The Lallantop
Advertisement

फिल्म रिव्यू- मिस्टर एंड मिसेज़ माही

'मिस्टर एंड मिसेज़ माही' कभी भी कन्विसिंग फिल्म नहीं बन पाती. इसकी मौलिकता हमेशा सवालिया घेरे में रहती है. क्योंकि हमने ऐसी सैकड़ों फिल्में देखी हैं. और मुझे भरोसा है कि आगे और भी ऐसी फिल्में बनेंगीं.

Advertisement
mr & mrs mahi, rajkummar rao, janhvi kapoor,
'मिस्टर एंड मिसेज़ माही' राजकुमार राव और जाह्नवी कपूर की एक साथ दूसरी फिल्म है.
pic
श्वेतांक
31 मई 2024 (Published: 09:56 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

फिल्म- मिस्टर एंड मिसेज़ माही
एक्टर्स- राजकुमार राव, जाह्नवी कपूर, कुमुद मिश्रा, राजेश शर्मा, ज़रीना वहाब
डायरेक्टर- शरण शर्म 
रेटिंग- ** स्टार (2 स्टार) 

रैंट लिखा है रिव्यू समझिएगा.

हुआ ये कि हमने एक फिल्म देखी. बताया गया कि क्रिकेट बेस्ड फिल्म है. बड़े प्रोड्यूसर ने बनाई है. और कथित अच्छे एक्टर्स ने काम किया है. फ़िल्म का नाम - ‘मिस्टर एंड मिसेज़ माही.’ वैसे तो कोई उम्मीद बर नहीं आती. मगर जो थोड़ी-बहुत बची थी, वो लेकर गए थे इस फिल्म को देखने. देखकर निकले तो हैरान थे. इस बात से कि ये फिल्म करण जौहर ने प्रोड्यूस की है. जाह्नवी कपूर ने इस रोल में खुद को ढालने के लिए बहुत मेहनत की है. कंधे वगैरह तुड़वाए. तमाम किस्म की परेशानियां झेलीं. सिर्फ एक 'हां' के चक्कर में. जिन राजकुमार राव की पिछली फिल्म 'श्रीकांत' थी, त्रासदी ये है कि उनकी अगली फिल्म 'मिस्टर एंड मिसेज़ माही' निकली. अगर इस फिल्म में आप मुझे एक नई चीज़ दिखा या सुना दें, तो मैं ये फिल्म दोबारा देखने को तैयार हूं. शर्त हारने पर इतनी सज़ा काफी होनी चाहिए!

'मिस्टर एंड मिसेज़ माही' इतनी घिसी हुई और सतही फिल्म है कि बताया नहीं जा सकता. मैं बता रहा हूं क्योंकि ये मेरा काम है. 

एक लड़का है महेंद्र, जिसका सपना क्रिकेटर बनने का था. मगर “अब्बू नहीं माने”. इसलिए अब वो अपनी स्पोर्ट्स का सामान बेचने वाली दुकान पर बैठता है. उसकी शादी महिमा नाम की लड़की से होती है, जो पेशे से डॉक्टर है. उनकी बैकस्टोरी ये है कि वो बनना चाहती थीं क्रिकेटर, बन गईं डॉक्टर. क्योंकि उनके भी “अब्बू नहीं माने”. महेंद्र अपना सपना पूरा करने के लिए महिमा की डॉक्टरी छुड़ाकर क्रिकेट की ट्रेनिंग देता है. अगर हीरो ने हीरोइन को क्रिकेट की ट्रेनिंग दी है, तो वो नेशनल क्रिकेट टीम में ज़रूर खेलेगी. जिस दिन हमारा हीरो हार जाएगा, उस दिन सिनेमा जीतना शुरू कर देगा. 

ख़ैर, इस पूरी कहानी में कॉन्फ्लिक्ट बस ये है कि महिमा की सफलता का क्रेडिट महेंद्र को भी चाहिए. सनद रहे मेरा नाम गौतम नहीं है. और ये बात मैं बेहद गंभीरता से कह रहा हूं. अमूमन जब हम कोई फिल्म देखने जाते हैं, तो हम देखते हैं कि एक्टर्स का काम कैसा है. मगर एक्टर्स के काम को सिर्फ स्क्रीन परफॉरमेंस तक महदूद कर दिया जाता है. अच्छी स्क्रिप्ट्स का चुनाव करना भी तो उन्हीं का काम है. ऐसे में इतनी सब-स्टैंडर्ड और औसत स्क्रिप्ट के चुनाव का क्या जस्टिफिकेशन हो सकता है! ख़ैर.

बात करते हैं इन एक्टर्स की स्क्रीन परफॉरमेंस की. जाह्नवी की शारीरिक मेहनत नज़र आती है. मगर उनका किरदार ही इतना ऊपर-ऊपर से लिखा हुआ है कि न वो कुछ फील कर पाती हैं, न दर्शकों को फील करवा पाती हैं. राजकुमार राव को आप मुर्दे का रोल दे दें, तो वो उसमें भी जान डाल देंगे. मगर ये फिल्म उनकी क्षमता के साथ न्याय नहीं कर पाती. कुमुद मिश्रा एक छोटे से रोल में दिखाई देते हैं. एक बुरे पिता के रोल में वो आपको गुस्सा तो दिला ही देते हैं.

'मिस्टर एंड मिसेज़ माही' हर चीज़ को इतना कैज़ुअली लेती है कि आपको हैरत में डाल देती है. मसलन, ये फिल्म एक ऐसी लड़की के बारे में है, जिसने तकरीबन 15 सालों से क्रिकेट नहीं खेली. मगर वो 6 महीने ट्रेनिंग लेती है और सीधे स्टेट टीम में खेलने के लिए चुन ली जाती है. स्टेट टीम के लिए खेलते हुए वो पूरे टूर्नामेंट में खराब प्रदर्शन करती है. मगर फाइनल मैच में एक अच्छी पारी खेल देती है. जिसके आधार पर उसका सलेक्शन इंडियन नेशनल टीम के लिए हो जाता है. न कोई डोनेशन, न पॉलिटिक्स, न एज का मसला. मतलब ये तो पराकाष्ठा हो गई.

सवा दो घंटे की फिल्म में सिर्फ एक मौका ऐसा आता है, जब आप कुछ फील कर पाते हैं. या कुछ सोच-समझ पाते हैं. वो मौका तब आता है, जब महेंद्र अपनी मां से बात कर रहा होता है. वो बोलता है कि वो खुश नहीं है. मां बताती हैं कि उसकी खुश होने की टेक्निक ही गलत है. क्योंकि जिस रेस में वो दौड़ रहा है, उसमें कोई फिनिशिंग लाइन नहीं है. सिर्फ पड़ाव हैं. आपको लगता है कि आप ये पड़ाव पार करने के बाद खुश हो जाएंगे. मगर वहां पहुंचने के बाद दूसरा पड़ाव नज़र आने लगता है. इसलिए आपकी खुशी टलती रहती है.

'मिस्टर एंड मिसेज़ माही' कभी भी कन्विसिंग फिल्म नहीं बन पाती. इसकी मौलिकता हमेशा सवालिया घेरे में रहती है. क्योंकि हमने ऐसी सैकड़ों फिल्में देखी हैं. और मुझे भरोसा है कि आगे और भी ऐसी फिल्में बनेंगीं. फिल्म के ओपनिंग क्रेडिट प्लेट में महेंद्र सिंह धोनी को भी थैंक यू कहा गया है. इसलिए आप इंतज़ार करते हैं कि शायद फिल्म के आखिर में धोनी नज़र आ सकते हैं. मगर IPL की तरह थला यहां भी आखिर तक नहीं आते. और पब्लिक को निराश ही घर लौटना पड़ता है.  

वीडियो: श्रीकांत मूवी रिव्यू: नायक और एक्टर के साथ न्याय नहीं कर पाई फिल्म!

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement