शरद जोशी. हिंदी के प्रमुख साहित्यकारों में से एक. व्यंग्य की विधा में शरद जोशीने एक से बढ़कर एक रचनाएं दीं. शरद जोशी ने पत्र-पत्रिकाओं में व्यंग्य के लिएनिरंतर लेखन तो किया ही, साथ ही टीवी धारावाहिकों के लिए भी ख़ूब लिखा. आज शरद जोशीका जन्मदिन है. पढ़िए शरद जोशी के लिखे में से वो दस बातें, जिन्हें लोग आज भी यादकरते हैं.# लेखक विद्वान हो न हो, आलोचक सदैव विद्वान होता है. # जो लिखेगा सो दिखेगा, जोदिखेगा सो बिकेगा - यही जीवन का मूल मंत्र है. # एक मनुष्य ज़्यादा दिनों देवता केसाथ नहीं रह सकता. देवता का काम है दर्शन दे और लौट जाए, तुम भी लौट जाओ अतिथि. #उत्तेजना को समय में लपेटा जा सकता है. धीरे-धीरे बात ठंडी पड़ने लगती है. लोगसंदर्भ भूलने लगते हैं. # आदमी हैं, मगर मनुष्यता नहीं रही. दिल हैं मगर मिलतेनहीं. देश अपना हुआ, मगर लोग पराये हो गए. # अरे! रेल चल रही है और आप उसमें जीवितबैठे हैं, यह अपने आप में कम उपलब्धि नहीं है. # शासन ने हम बुद्धिजीवियों को यहरोटी इसी शर्त पर दी है, कि इसे मुंह में ले हम अपनी चोंच को बंद रखें. # मैं ज़राप्रतिबद्ध हो गया हूं आजकल. यों मैं स्वतंत्र हूं और आश्चर्य नहीं कि समय आने परमैं बोलूं भी. # आलोचना शब्द लुच धातु से बना है जिसका अर्थ है देखना. लुच धातु सेही बना है 'लुच्चा'. # अतिथि केवल देवता नहीं होता, वो मनुष्य और कई बार राक्षस भीहो सकता है.