ समय बाद आएगा. यानी अगर आपको सलमान की फिल्म का टीज़र भी देखना है, तो 'पठान' की टिकट खरीदनी पड़ेगी. YRF सलमान की कट्टर फैन फॉलोइंग का इस्तेमाल भी शाहरुख की फिल्म के लिए कर रही है.

4) 'पठान' और उसके इर्द-गिर्द फैली नेगेटिविटी

जब 'पठान' का गाना 'बेशरम रंग' रिलीज़ हुआ, तो खूब हंगामा हुआ. दीपिका के कपड़ों के साइज़ से लेकर रंग तक पर विवाद हुए. फिल्म को बॉयकॉट करने की मांग की गई. दूसरा गाना आया 'झूमे जो पठान'. बहुत क्रिटिसाइज़ किया गया. क्वॉलिटी पर सवाल उठाए गए. गाने के वीडियो को टिक-टॉक वीडियोज़ से कंपेयर किया गया. फिर ट्रेलर आया. विवाद तो सारे थम गए. मगर ट्रेलर के आधार पर फिल्म को ही खारिज कर दिया गया. ट्रेलर को उम्मीद के मुताबिक नहीं माना गया. सीन्स पर विदेशी फिल्मों के नकल करने के आरोप लगे. कुल जमा बात ये कि फिल्म के इर्द-गिर्द बहुत नकारात्मकता फैला दी गई. शाहरुख खान पिछले 30-35 सालों से काम कर रहे हैं. उनका एक लॉयल फैनबेस है. वो तो 'पठान' देखेगा ही. मगर फिल्म को जिस तरह की नुक्ता-चीनी का सामना करना पड़ा, उससे न्यूट्रल ऑडियंस भी फिल्म के पक्ष में खड़ी हो गई.  

5) वो सुपरस्टार जो सरकार के सामने अड़ गया, जिसका बदला उसके बेटे से लिया गया

आर्यन खान ड्रग्स कांड ने शाहरुख खान का रुतबा बढ़ा दिया. पब्लिक ने इस चीज़ को ऐसे परसीव किया कि एक सुपरस्टार है, जो सरकार की नुमाइंदगी नहीं कर रहा. पीएम का इंटरव्यू नहीं ले रहा. उनके साथ पतंग नहीं उड़ा रहा. इसका बदला सरकार उसकी फैमिली को परेशान करके ले रही है. आर्यन खान का नाम ड्रग्स केस में आया. दो-तीन महीने तो मामला खूब खिंचा, मगर फाइनली ये पता चला कि आर्यन के पास से कोई ड्रग्स बरामद नहीं हुए थे. जनता को लगा कि अपना हीरो जीत गया. सच्चाई की जीत हुई टाइप बातें. उनके दिमाग में शाहरुख खान नाम का एक कैरेक्टर है, जो लाइफ नाम की पिक्चर में मुश्किलों का सामना कर रहा है. और जीत रहा है. वो तमाम नेगेटिविटी के बीच पॉज़िटिविटी का प्रतीक बना खड़ा है. उसे कोई हिला नहीं पाया. सिम्पथी वाला फैक्टर भी शाहरुख के साथ जुड़ा. इसलिए पब्लिक अब उनकी पिक्चर देखकर अपना समर्थन जताना चाहती है.  

जैसे अभी असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कह दिया कि वो शाहरुख खान को नहीं जानते. फिर कुछ देर बाद ट्वीट किया कि श्री शाहरुख खान से उनकी बात हुई. पब्लिक उतने में लहालोट हो गई कि शाहरुख ने एक मुख्यमंत्री को उसकी जगह दिखा दी. 'द पावर ऑफ किंग खान', ये चीज़ ट्विटर पर ट्रेंड करने लगी.

हालांकि शाहरुख खान वो इकलौते एक्टर नहीं हैं, जिनके साथ ऐसा हुआ है. सलमान खान से लेकर संजय दत्त और आमिर खान के साथ भी ये सब हो चुका है. जब सबको लगा कि ब्लैक बक शूटिंग, ऐश्वर्या राय प्रकरण और हिट एंड रन केस के बाद सलमान खान का करियर बर्बाद हो चुका है. ठीक तभी 'तेरे नाम' आ जाती है. सलमान खान का स्टारडम नई ऊंचाईयों पर चला जाता है. वो देशभर के एकतरफा प्रेमियों का देवता बन जाता है. लोगों को लगता है कि यार इस आदमी ने बहुत दुख झेले हैं. हमारे जैसा ही है. इसका भी प्रेम पूरा नहीं हुआ. दुनियावालों ने इसे गलत समझा. वहां से सलमान खान की वो फैन फॉलोइंग बनी, जो आज तक उनकी फिल्में देखती है. और उन लोगों की संख्या बहुत ज़्यादा है. तभी सलमान की बुरी से बुरी फिल्म भी रिलीज़ होते ही 100-200 करोड़ का आंकड़ा बड़ी आसानी से पार कर जाती है.  

संजय दत्त का नाम 1993 मुंबई ब्लास्ट में आया. अप्रैल 1993 में संजय दत्त पर TADA लगाकर जेल में डाल दिया जाता है. 5 मई, 1993 को उन्हें बेल मिल जाती है. 15 जून, 1993 को उनकी पिक्चर 'खलनायक' सिनेमाघरों में उतरती है. उस फिल्म को देखने के लिए सिनेमाघरों के बाहर लाइन लग जाती है. क्यों? क्योंकि पब्लिक को उस आदमी के लिए बुरा लगता है. कुछ लोगों ने ये माना कि उन्हें बेवजह इस केस में फंसा दिया गया. संजय दत्त तो 'भोला' आदमी है. वो राजनीति का शिकार हुआ. उसे सुनील दत्त का बेटा होने की कीमत चुकानी पड़ी. जिस पिक्चर का हीरो संजय दत्त है, उसका टाइटल है 'खलनायक'. ये चीज़ लोगों के साथ रेज़नेट होती है. पिक्चर ब्लॉकबस्टर हो जाती है.  

कमोबेश ऐसा ही कुछ आमिर खान के साथ भी हुआ. 2001 में 'लगान' की मेकिंग के दौरान पत्नी रीना दत्ता से उनके अलगाव की प्रक्रिया शुरू हो गई. आमिर के फेवर में एक पॉज़िटिव लहर बनी. 'लगान' को फायदा मिला. 2007 में आमिर पर आरोप लगते हैं कि उन्होंने अपने भाई फैसल खान को बंधक बनाकर रखा हुआ है. मामला कोर्ट-कचहरी तक जाता है. उसी साल आमिर खान की पिक्चर 'तारे ज़मीन पर' आती है. जबरदस्त ओपनिंग पाती है. फिल्म को ब्लॉकबस्टर करार दिया जाता है.

शाहरुख खान का करियर का विवादों से भरा रहा है. कभी वो खुद को अमिताभ बच्चन से बड़ा बता देते, तो कभी रात के 3 बजे फिल्मफेयर अवॉर्ड के लिए प्रियंका चोपड़ा के साथ रिहर्सल करके निकलते स्पॉट किए जाते. कभी अमेरिका में उन्हें एयरपोर्ट पर घंटों रोक लिया जाता. तो कभी वो वानखेड़े स्टेडियम में सिक्योरिटी से भिड़ जाते. मगर ये चीज़ें कभी उनके खिलाफ नहीं जाती. क्योंकि वो उन दिनों इंडिया के इकलौते बोनाफाइड सुपरस्टार हुआ करते थे. पिछले कुछ सालों में ये इक्वेशन बदल गया है. सलमान से लेकर आमिर, अक्षय और अजय सबकी फिल्में रिकॉर्ड बना रही हैं. मगर शाहरुख की बहु-प्रतीक्षित फिल्में 100 करोड़ रुपए का आंकड़ा भी नहीं पार कर पा रहीं. क्योंकि अब तक ये फिल्में सिर्फ उनका लॉयल फैनबेस देख रहा था. मगर जैसा कि हमने पहले डिस्कस किया 'पठान' के लिए वो लोग भी एक्साइटेड हैं, जो कट्टर शाहरुख खान फैंस नहीं हैं. इनफैक्ट जो किसी भी सुपरस्टार के फैन नहीं हैं. वो बस उसके साथ खड़ा होना चाहते हैं, जो सत्ता के खिलाफ खड़ा है. 

वीडियो: शाहरुख खान ने बताया क्यों जॉन अब्राहम 'पठान' में उन्हें मार नहीं पा रहे थे

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