The Lallantop
Advertisement

क्या है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस, जिस पर बनी भूमि पेडणेकर की फिल्म पर शाहरुख खान ने पैसा लगाया है?

Bhumi Pednekar की फिल्म Bhakshak का ट्रेलर आते ही जनता ने पकड़ लिया कि ये फिल्म मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस से प्रेरित है. जानिए क्या है वो घटना.

Advertisement
bhakshak, brajesh thakur,
फिल्म 'भक्षक' के एक सीन में भूमि. दूसरी तरफ मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस का मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर.
pic
श्वेतांक
5 फ़रवरी 2024 (Updated: 5 फ़रवरी 2024, 22:46 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

Bhumi Pednekar की नई फिल्म Bhakshak का ट्रेलर आया है. इस फिल्म की कहानी 2018 के चर्चित Muzaffarpur Shelter Home Case से प्रेरित लग रही है. हालांकि मेकर्स ने फिल्म के किरदारों और लोकेशन के नाम बदल दिए है. मसलन, मुजफ्फरपुर को 'मुनव्वरपुर' कर दिया गया है और ब्रजेश ठाकुर बन गया है बंशी साहू. भूमि ने इस फिल्म में एक पत्रकार का रोल किया है, जो इस पूरी घटना को दुनिया के सामने लेकर आती है. इस फिल्म को Shahrukh Khan की प्रोडक्शन कंपनी रेड चिलीज़ एंटरटेनमेंट ने प्रोड्यूस किया है. 'भक्षक' को पुलकित ने डायरेक्ट किया है. जो इससे पहले 'बोस: डेड ऑर अलाइव' जैसी वेब सीरीज़ और 'मरून' नाम की फिल्म डायरेक्ट कर चुके हैं. आइए जानते हैं क्या है मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस, जिससे इंस्पायर होकर 'भक्षक' नाम की ये फिल्म बनाई गई है. ये फिल्म 9 फरवरी को नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ होने वाली है.

# क्या है Muzaffarpur Shelter Home Case केस?

2017 में टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (TISS) ने एक सोशल ऑडिट किया. इस ऑडिट की रिपोर्ट में पता चला कि बिहार के मुजफ्फरपुर में 'सेवा संकल्प एवं विकास समिति' नाम का एक बालिका सुधार गृह है. इस बालिका गृह का संचालक था ब्रजेश ठाकुर. यहां 7 से 17 साल के बीच 42 बच्चियां रहती थीं. इनमें से 34 बच्चियों के साथ रेप और टॉर्चर जैसी घटनाएं हुई हैं. आरोप ये भी था कि वहां रहने वाली एक बच्ची को जान से मारकर दफना दिया गया. FIR दर्ज कर इस मामले की जांच शुरू हुई. 2020 में दिल्ली के साकेत कोर्ट ने इस मामले के सभी 19 आरोपियों को सज़ा सुनाई. इस मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को आजीवन कारावास की सज़ा और 32 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया. अन्य आरोपियों को भी इस मामले में उनकी संलिप्तता के आधार पर अलग-अलग सजाएं मिलीं. 

# बिहार के सुधार गृहों को ऑडिट करने का आइडिया कहां से आया?

2017 में बिहार के समाज कल्याण विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेट्री अतुल प्रसाद के निर्देश पर बिहार के सभी शेल्टर होम्स के ऑडिट की बात निकली. थ्योरी ये थी कि प्रांत में ऐसे जितने शेल्टर होम्स हैं, जहां बच्चे, बच्चियां, महिलाएं या बुजुर्ग लोग रहते हैं, वो उस तरह से फंक्शन नहीं कर पा रहे हैं, जैसे उन्हें करना चाहिए. इसके पीछे की वजह पता लगाई जाए. ये भी समझा जाए कि जो भी ऑर्गनाइजेशन उन शेल्टर होम्स को चला रहे हैं, उन्हें किस किस्म के सपोर्ट की ज़रूरत है. ऐसे में ये तय हुआ जितनी भी संस्थाएं हैं, जिन्हें समाज कल्याण विभाग खुद चला रहा हो या उसे किसी गैर-सरकारी संगठन (NGO) की मदद से चलवा रहा हो, उनका एक ऑडिट करना चाहिए.  

# कैसे पता चला कि मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम में बच्चियों के साथ रेप की घटनाएं हो रही हैं?   

इस ऑडिट की ज़िम्मेदारी सौंपी गई टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज़ (TISS) को. TISS का एक फील्ड एक्शन प्रोजेक्ट था- 'कोशिश'. इस प्रोजेक्ट के तहत बिहार के शेल्टर होम्स का ऑडिट शुरू हुआ. तीन हिस्सों में ये शोध हुआ. सबसे पहले उन लोगों से बात की गई, जो इन शेल्टर होम्स को चलाते थे. ताकि ये समझा जा सके कि उन्हें किस तरह की दिक्कतें हो रही हैं. सरकार उनकी कैसे मदद कर सकती है, वगैरह. फिर वहां काम करने वाले स्टाफ से बात की गई, ये समझने के लिए कि वो लोग वहां काम करने के काबिल हैं या नहीं. उनके पास क्या स्किल सेट है. वो जो काम कर रहे हैं, उन्होंने उसकी कोई ट्रेनिंग ली है या नहीं. 

इसी ऑडिट का तीसरा सिरा उन लोगों से जुड़ा था, जो वहां रह रहे थे. उनसे बात करके समझा जाए कि उन्हें वहां रहते हुए क्या दिक्कतें फेस करनी पड़ रही हैं. इस बातचीत के दौरान कुछ बच्चे-बच्चियां डरे-घबराए पाए गए. जब उन्हें अलग लेजाकर इस बारे में बात की गई, तब जाकर ये पता चला कि मुज़फ्फरपुर शेल्टर होम में लड़कियों का शोषण हो रहा था, कई लड़कियों का रेप हुआ था. 

शोषण की कहानियां इतनी डरावनी थीं, कि जिन लोगों ने ऑडिट के दौरान बच्चियों से बात की, वो डिप्रेशन का शिकार हो गए.

# मामले की जांच में क्या सामने आया? 

कोशिश' की टीम ने अपनी रिपोर्ट 26 मई, 2018 को बिहार सरकार के पास सबमिट कर दी. ये रिपोर्ट 100 पन्नों की थी. इस स्टडी के 56वें पन्ने पर मुजफ्फरपुर के बालिका सुधार गृह का ज़िक्र था. इसमें बताया गया कि यहां रहने वाली नाबालिग बच्चियों के साथ लगातार बलात्कार की घटनाएं हुईं. इस मामले में तुरंत एक्शन लेते हुए बिहार सरकार ने 29 मई, 2018 को उस बालिका सुधार गृह में रहने वाली बच्चियों को राज्य के अलग-अलग सुधार गृह में रीलोकेट कर दिया. 31 मई, 2018 को सभी 11 आरोपियों के खिलाफ FIR दर्ज कर मामले की जांच शुरू हुई. 

इस तफ्तीश के दौरान कई चौंकाने वाली जानकारियां सामने आईं. मेडिकल जांच में पता चला कि इस शेल्टर होम में रहने वाली 34 बच्चियों के साथ बार-बार रेप किया गया. रेप के दौरान जो बच्चियां प्रेग्नेंट हुईं, उनके अबॉर्शन के लिए उसी शेल्टर होम एक ऑपरेशन थिएटर बनाया गया था. वहां से 67 किस्म की नशीली दवाइयां बरामद हुईं. इन फाइंडिग्स के बाद मुजफ्फरपुर बालिका सुधार गृह के चीफ ब्रजेश ठाकुर समेत आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया. और शेल्टर होम में ताला लगा दिया गया. मामले की जटिलता को देखते हुए 28 नवंबर, 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने ये केस CBI को ट्रांसफर कर दिया.

CBI ने अपनी जांच में पाया कि उस शेल्टर होम से एक बच्ची गायब है, जो कि मानसिक रूप से बीमार थी. डॉक्यूमेंट्स में बताया गया कि 2015 में ही वो बच्ची अपने परिवार के साथ मिल चुकी है. मगर असलियत में ऐसा कुछ हुआ ही नहीं था. वो बच्ची कभी अपने परिवार से नहीं मिली. 2023 में अनाम लोगों के खिलाफ CBI ने फ्रेश FIR दर्ज कर नए सिरे से मामले की जांच शुरू की. 

# इस घटना की रिपोर्टिंग ढंग से क्यों नहीं हुई? 

धीरे-धीरे जांच आगे बढ़ी. उस शेल्टर होम में रहने वाली बच्चियों के बयान लिए गए. PMCH ने उन बच्चियों का मेडिकल जांच की और कंफर्म किया कि वाकई वहां रहने वाली बच्चियों के साथ रेप हुआ था. मगर इस केस की रिपोर्टिंग का पैटर्न बड़ा गड़बड़ था. मुजफ्फरपुर यानी लोकल मीडिया में तो इसे अच्छे से कवर और रिपोर्ट किया जा रहा था. मगर पटना पहुंचते-पहुंचते वो खबर सिंगल कॉलम में महदूद हो जाती. दिल्ली तक तो मामला पहुंच ही नहीं पा रहा था. 

जब शेल्टर होम की बच्चियों के बयान बाहर आने शुरू हुए, तब जाकर नेशनल मीडिया एक्टिव हुआ. वहां रहने वाली एक बच्ची ने दावा किया कि उस सुधार गृह में रहने वाली एक बच्ची को मारकर दफना दिया गया, तब मामले ने ज़ोर पकड़ा. फुल फ्लेज्ड तरीके से जांच शुरू हुई. कोर्ट ने आदेश दिया कि उस जगह की खुदाई कर बच्ची की बॉडी को ढूंढ़ा जाए. तब जाकर इस मामले में पर नेशनल मीडिया की नज़र पड़ी.  

# इस तरह की घटनाएं हुई क्यों?

मुजफ्फरपुर बालिका गृह में वो लड़कियां रहती थीं, जो घर से बिछड़ी हुई थीं. या किसी किस्म के अब्यूज़ का शिकार थीं. उन्हें वहां रखा गया था ताकि उन्हें रीहैबिलिटेट किया जा सके. उन्हें आगे की ज़िंदगी के लिए तैयार किया जा सके. मगर ऐसा हो नहीं पा रहा था. सरकार का सारा ध्यान उन शेल्टर होम्स को प्रशासनिक रूप से दुरुस्त रखने पर था. सबकुछ रजिस्टर मेंटेन करने के लिए किया जा रहा था. इस बात से फोकस बिल्कुल हट गया था कि वहां रहने वाले लोगों के लिए बेहतर भविष्य कैसे तैयार किया जाए. इसी अनदेखी का फायदा आरोपियों ने उठाया और लड़कियों का शोषण करने लगे.

# ब्रजेश ठाकुर और बाकी आरोपियों का क्या हुआ?

दिल्ली की साकेत कोर्ट ने 11 फरवरी, 2020 को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस के सभी 19 आरोपियों को सज़ा सुनाई. मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को POCSO एक्ट समेत कई अन्य धाराओं के तहत आजीवन कारावास की सज़ा हुई. इसके अलावा कोर्ट ने उस पर 32 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया.  

इस मामले के अन्य आरोपी रवि कुमार रोशन, विकास कुमार, दिलीप कुमार, गुड्डू पटेल, विजय कुमार तिवारी, कृष्ण कुमार को भी कोर्ट ने आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई. इन सब लोगों पर बच्चियों का रेप करने में ब्रजेश ठाकुर की मदद करने का आरोप था. उस शेल्टर होम में काम करने वाली तीन महिलाओं, मीनू देवी, किरण कुमारी, शाइस्ता परवीन और रामानुज ठाकुर को भी उम्र कैद की सज़ा हुई.

कोर्ट ने रमा शंकर, अश्विनी, मंजू देवी, चंदा देवी, नेहा कुमारी और हेमा को 10 साल की जेल की सज़ा सुनाई. शेल्टर होम की कर्मचारी इंदु कुमारी को तीन साल की जेल हुई. समाज कल्याण विभाग के चाइल्ड प्रोटेक्शन यूनिट की एडिशन डायरेक्टर रोज़ी रानी को 6 महीने जेल की सज़ा हुई. मगर इस मामले की जांच के दौरान रोज़ी ने अपना जेल टर्म पूरा कर लिया था.  

# उस शेल्टर होम में रहने वाली बच्चियां आज कल कहां हैं?

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में रहने वाली बच्चियों को बिहार के समाज कल्याण विभाग ने रिहैबिलिटेशन के लिए बेंगलुरू भेजा. 2020 में 14 बच्चियों का पहला बैच बेंगलुरू पहुंचा और एक साल के होटल मैनेजमेंट डिप्लोमा कोर्स में दाखिल हुआ. इसके बाद उस डिपार्टमेंट ने बच्चियों के दो और बैच वहां पढ़ने के लिए भेजे. मुजफ्फरपुर शेल्टर होम में रहने वाली 34 में से 17 बच्चियां आज देश के अलग-अलग होटलों में काम कर रही हैं. कर्नाटक, मध्य प्रदेश और राजस्थान के होटलों में काम करने वाली ये बच्चियां सलाना 3.5 लाख रुपए या उससे ज़्यादा कमाती हैं. 

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement