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कक्षा 11वीं तक घर में टीवी नहीं था, अब ऑस्कर ले आईं, जानिए कार्तिकी गोंज़ाल्वेज़ की कहानी

कार्तिकी गोंज़ाल्वेज़ ने टूर गाइड के तौर पर भी काम किया है.

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the elephant wishpereres and kartiki gonsalves
कार्तिकी गोंजालवेज
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आर्यन मिश्रा
13 मार्च 2023 (Updated: 13 मार्च 2023, 15:15 IST)
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स्वदेशी शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' ने ऑस्कर में बेस्ट डॉक्यूमेंट्री शॉर्ट फिल्म का अवॉर्ड जीता है. इस डॉक्यूमेंट्री में दो आदिवासियों और एक हाथी के रिश्ते के बारे में दिखाया है. 40 मिनट की इस डॉक्यूमेंट्री को डायरेक्ट किया है कार्तिकी गोंज़ाल्वेज़ ने. उन्हें इस फिल्म को बनाने में करीब पांच साल का वक्त लगा है. जानते हैं कार्तिकी गोंज़ाल्वेज़ के बारे में.

बचपन से ही माहौल ऐसा था…

इकोनॉमिक टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू के दौरान उन्होंने बताया था कि उनकी मां अमेरिकी हैं. मां प्रिस्किला टैपले गोंज़ाल्वेज़ को घूमना बहुत पसंद है. प्रिस्किला ने ईस्ट यूरोपियन हिस्ट्री में Phd की हुई है. उनकी रुचि नेचुरल हिस्ट्री और कल्चरल फोटोग्राफी में थी. कार्तिकी के पिता टिमोथी अलॉयसियस गोंज़ाल्वेज़, IIT मंडी के फाउंडिंग डायरेक्टर थे. उनकी दादी नेचुरल रिजर्व में रहती थीं और वहां इसके बारे में पढ़ाती भी थीं.

दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के मुताबिक महज 18 महीने की उम्र में कार्तिकी गोंज़ाल्वेज़ ने जंगलों में आना जाना शुरु कर दिया था. उन्हें अपनी मां और दादी की वजह से जानवरों के व्यवहार के बारे में काफी कुछ सीखने को मिला है. उन्होंने बताया कि कक्षा ग्यारहवीं तक उनके घर में टीवी नहीं था. बचपन में उन्होंने अपना काफी समय घुड़सवारी करते हुए बिताया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उनकी शुरुआती शिक्षा सेंट हिल्डा स्कूल और सेंट माइकल अकैडमी से हुई है. नीलगिरी लाइट एंड लाइफ अकैडमी से उन्होंने फोटोग्राफी में डिप्लोमा लिया. और डॉ. जी आर दामोदरन कॉलेज ऑफ साइंस से B.Sc किया.

साल 2018 में सरकार के लिए काम किया था

कार्तिकी गोंज़ाल्वेज़, ऊटी की रहने वाली हैं. वो इंडियन नेचुरल हिस्ट्री पर फोटो जर्नलिज्म  करती हैं. सोशल डॉक्यूमेंट्री और फिल्में बनाती हैं. बता दें कि वो टूर गाइड के तौर पर भी काम कर चुकी हैं. साल 2018 में उन्हें सरकार की तरफ से नीलगिरी में जनजातियों पर एक फिल्म बनाने का काम मिला था. उनका काम दो चीजों पर फोक्स्ड रहता है, एक पर्यावरण और दूसरा नेचर और वाइल्ड लाइफ. अपने काम के जरिए वो लोगों में जंगली जानवरों के जीवन और उनकी विविधताओं के बारे में जागरुकता फैलाती हैं. और बताती हैं कि आखिर क्यों उन्हें बचाकर रखना चाहिए. कार्तिकी का ज्यादातर वक्त जंगलों-बीहड़ों में घूमते हुए फोटो, कहानियों और वीडियो की तलाश में गुजरता है. वो एनिमल प्लेनेट और डिस्कवरी चैनल के लिए कैमरामैन के तौर पर काम कर चुकी हैं.

एक साथ दो काम

एक इंटरव्यू में कार्तिकी ने बताया था कि वो 9 से 5 वाली जॉब करने के लिए नहीं बनी हैं. कभी वो बेंगलूरु में टूरिस्ट्स को गाइड के तौर पर तंग गलियों में घुमाती थीं. उन्होंने बताया, 

'मैं टूरिस्ट्स को कम्मनहल्ली की झोपड़पट्टी में ले जाती थी. साथ ही उन्हें धोबी घाट दिखाने ले जाती थी.'

जंगलों में फोटोग्राफी और वीडियो बनाने को लेकर कार्तिकी ने बताया, 

'मैं जंगल में बहुत ही सादा जीवन जीती हूं. मैं गांव वालों के साथ उनके झोपड़े में खाना खाती थी. और शहर में अच्छे से तैयार होकर अलग-अलग देशों के लोगों से मिलती थी. इससे मुझे खुद को पहचानने में मदद मिलती थी. करीब दो दशक पहले तक दो या दो से ज्यादा काम करने के बारे में किसी ने सोचा भी नहीं होगा. लेकिन अब लोग अपने पैशन को प्रोफेशन में बदल रहे हैं.'

कार्तिकी आदिवासियों के साथ रहते हुए इशारो में बात करती थीं, इसपर वो बताती हैं, 

'बुशमैन कबीले के साथ इशारो में बात करने से अब मैं किसी भी  जीव के साथ तालमेल बिठा सकती हूं. कल्चरल टूर लोगों से जुड़ने का अच्छा तरीका है. मैं दुनिया भर से आए सैलानियों की मदद से अपने फोटोग्राफ्स को दुनिया तक पहुंचाती हूं.'

कभी शाहरुख और रजनी की फिल्मे नहीं देखी

दैनिक भास्कर को दिए इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि वो बहुत कम पिक्चरें देखती हैं. उनका ज्यादातर वक्त उजाड़ जगहों पर बीतता है. हाल के दिनों में वो इंडो पाक बॉर्डर पर थीं. वहां रहकर वो वहां के लोगों की जिंदगी कैमरे में कैद कर रहीं थीं. उन्होंने बताया कि कक्षा ग्यारहवीं तक उनके हाथ घर में टीवी नहीं था. इसके चलते उनका वास्ता फिल्मों से ज्यादा हो नहीं पाया. बड़े होकर उन्होंने कुछ फिल्में देखी. उन्हें सी ऑफ शैडोज जैसी डॉक्यूमेंट्री देखना पसंद है. उन्होंने रजनीकांत, कमल हासन या शाहरुख खान की फिल्में नहीं देखी.

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