क्या है 'कुमाट्टी', जिसे देखने की अपील दिग्गज फिल्ममेकर मार्टिन स्कॉरसेजी कर रहे?
डायरेक्टर अरविंदन की फ़िल्म ‘कुमाट्टी’ को मार्टिन स्कॉरसेजी के द फ़िल्म फाउंडेशन रिस्टोरेशन स्क्रीन रूम में दिखाया गया.
मार्टिन स्कॉरसेज़ी. ‘टैक्सी ड्राइवर’, ‘रेजिंग बुल’ और ‘गुडफेलाज़’ समेत कई कालजयी फिल्मों के डायरेक्टर. उन्होंने एक भारतीय फ़िल्म के लिए इंस्टाग्राम पोस्ट लिखा और तमाम लोगों से उस फिल्म को देखने की गुज़ारिश की. उनकी फ़िल्म फाउंडेशन ने 1979 में आई मलयाली फ़िल्म ‘कुमाट्टी’ को रीस्टोर किया है. रीस्टोर करने का मतलब समय के साथ जिन पुरानी फिल्मों के रील्स खराब हो जाते हैं, जिसकी वजह से उन्हें देखने में दिक्कत आती है. उन्हें ठीक करके देखने लायक बनाने को रीस्टोरेशन वर्क कहते हैं.
खैर, मार्टिन ने इंस्टाग्राम पर एक पोस्ट किया. इसमें उन्होंने ‘कुमाट्टी’ के 'द फ़िल्म फाउंडेशन रीस्टोरेशन स्क्रीन रूम में प्रेजेंट करने की जानकारी दी. यहां इसे 11 जुलाई की शाम 7 बजे दिखाए जाने की बात कही गई. इस घोषणा के बाद उनके कमेंट बॉक्स में बाढ़ आ गई. भारतीयों ने कमेंट करने शुरू किए कि ये भारतीय और मलयाली सिनेमा के लिए गर्व का पल है. ऐक्टर रणवीर सिंह ने भी पोस्ट के कमेंट बॉक्स में हार्ट इमोजी डालकर अपनी खुशी व्यक्त की.
‘कुमाट्टी’ के रीस्टोर वर्जन के प्रीमियर की घोषणा करते हुए मार्टिन स्कॉरसेजी ने लिखा,
‘कुमाट्टी’ मध्य केरल की एक लोककथा का अडैप्टेशन है. ये कुमाट्टी नाम के थोड़े पौराणिक और थोड़े वास्तविक जादूगर की कहानी है. फ़िल्म स्वीट-इंगेजिंग स्टोरी का एक कमाल विजुअल रिप्रेज़ेंटेशन है.
मार्टिन ने इसे मस्ट वॉच फ़िल्म बताते हुए लिखा:
इस फ़िल्म को ज़रूर देखा जाना चाहिए, खासकर जब ये भारत के बाहर ज़्यादतर हिस्सों में देखने के लिए उपलब्ध नहीं थी.
स्कॉरसेजी की फ़िल्म फाउंडेशन ने अप्रैल में एक रीस्टोरेशन स्क्रीनिंग रूम लॉन्च किया था. उसके तहत फाउंडेशन की मदद से रीस्टोर की गई फिल्मों को दिखाया जाएगा. स्कॉरसेजी स्क्रीनिंग रूम को केंट जोन्स के साथ क्यूरेट कर रहे हैं. इसमें उन क्लासिक फिल्मों को रीस्टोर करके दिखाया जाता है, जिनका कलर पैलेट बहुत पुराना हो गया है या निगेटिव्स खराब हो गए हैं. इस मुहिम के तहत 1945 में आई I Know Where I’m Going! स्क्रीन होने वाली पहली फ़िल्म थी. एक रिपोर्ट के मुताबिक आने वाले समय में फेलिनी समेत कई अन्य सिनेमाई जीनियस की फिल्मों को रीस्टोर किया जाएगा.
जुलाई 2021 को 'कुमाट्टी' को रीस्टोर करने की घोषणा की गई थी. उस समय इस फ़िल्म के लिए स्कॉरसेजी ने कहा था:
क्या है कुमाट्टी?अरविंदन एक विजनरी डायरेक्टर थे और 'कुमाट्टी' उनकी महानतम फ़िल्म थी. फ़िल्म फाउंडेशन वर्ल्ड सिनेमा प्रोजेक्ट इसे एक बड़ी ऑडियंस तक पहुंचाएगा, जो कि ये फ़िल्म डिज़र्व करती है. हम इसे सिनेमा की एक तगड़ी खोज बनाएंगे.'
'कुमाट्टी' मलयालम निर्देशक गोविंदन अरविंदन की 1979 में आई एक लोककथा पर आधारित फ़िल्म है. जिसमें कुमाट्टी नाम का एक थोड़ा वास्तविक और थोड़ा मिथकीय जादूगर, जो बूगीमैन टाइप का किरदार है. वो एक गांव जाकर बच्चों के साथ जादुई खेल खेलता है. वो अलग-अलग जगहों की यात्रा में बच्चों से मिलता है. उनके साथ खेलता है. डांस करता है और उन्हें जादू दिखाता है. ऐसी ही एक परफ़ॉर्मेंस के दौरान वो गांव के बच्चों के साथ घुलमिल जाता है और जादू करते हुए उन बच्चों को इंसान से जानवर बना देता है. पर एक बच्चा जिसे कुत्ता बनाया गया था, उस मोमेंट को मिस कर देता है जब कुमाट्टी बच्चों को दोबारा जानवर से इंसान बना रहा होता है. उस बच्चे को कुमाट्टी के गांव लौटने तक एक साल का इंतजार करना पड़ता है. कुमाट्टी लौटता है और उसे इंसान बनाकर खुद प्रकृति में घुल जाता है. इस फ़िल्म में एन.करूण ने सिनेमैटोग्राफी का जिम्मा संभाला है. एमजी राधाकृष्णन और अरविंदन ने इसमें म्यूजिक दिया था. इसमें Kummatty का किरदार ऐक्टर अंबालप्पुडा रवुन्नी ने निभाया है.