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'April Fool' के अलावा 1 अप्रैल को इन वजहों के लिए भी याद रखना

इस दिन दुनिया को और भी बहुत कुछ मिला है.

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प्यारे, एक अप्रैल को इन वजहों से भी याद रखना
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विकास टिनटिन
1 अप्रैल 2021 (Updated: 1 अप्रैल 2021, 08:20 IST)
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आज 1 अप्रैल है. आज कोई सच भी बोले तो कुछ को लगता है 'अप्रैल फूल' बना रहा है. सिंपल सा लॉजिक हर कोई ठेल देता है- आज 1 अप्रैल है, जरूर अप्रैल फूल बना रहे होगे. फूल भी फ्लावर वाला नहीं, बेवकूफ वाला FOOL. लेकिन सखा एंड सखी, 1 अप्रैल को 'अप्रैल फूल' की तरह याद करने से अच्छा है, कुछ और कामों के लिए याद कर लो. क्योंकि इस दिन दुनिया को बहुत कुछ मिला है. ऐपल से लेकर आपकी जेब में पड़े रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया की गारंटी वाले नोट तक. तो लल्लन आपको बता रहा है कि 1 अप्रैल को और किन वजहों से याद किया जाना चाहिए.

GMAIL

gmail

जीमेल ने संदेश या मेल भेजने के पुराने तरीकों को हमेशा के लिए बदल दिया. ये बहुत कम लोगों को याद होगा कि 17 साल पहले यानी साल 2004 में आज ही के दिन जीमेल दुनिया के सामने आया था. जब गूगल ने इस ईमेल सर्विस को लॉन्च किया, तब सबको लगा कि कोई मजाक चल रहा है. लेकिन सच आज हम सब जानते हैं. जीमेल गूगल प्ले स्टोर का पहला ऐप था. ये सर्विस इतनी हिट हो चुकी है कि आज दुनियाभर में इसके यूजर्स की संख्या 2 अरब के आंकड़े की तरफ बढ़ रही है.

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार

1939 में आरएसएस की बैठक के दौरान हेडगेवार और उनके शुरुआती अनुयायी (बाएं) दूसरी फोटो में हेडगेवार (फोटो सोर्स-विकिपीडिया)
1939 में आरएसएस की बैठक के दौरान हेडगेवार और उनके शुरुआती अनुयायी (बाएं) दूसरी फोटो में हेडगेवार (फोटो सोर्स-विकिपीडिया)

आरएसएस के संस्थापक और पहले सरसंघचालक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर में हुआ था. बताते हैं कि एक बार हेडगेवार को स्कूल से सिर्फ इसलिए निकाल दिया गया, क्योंकि उन्होंने वंदे मातरम गाया था. भारत के स्वतंत्रता संघर्ष में हेडगेवार ने भाग लिया था. असहयोग आंदोलन में भागीदारी करने के लिए उन्हें जेल भी हुई. बाद में उन्होंने आरएसएस की स्थापना की.


हैप्पी बर्थडे ऐपल


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जन्मदिन मुबारक हो ‘ऐपल.’ ऐपल का कोई सा भी फोन आ जाए, उसे खरीदने के लिए दुकानों में लाइन लग जाती है. ऐपल का हैप्पी बर्थडे भी 1 अप्रैल को ही होता है. साल 1976 में स्टीव जॉब्स, स्टीव वोज्नियाक और रोनाल्ड वेन की तिकड़ी ने अमेरिका के कैलिफ़ॉर्निया में इस कंपनी को शुरू किया था. तब पहला पर्सनल कंप्यूटर ‘ऐपल-1’ मार्केट में आया था.

RBI की शुरुआत

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रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया (RBI) भी 1 अप्रैल को शुरू हुआ था. साल था 1935. शुरुआत में आरबीआई का ऑफिस कोलकाता हुआ करता था. बाद में 1937 में इसे मुंबई शिफ्ट कर दिया गया.

असफ अली का निधन

asaf ali

अप्रैल 1929 में भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने दिल्ली में सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली में बम फेंका था. इसके बाद उनके खिलाफ अदालती मामला चला था. कई लोगों का कहना है कि असफ अली ने भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त का केस लड़ा था. लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि असफ अली ने बटुकेश्वर को रीप्रेजेंट किया था. भगत सिंह ने एक लीगल एडवाइजर की मदद से अपना केस खुद ही लड़ा था. हालांकि केस में अपनी भूमिका निभाकर असफ अली ने देश के सबसे प्रतिष्ठित वकीलों की सूची में अपना नाम हमेशा के लिए दर्ज करा लिया. अली खुद भी फ्रीडम फाइटर रहे. बाद में अमेरिका में इंडिया के पहले अंबेसडर बने. 1 अप्रैल का दिन उनकी वजह से भी याद किया जाता है. साल 1953 में इसी दिन असफ अली ने दुनिया को अलविदा कहा था.


110 साल के हुए फौजा सिंह

Fauza Singh

धांसू दौड़ने वाले फौजा सिंह का जन्म 1 अप्रैल 1911 को हुआ था. वे आज भी जीवित हैं. अब आप उनकी उम्र का अनुमान लगा रहे होंगे. हम बता देते हैं. फौजा सिंह आज 110 साल के हो गए हैं. वे जब 100 साल के थे, तब भी उन्होंने 8 वर्ल्ड रिकॉर्ड बना दिए थे. दुनिया फौजा सिंह को ‘टरबंड टोरनेडो रनिंग बाबा’ के नाम से जानती है. और देख हैरान होती है. इसी साल जनवरी में खबर आई थी कि फिल्म निर्देशक उमंग कुमार फौजा सिंह की जिंदगी पर फिल्म बनाएंगे.


ओडिशा बना राज्य

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ओडिशा राज्य के लिए 1 अप्रैल का दिन काफी महत्व रखता है. आज से 85 साल पहले 1936 में ये राज्य वजूद में आया था. इसे ओडिशा दिवस या उत्कल दिवस के नाम से भी याद किया जाता है. ओडिशा का नाम पहले उड़ीसा था. लेकिन 2011 में इसका नाम बदलकर ओडिशा कर दिया गया.

अप्रैल फूल क्यों मनाया जाता है?

क्योंकि सन् 1582 तक 1 अप्रैल से ही साल की शुरुआत होती थी. बाद में नया साल एक जनवरी से मनाया जाने लगा. लेकिन ज्यादातर लोगों को इस बारे में पता ही नहीं चला. और वो 1 अप्रैल को ही 'हैप्पी न्यू ईयर' बोलते रहे. बाद में जब पता चला, तो वो कहलाए 'अप्रैल फूल'.


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