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स्टार किड्स पर ताने कसने वालों को माधवन की ये बात सुननी चाहिए

माधवन का इंटरव्यू. ये बात बहुत कम लोगों को पता होगी आखिर कैसे शाहरुख और सूर्या फिल्म 'रॉकेट्री- द नंबी इफेक्ट' का हिस्सा बने?

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R Madhavan
आर माधवन का चौकस इंटरव्यू बस लल्लनटॉप सिनेमा पर
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लल्लनटॉप
8 जुलाई 2022 (Updated: 8 जुलाई 2022, 18:52 IST)
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फिल्म 'रॉकेट्री : द नंबी इफेक्ट' को लेकर 'लल्लनटॉप सिनेमा' की आर माधवन से मज़ेदार बातचीत हुई. जिसके कुछ अंश आप यहां पढ़ सकते हैं. जहां आप जानेंगे, इस फिल्म को डायरेक्ट करने के पीछे माधवन की क्या मजबूरी थी? स्टार किड्स पर कमेंट्स बरसाने वालों के लिए माधवन ने क्या बोला? और भी काफी बातें. 

सवाल :- 'रॉकेट्री' फिल्म काफी साइंटिफिक है. आप इसके राइटर भी हैं. इसे आप सरल भाषा में कैसे लिखा, जो दर्शकों को समझ भी आए और लोग उससे एंटेरटेन भी हों?

आर. माधवन :- मुझे नहीं लगता हमारी जनता इतनी बेवकूफ है. यहां इंटरस्टेलर, इन्सेप्शन ये सब फिल्में इंडिया में अच्छी खासी चलती हैं. जो मैं आज तक नहीं समझ पाया. OTT की बड़ी-बड़ी टॉप गन, ग्रैविटी जैसी महारथी सीरीज हैं.

‘लल्लनटॉप सिनेमा’ के सवालों का जवाब देते आर माधवन  

ये सब यहां देखी जाती है. मुझे लगता है कि हम अपने ऑडिएन्स को बहुत कमतर समझते हैं, पर ऐसा नहीं है.  'रॉकेट्री' में जो रॉकेट साइंस है, उसे मैंने बहुत संक्षेप में बताने की कोशिश की है. जिन्हें रॉकेट्री समझ आती है, वो इसे देखकर ऐसा नहीं कहेंगे कि ये क्या बेवकूफी कर रहा है? रॉकेट साइंस ऐसा थोड़े होता है और जिन्हें नहीं पता है, उन्हें कम से कम ये समझ आ जाएगा कि ये कहना क्या चाहते हैं? ये कहानी नंबी नारायण की देशभक्ती और उनके बलिदान को लेकर है. कहानी इस बारे में है कि उन्होंने इस देश के लिए क्या किया है? इसलिए मुझे लगता है कि इसे समझने में किसी को कोई समस्या नहीं होगी.  

सवाल:- 'रॉकेट्री' से पहले आपने कोई फिल्म डायरेक्ट नहीं की है. ऐसी क्या वजह थी जो ये फिल्म आपको खुद डायरेक्ट करनी पड़ी?

आर. माधवन:- जब मैं नंबी नारायण जी से मिला, तो मुझे लगा कि मैं एक जेम्स बॉन्ड जैसी फिल्म बनाऊंगा. जिसमें एक गुड लुकिंग साइंटिस्ट है. जिसे मालदीव की एक औरत से प्यार हो गया. जिसकी वजह से उन्होंने इंडिया के रॉकेट्री सीक्रेट पाकिस्तान को बेच दिए. इसके लिए उनको अरेस्ट किया गया. बाद में वो निर्दोष साबित हुए और उन्हें रिहा किया गया, फिर आगे चलकर उनको पद्मभूषण दिया गया. लेकिन कई लोगों को ये नहीं पता कि उन्हें पद्मभूषण दिया क्यों गया? ये कहानी मुझे अच्छी लगी तो मैंने लिख दी. मैं इस फिल्म में बस ऐक्टिंग कर रहा था, लेकिन जब मैं प्रोड्यूसर खोजने लगा तब लोग मुझसे पूछने लगे, "कितने गाने हैं? हीरोइन कौन है?" मैंने कहा, "ना हीरोइन है, ना गाने हैं." फिर लोगों ने कहा, "फिर तो प्रोड्यूसर भी नहीं है." इसलिए इसे मुझे ही प्रोड्यूस करना पड़ा. इसका डायरेक्शन जो करने वाले थे वो अंतिम वक्त पर हमारी टीम के साथ नहीं जुड़ सकें. उस वक्त ऐसा था कि या तो फिल्म को छोड़ दें या मैं इसे डायरेक्ट करूं. मैंने ताव में आकर कह दिया, इसे मैं डायरेक्ट करूंगा.

सवाल:- फिल्म 'रॉकेट्री: द नम्बी इफेक्ट' में शाहरुख खान और सूर्या का कैमियो कैसे हुआ?

आर. माधवन:- शाहरुख सर के साथ मैं 'ज़ीरो' कर रहा था. तब मैंने उनसे 'रॉकेट्री' पर बात की थी. एकबार उनके जन्मदिन पर मैं उनसे मिला. तब उन्होनें बोला, "मैडी! मुझे वो स्क्रिप्ट अब भी याद है, मैं उस फिल्म का हिस्सा बनना चाहता हूं." मुझे लगा वो मज़ाक कर रहे हैं. 

‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ फिल्म से शाहरुख ख़ान और सूर्या का सीन  

वो बोले, "मैं सीरियस हूं. कुछ भी करा ले, पीछे से कहीं पासिंग ही करा ले". मेरी बीवी सरिता ने तीन दिन बाद मुझे कहा कम से कम शाहरुख सर को एक मैसेज तो कर दीजिए. फिर मैंने उनके मैनेजर को मैसेज किया, शुक्रिया! आपने मेरी स्क्रिप्ट के बारे में बात की. तुरंत उनका रिप्लाई आता है कि शाहरुख सर पूछ रहे हैं, आपको डेट कब देनी है? फिर मैंने बोला ऐसे कोई छोटा-सा रोल तो नहीं है. एक बड़ा और अच्छा खासा रोल है, तो आप देख लीजिए. ये फिल्म उन्होंने हिन्दी-इंग्लिश दोनों में की और इसके लिए उन्होंने मुझसे कोई पैसे भी नहीं लिए. ऐसे ही सूर्या भी अपनी पूरी टीम के साथ मुंबई चले आए, अपने डायलॉग राइटर को भी साथ लें आएं ताकि वो अपना डायलॉग तमिल में अनुवाद कराकर समझ सकें. और इन सबके लिए उन्होंने भी मुझसे से कोई पैसा नहीं लिया. एक बात और अगर कोई मुझसे पूछे कि क्या इंडस्ट्री में अच्छे लोग हैं? तो मैं इन दोनों के बलबूते बोल सकता हूं, इंडस्ट्री में बहुत अच्छे लोग हैं.  

सवाल :- आपके बेटे ने जब मेडल जीता था, तब सोशल मीडिया पर ये बात चल रही थी कि इस स्टार किड को देखो क्या कर रहा है! कितना अच्छा है. बाकी स्टार किड्स को देखो क्या करते रहते हैं?

आर. माधवन:- मुझे लगता है, किसी स्टार किड्स की किसी और से तुलना करना बहुत गलत है. क्योंकि मैं ये सब चीजें झेल चुका हूं. मुझे बचपन में बाला जी बोलते थें. लोग कहते थें कि बाला जी के साथ मत खेलना, इसके साथ मत जाना. इन चीजों से दिल टूटता है. किसी भी बच्चे को एक ढांचे में डालकर आप ये नहीं कह सकते हैं कि ये कल को बड़ा आदमी बनेगा और ये कुछ नहीं कर पाएगा. स्टार किड्स भी आम बच्चों के जैसे ही होते हैं. खासकर मुझे और मेरे परिवार को ऐसी चीजें बिल्कुल पसन्द नहीं है.    

पूरा इंटरव्यू  आप 'लल्लनटॉप सिनेमा' के यूट्यूब चैनल पर देख सकते हैं, इसे देखने के लिए यहां क्लिक करें.

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