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अमित त्रिवेदी के दुर्लभ साधारण कामों में से है 'डियर जिंदगी'

'डियर जिंदगी' म्यूजिक रिव्यू.

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26 नवंबर 2016 (Updated: 26 नवंबर 2016, 08:17 IST)
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अंकित त्रिपाठी
अंकित त्रिपाठी

लल्लनटॉप को एक और फायरब्रांड लौंडा मिला है. बकैती के तीर्थस्थल कानपुर से. कहिता है कि RSS के स्कूल से पढ़ा है, जिसके हिसाब से उम्र 24 है, लेकिन असल में 25 है. IIT से बीटेक किया है. मार्क्स धर्म को अफीम कह गए थे, अंकितवा गांजा कहता है. जब मूड भन्नाता है तो वेबसाइटों के पेज पर जाकर कमेंट्स दागता है.

रेज्यूम जीवन में सिर्फ एक बार बनाया, क्योंकि ये बनावटी काम लगता है. वनलाइनर ऐसे मारता है कि बड़के मठाधीश भी जल-भुन जाएं. अबतिन लेकर आया है 'डियर जिंदगी' का म्यूजिक रिव्यू. ऐसा रिव्यू कि अमित त्रिवेदी पढ़ लें, तो आंसू निकल आएं उनके. पढ़िए.



'डियर ज़िंदगी' मूवी रिलीज़ हो चुकी है. रिव्यूज़ भी बढ़िया ही मिले हैं. लोगों में फिल्म के लिए उत्साह भी दिख रहा है. शायद कलेक्शन भी ठीक-ठाक कर ले. सब कुछ अच्छा अच्छा?? नहीं जी. गाड़ी के एक पहिये में हवा थोड़ी कम है. और वो पहिया है फिल्म का म्यूजिक. अमित त्रिवेदी से पहाड़भर उम्मीद के बाद छोटा सा टीला ही हाथ लगा. सोच था कि 'लुटेरा' या 'क्वीन' वाला मज़ा मिलेगा, लेकिन 'फितूर' और 'उड़ता पंजाब' वाला भी नसीब नहीं हुआ. फिल्म का संगीत गौरी शिंदे और अमित त्रिवेदी की पिछली फिल्म 'इंग्लिश-विंगलिश' के आस-पास ही ठहरता है.


अमित त्रिवेदी
अमित त्रिवेदी

शुरुआत करते हैं मूवी के सबसे पॉपुलर गाने से. टाइटल ट्रैक. 'लव यू ज़िंदगी'. फिल्म के टीज़रों में इसकी 'लव यू ज़िंदगी' वाली लाइन और धुन ने काफी उम्मीद जगाई थी. जब पूरा गाना आया, तो कोई बुरा तो नहीं लगा, लेकिन गाने में फीकी बात ये थी कि उसका बेस्ट पार्ट वही लाइन ही रह गया. संगीत ठीक-ठाक होने के बावजूद बाकी गाना मिलकर भी उस एक लाइन के बराबर का अहसास पैदा नहीं कर सका. संभवतः इसकी वजह जसलीन रॉयल रहीं. उनके करिअर के शुरुआती दो गाने 'खूबसूरत' फिल्म का 'प्रीत' और 'बार-बार देखो' का 'खो गए हम कहां' बॉलीवुड में नयापन लाए थे.

https://www.youtube.com/watch?v=rwn0Zs7ELzc

एक भोली सी, मासूम सी आवाज के रूप में. बिल्कुल किसी बच्ची की तरह. लेकिन, शायद उनकी आवाज कुछ ज्यादा ही भोली और मासूम है. इतनी कि दो तीन गानों के बाद ही उस आवाज में एकरसता नज़र आने लगी है. गाना बिल्कुल उसी अंदाज में गाया गया है, जिसमे उन्होंने अपने पिछले दो-तीन गाने गाए थे. हर गाने में इस तरह की आवाज मज़ा नहीं देती. ताज्जुब की बात ये कि इसी गाने के 'क्लब मिक्स' वर्ज़न में नॉन-प्रफेशनल सिंगर आलिया भट्ट की आवाज ज्यादा दमदार लगी है. मैं आलिया भट्ट की गायिकी का कोई दीवाना नहीं हूं, लेकिन अगर ओरिजिनल गाना भी उन्हीं से गवा लिया गया होता, तो 'लव यू ज़िन्दगी' ट्रैक और चमकीला हो सकता था.


जसलीन रॉयल
जसलीन रॉयल

'जस्ट गो टू हेल दिल' के साथ भी ऐसी ही कुछ कहानी है. शुरू में बजा वायलिन मधुर है. कानों को राहत देता है. हम आस लगाने लगते हैं 'लुटेरा' के 'शिकायतें' की, जिसमें अमित त्रिवेदी ने वायलिन के दम पर अद्भुत तिलिस्म रच दिया था. धीमे सुरों और धुन से लिपटकर गाना अच्छा ही चल रहा होता है, पर जैसे ही वो अपने पिकअप लाइन 'जस्ट गो टू हेल दिल' तक पहुंचता है, पता नहीं किस अदृश्य दरवाजे से उसमें चिल्लाहट प्रवेश कर जाती है और हमारा 'शिकायतें' सुनने का मंसूबा उस चिल्लाहट के आगे दम तोड़ देता है.

https://www.youtube.com/watch?v=1dOVj7NBbxE

फिर भी, बहुत दिनों बाद सुनिधि को सुनना अच्छा लगा. और यार 'जूठा' नहीं 'झूठा' होता है. 'ज' और 'झ' में फरक होता है. दोनों के उच्चारण में भी भारी अंतर होता है. सुनिधि तो 'झूठा' साफ़-साफ़ बोल लेतीं हैं, लेकिन गाने के आखिर में कोरस वाले 'जूठे दिल, जूठे दिल' की तरन्नुम गुनगुना रहे होते हैं. ये सुनकर मूड खराब होता है. गुस्सा भी आता है. ऐसा ही मूड तब खराब हुआ था जब 'लुटेरा' के 'संवार लूं' को 'सवार लूं' गाया गया था. ये छोटी-छोटी मगर मोटी बातें भी काम की होती हैं. प्रोडक्शन वालों तक मेरी ये बात पहुंचे, तो पहुंचा देना.

https://www.youtube.com/watch?v=R_UlGjT8bEw

'लेट्स ब्रेकअप' गाना फीका लगता है. पिछड़ा हुआ भी. खासकर तब जब 'ऐ दिल है मुश्किल' का उछलता-कूदता, कुलाचें भरता 'ब्रेकअप सॉन्ग' लोगों की प्लेलिस्ट में बराबर बना हुआ है. कोशिश जरूर की गई थी कि 'शानदार' के 'गुलाबो' जैसा कुछ गढ़ने की, लेकिन नाकामी ही हाथ लगी. अमित त्रिवेदी का औसत संगीत और विशाल ददलानी की वही सुनी-सुनी सी आवाज गाने में कुछ ज्यादा रंग नहीं भर पाते और गाना अपने बोझिल रंगों के साथ दब कर रह जाता है. एल्बम का सबसे फिसड्डी गीत.

https://www.youtube.com/watch?v=93ADGc_EN08

चलो अच्छा बुराई बहुत हो गयी. थोड़ी तारीफ़ भी कर देते हैं. दो ट्रैक ठीक लगे इस एल्बम के. 'तू ही है' और 'तारीफों से'. हालांकि, 'लव यू ज़िंदगी' भी बुरा नहीं है. 'तू ही है' पूरा अरिजित सिंह का गाना है. धुन में ऐसी कोई ताजगी तो नहीं है, लेकिन अरिजित की आवाज और मैन्डोलिन के हिस्से आईं कुछ बीट्स कसर पूरी कर देती हैं. गाना कुछ कुछ 'गुड्डू रंगीला' के 'सूइयां' सा अहसास दिलाता है. रोमांटिक गानों के शौक़ीन इससे अपना दिल बहला सकते हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=g0w_79fdf64

'तारीफों से' मेरी जान में इस एल्बम का सबसे बेहतरीन गाना है. आकंठ 'जैज़' विधा में डूबा हुआ. अरिजित की खसखसी, बीच-बीच में उखड़ती, उबड़-खाबड़ रास्ते पर उतरती-चढ़ती सी आवाज और बैकग्राउंड में सैक्सोफोन की ध्वनि मिलकर एक रहस्यमयी सुरंग बना देते हैं, जिसमे घुसकर खो जाने का दिल करता है. टिपिकल अमित त्रिवेदी गाना है ये. केवल इसी गाने में अमित त्रिवेदी ने अपने 'अमित त्रिवेदी' होने का सबूत दिया है. गीतकार कौसर मुनीर भी केवल इसी गाने में प्रभावी दिखती हैं.

https://www.youtube.com/watch?v=xQx5H14YTyQ

आखिरी गाना है 'सदमा' फिल्म का 'ऐ ज़िंदगी गले लगा ले', जो इस फिल्म में उधार लिया गया है. ये गाना बॉलीवुड में अपना एक अलग स्थान रखता है. सुरेश वाडेकर का गाया हुआ वो गाना आज भी अपने पूरे वजूद के साथ ज़िंदा है. अरिजित ने इसे अपने खसखसेपन के साथ ही थोड़ा हटके गाया है. जब भी पुराने गानों का नया वर्ज़न बाजार में आता है, तो लोगों की नाक-भौं सिकुड़ने लगती हैं. गायकों की तुलना होने लगती है. नए और पुरानों के बीच लड़ाई शुरू हो जाती है. इस बार भी यही हुआ है.


अरिजीत सिंह
अरिजीत सिंह

व्यक्तिगत तौर पर मैं तुलना के पचड़े में नहीं पड़ना चाहूंगा. अरिजित ने गाने पर आधुनिकता की कुछ परतें चढ़ाई हैं. इसे अच्छे से ही निभाया है और इसी गाने का एक 'टेक 2' भी है, जिसे अलिया भट्ट से गवाया गया है. अरिजित ने अच्छा गाया या नहीं, ये बहस तो फिर भी जायज़ है, लेकिन आलिया ने गाने का गुड़गोबर कर दिया है. इस बात से शायद ही कोई इनकार करे. गाने की कठिन जगहों को अलिया के लिए आसान भी किया गया, पर आलिया से उतना भी नहीं संभला. शायद ये उनके लेवल से ऊपर का गाना था और उन्होंने ये साबित भी कर दिया.

कुल मिलाकर एल्बम कहीं से भी ये अमित त्रिवेदी की प्रतिभा के साथ न्याय नहीं करता है. ये एल्बम अमित त्रिवेदी के दुर्लभ साधारण कामों में से एक है. मैं 'लुटेरा' जैसे संगीत के इंतज़ार में हूं. उम्मीद है इंतज़ार जल्द खत्म होगा.




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