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'जब ये नेता पैदा हुआ तो आसमान में दो-दो इंद्रधनुष निकले थे'

हरकतें ऐसी कि 'रजनीकांत' छोटे पड़ जाएं. आज बड्डे है.

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साशा बैरन कोहॅन किम की 'अस्थियों' के साथ. (फोटोःडेडलाईन.कॉम)
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16 फ़रवरी 2017 (Updated: 16 फ़रवरी 2017, 07:53 IST)
Updated: 16 फ़रवरी 2017 07:53 IST
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इस तस्वीर में दिखाई दे रहे हैं प्रेसिडेंट-प्राईम मिनिस्टर-एडमिरल-जनरल अलादीन. वदीया के 'द डिक्टेटर'. और उनके हाथ में एक फ्यूनरल जार है जिसमें उनके प्रेरणास्रोत रहे किम जोंग इल की 'अस्थियां' हैं. अलादीन दरअसल साशा बैरन कोहन हैं जो अपनी फिल्म के प्रचार के लिए 2012 के ऑस्कर में इस तरह पहुंचे थे. उन्होंने किम की 'अस्थियां' रेड कार्पेट पर गिरा दी थीं.
किम जोंग इल. (फोटोःरॉयटर्स) किम जोंग इल. (फोटोःरॉयटर्स)


किम जोंग इल अलादीन की ही तरह नॉर्थ कोरिया के सुप्रीम लीडर थे. असली वाले. आज नॉर्थ कोरिया पर उनके बेटे किम जोंग उन का राज है. सुप्रीम लीडर उन की तारीफ आपने खूब सुनी है. लेकिन हम बता रहे हैं. बेटा, बेटा ही है और बाप-बाप ही है. आज किम जोंग इल के बड्डे पर जानिए किम जोंग इल की कुछ बातें जो साबित कर देंगी कि अलादीन का कोई प्रेरणास्रोत हो सकता है तो वो किम जोंग इल ही हैं. 
1.सूपरनैचुरल जन्म

वहां ये मिथ गढ़ा गया है कि जब ये पैदा हुए थे, तब बेकदू के पहाड़ों पर दो इंद्रधनुषों ने इनका स्वागत किया था. आसमान में एक नया तारा भी निकला था. नॉर्थ कोरिया में लोग बाकायदा इस बात को मानते हैं. 'अलादीन' की ही तरह इनकी मां के बारे में भी यही कहा जाता है कि वे उनके पैदा होते वक्त इस दुनिया से चली गई थीं. इसपर बहस है और कई लोग मानते हैं कि उनकी हत्या हुई थी.
2.'फिल्म बफ'

कहते हैं कि किम को फिल्में बहुत पसंद थी. 20 हज़ार टेप्स थे उनके पास. फेवरेट फिल्म रैम्बो. 1978 में इन्होंने फिल्म डायरेक्टर शिन सैंग ओक और उनकी एक्टर पत्नी चोई युन ही को साउथ कोरिया से किडनैप करवा लिया. चाहते थे कि ये दोनों नॉर्थ कोरिया में फिल्म इंडस्ट्री खड़ी करें. दस साल बाद कहीं ऑस्ट्रिया के रास्ते अमेरिका भाग पाए. वहीं रहते हैं. अब भी अपने घर नहीं लौटे हैं.
3. 'बवाली गोल्फर'

इन्होंने जब पहली बार गोल्फ स्टिक उठाई उसी बार में '38 अंडर पार' का खेल पूरा कर लिया, जिसमें ग्यारह होल थे. गोल्फ के खेल में इस 'चरम' पर पहुंच कर इन्हें लगा कि अब बस बहुत हुआ. उसी दिन अपना रिटायरमेंट अनाउंस कर दिया. इस बात को उनके 17 बॉडी गार्ड्स ने 'कंफर्म' भी किया था.
4. 'उम्दा लेखक'

नॉर्थ कोरियन प्रोपगैंडा के मुताबिक किम प्रकांड पंडित भी थे. उनकी ऑफिशियल बायोग्रैफी के मुताबिक इन्होंने यूनिवर्सिटी में तीन साल की पढ़ाई के दौरान 1500 किताबें लिखीं.
'नो वेस्ट, सब डाइजेस्ट'

इतना सब करते थे, तो बहुत एनर्जी की ज़रूरत पड़ती थी. इसलिए जो खाते थे, सब अंदर ही रहता था. ये संडास नहीं जाते थे.
लेकिन...एक सपना पूरा नहीं हुआ
प्योंगयेंग में किम (दाएं) की उनके पिता के साथ तस्वीर. (फोटोः रॉयटर्स)
प्योंगयेंग में किम (दाएं) की उनके पिता के साथ तस्वीर.

(फोटोः रॉयटर्स)


इतनी काबिलियत के बावजूद किम कभी नॉर्थ कोरिया के राष्ट्रपति नहीं बन पाए. क्योंकि इनके बाप ने मरने के बाद भी वो पद नहीं छोड़ा. वो क्या है कि नॉर्थ कोरिया में किम वंश को शासकों को मरने के बाद एक 'एटरनल' पद दिया जाता है. जनम जनम के लिए. तो इनके पिता एटरनल प्रेसीडेंट बने. इनको सुप्रीम लीडर पद से काम चलाना पड़ा.
ये बता दें कि ये सब सच नहीं है, न हम ऐसा मानते हैं. ये नॉर्थ कोरियन प्रोपगैंडा के तहत वहां के लोगों को पढ़ाया सिखाया जाता है. और कंडीश्निंग ऐसी है कि लोग इसे सच भी मानते हैं.


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