शाहरुख खान की 'जवान' देखने की 4 बड़ी वजहें
शाहरुख खान, 'विक्रम राठौड़' वाले रोल में जो लगे हैं, वैसे उन्हें आज तक हिंदी सिनेमा में किसी ने प्रेजेंट नहीं किया.
Shahrukh Khan की Jawan थिएटर्स में उतर चुकी है. फिल्म को तोड़फोड़ रेस्पॉन्स मिल रहा है. फैन्स तो फैन्स, न्यूट्रल ऑडियंस भी फिल्म को पसंद कर रही है. कहा जा रहा है कि ये शाहरुख खान के करियर की धुआंधार मसाला फिल्म निकल गई है. लल्लनटॉप का 'जवान' रिव्यू आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं. बाकी हम आपको बताते हैं, उन वजहों के बारे में, जिनके लिए 'जवान' देखी जानी चाहिए.
**Spoilers Ahead**
1) शाहरुख खान उर्फ विक्रम राठौड़
एटली शाहरुख खान को जिस तरह से 'जवान' में प्रेज़ेंट किया है, वैसे आज तक कोई हिंदी फिल्ममेकर नहीं कर पाया है. अब तक तो ये जगज़ाहिर हो चुका है कि इस फिल्म में शाहरुख खान ने डबल रोल किया है. उन्होंने बेटे आज़ाद और पिता विक्रम राठौड़ के किरदार निभाए हैं. आज़ाद वाला किरदार तो ठीक है, मगर असली पिक्चर तब चालू होती है, जब विक्रम राठौड़ की एंट्री होती है. विक्रम के कैरेक्टर में शाहरुख को जो लुक दिया गया है, वो बहुत रफ-टफ है. वो बोलता कम, करता ज़्यादा है. स्वैगर ऐसा कि बड़े-बड़े बगले झांकें. फिल्म के बेस्ट एक्शन सीक्वेंस भी विक्रम के हिस्से ही आए हैं. 'जवान' देखने का मेरा हासिल विक्रम राठौड़ वाला किरदार है.
2) बवाल एक्शन सीक्वेंस
'जवान' देखकर आप पाएंगे कि ये रेगुलर हिंदी फिल्म नहीं है. इसमें साउथ वाला एलीमेंट ज़्यादा है. कहानी से लेकर उसके ट्रीटमेंट तक में ये बात साफ झलकती है. इस फिल्म का एक्शन डिज़ाइन करने के लिए दुनियाभर से 6 एक्शन डायरेक्टर्स बुलाए गए थे. उन्होंने जिस लेवल का एक्शन डिलीवर किया, वो वाकई काबिल-ए-तारीफ है. मगर फिल्म के दो-तीन एक्शन ब्लॉक्स कतई हेवी बन पड़े हैं. इंटरवल से ठीक पहले जो सीक्वेंस है, वो फिल्म का टॉप एक्शन सीक्वेंस है. इसमें विक्रम वाले कैरेक्टर ने बाजा फाड़ दिया है. दूसरा तगड़ा एक्शन सीक्वेंस फिल्म के क्लाइमैक्स में आता है, जब 'बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर' वाला डायलॉग आता है. इसके अलावा फिल्म में कई और एक्शन सीक्वेंस हैं, जो सांसे थमा देते हैं.
3) क्लाइमैक्स मोनोलॉग
'जवान' के बारे में कहा जा रहा है कि ये शाहरुख खान के करियर की सबसे पॉलिटिकली चार्ज्ड फिल्म है. पिक्चर के प्लॉट में वैसे तो कई सोशल मसलों का ज़िक्र होता है. मगर फिल्म के आखिर में शाहरुख का एक मोनोलॉग है. जब एक ही आदमी लगातार बात करता है, तो उसे मोनोलॉग कहते हैं. फिल्म के आखिर में शाहरुख का आज़ाद वाला किरदार सोशल मीडिया लाइव के ज़रिए अवाम से बात करता है. उन्हें चुनावों की अहमियत बताता है. पब्लिक को बड़े ध्यान से जनप्रतिनिधि चुनने की सलाह देता है. मुख्यत: इसी वजह से फिल्म को पॉलिटिकल बुलाया जा रहा है. जनता ये भी बोल रही है कि शाहरुख खान को देश के ज़रूरी मुद्दों पर चुप्पी के लिए कोसा जाता है. इसलिए उन्होंने उन मसलों पर अपनी बात रखने के लिए पूरी पिक्चर ही बना डाली.
4) कॉमिक सीन्स
'जवान' हल्की-फुल्की एंटरटेनर है. कुछ काम की बातें कहने की भी कोशिश करती है. मगर वो मुख्यत: मनोरंजन प्रधान फिल्म है. इसलिए फिल्म में कॉमेडी का रोल बहुत अहम हो जाता है. अच्छी बात है कि फिल्म में कॉमिक रिलीफ देने के लिए अलग से एक्टर्स नहीं रखे गए हैं. सुनील ग्रोवर इस फिल्म का हिस्सा हैं. मगर उन्हें कॉमेडी के लिए इस्तेमाल नहीं किया गया है. फिल्म का सबसे कॉमिक सीक्वेंस तो मेट्रो हाइजैकिंग वाला है. इसमें 'चाहिए तो आलिया भट्ट' वाला डायलॉग है. 'बेक़रार करके हमें' गाने पर फनी डांस भी है. फिर फिल्म के आखिर में कुछ मौकों पर विजय सेतुपति भी आपको हंसाते हैं. बाकी बिट्स एंड पीसेज़ में फिल्म हंसोड़ बनी रहती है.
'जवान' को लेकर ये हमारी राय है. आपको जो लगता है, वो बातें आप कमेंट सेक्शन में ज़ाहिर कर सकते हैं. 'जवान' में शाहरुख खान के साथ नयनतारा, विजय सेतुपति, सान्या मल्होत्रा, प्रियमणि, सुनील ग्रोवर, रिधि डोगरा और दीपिका पादुकोण जैसे एक्टर्स ने काम किया है. 'जवान' को एटली कुमार ने डायरेक्ट किया है.
वीडियो: 'जवान' के डायरेक्टर एटली, म्यूजिक डायरेक्टर अनिरुद्ध रविचंदर को शाहरुख को शुक्रिया क्यों कहा?