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CTRL - मूवी रिव्यू

कैसी है Vikramaditya Motwane और Ananya Panday की थ्रिलर फिल्म CTRL, जानने के लिए रिव्यू पढ़िए.

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ये फिल्म सीधा नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है.
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यमन
4 अक्तूबर 2024 (Updated: 4 अक्तूबर 2024, 20:38 IST)
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CTRL
Director: Vikramaditya Motwane 
Cast: Ananya Panday, Vihaan Samat
Rating: 3 Stars (***)

Vikramaditya Motwane की नई फिल्म CTRL नेटफ्लिक्स पर रिलीज़ हुई है. लीड रोल में Ananya Panday और Vihaan Samat हैं. अनन्या ने फिल्म में नेला नाम की लड़की का रोल किया है. पूरी दुनिया के लिए वो नेला है. एक पॉपुलर सोशल मीडिया इंफ्लूएंसर. लेकिन जब दिल्ली से घरवालों का फोन आता है, तो मम्मी यही पूछती है कि नलिनी बेटा, कैसी हो. नेला बनने के लिए नलिनी दिल्ली और पापा की बेकरी को पीछे छोड़कर आई है. नेला की मुलाकात होती है जो से. दोनों में प्यार होता. रियल और रील, दोनों दुनिया में. 

पर्सनल इज़ पब्लिक के स्वरचित सिद्धांत को मानते हुए दोनों अपनी ज़िंदगी, पहली डेट से लेकर पहली किस तक, हर पहलू को कंटेंट में तब्दील कर देते हैं. ये वही लोग हैं जिनके लिए सोशल मीडिया पर You guys are Goals जैसे कमेंट आते हैं. खैर इस कपल की पांचवी एनिवर्सरी पर नेला को पता चलता है कि जो उस पर चीट कर रहा था. दिल टूटता है. मन में पनप रहे गुस्से को निकालने के लिए नेला सोशल मीडिया का रुख करती है. वैसे भी इसी जगह से उसे अब तक अपनी sense of belongingness मिलती रही है. यहां उसे कंट्रोल नाम के ऐप के बारे में पता चलता है. AI असिस्टेंस वाले इस ऐप के ज़रिए आप अपनी फीड से किसी का भी डिजिटल प्रिंट मिटा सकते हैं. यादों पर तो नेला का ज़ोर नहीं, इसलिए वो डिजिटल फीड से जो को हटाना चाहती है. कुछ दिन बाद खबर मिलती है कि जो लापता है. क्या नेला के ऐप का उसके गायब होने से कोई कनेक्शन है, और नेला की लाइफ कैसे बदलती है, यही आगे की कहानी है. 

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पूरी फिल्म स्क्रीन पर चलती है.

CTRL एक थ्रिलर फिल्म की तरह शुरू होती है. उसका ये थ्रिल अंत तक बना रहता है. बस ये अपनी सबसे बेसिक चीज़ को पीछे छोड़ देती है. कहानी के केंद्र में नेला और जो हैं. दोनों में प्यार था लेकिन अब रिश्ता टूट गया. नेला को ये समझ नहीं आ रहा कि अपने मन की इस उथल-पुथल को कहां लेकर जाए. वो अपनापन कहां तलाशे. दिशाहीन होकर वो सोशल मीडिया पर पहुंचती है. एक ऐसी दुनिया जिसे छूकर महसूस नहीं किया जा सकता. ऐसी दुनिया जिसके रचयिता इंसान हैं. लेकिन इस काल्पनिक दुनिया में घटने वाली बातों के अंजाम वास्तविक हैं. वहां कही बात किसी की लाइफ, उसका करियर बना या बिगाड़ सकते हैं. ये फिल्म सिर्फ सोशल मीडिया के दुष्परिणाम गिनाने वाली कोई डाक्यूमेंट्री नहीं है. हमें चेताया जाता है कि कैसे रियल और रील वाली लाइन ब्लर होती जा रही है. कैसे एक ऐल्गोरिदम हमारे लिए फैसले ले रही है, और फ्री विल सिर्फ myth बनकर रह जा रही है. कैसे बड़ी आबादी को कॉर्पोरेट अपने हिसाब से चला रहे हैं. कैसे उन कंपनियों के लिए हम बस एक प्रोडक्ट हैं. 

ये सभी बड़े पहलू थे. फिल्म इनको अपने हिसाब से जगह देने की कोशिश भी करती है. बस उस चक्कर में ये भूल जाती है कि वो कहां से शुरू हुई थी. जब ये नेला की कहानी से उठकर बड़ा पर्पस उठाती है तो अपना पर्सनल टच खोने लगती है. एक पॉइंट पर आकर ये नेला की कहानी नहीं रह जाती. आपको बोलकर बताया जाता है कि कैसे टेक्नोलॉजी और उसे चलाने वाले अपने फायदे के लिए आपका इस्तेमाल कर रहे हैं. AI के खतरे वाली बात को बेहतर ढंग से कहानी में पिरोया जा सकता था. 

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अनन्या के काम की तारीफ होनी चाहिए.

CTRL का सबसे रोचक पहलू था कि कैसे ये फिल्म स्क्रीन पर चलती रहती है. चाहे वो किसी का लैपटॉप हो, फोन या सिक्योरिटी फुटेज. पहले भी सिनेमा में ऐसा हुआ है. जैसे साल 2018 में Searching नाम की फिल्म आई थी, वो पूरी फिल्म स्क्रीन पर चलती है. फहाद फासिल की मलयालम फिल्म C U Soon में भी यही होता है. CTRL में ऐसा करना एक इंट्रेस्टिंग क्रिएटिव चॉइस थी. उसकी वजह है कि ये एक थ्रिलर फिल्म है, और हम कहानी को नेला की नज़र से देख रहे हैं. सब कुछ स्क्रीन पर घट रहा है. टेंशन बिल्ड हो रही है. लेकिन आपके दिमाग में एक सवाल भी घर कर के बैठा है, कि हमें स्क्रीन के ज़रिए कहानी दिखाई जा रही है. तो इसमें से कितना सच है, कितना किसी और के वर्ज़न वाला सच है. अंत में जाकर जिस तरह से कहानी स्क्रीन से बाहर निकलती है, वो फिल्म के सबसे बड़े हाइलाइट में से एक है. एक और बात पॉइंट आउट की जानी चाहिए. किसी भी फिल्म की शुरुआत में प्रोडक्शन हाउस वगैरह के क्रेडिट आते हैं. लेकिन CTRL का पहला शॉट एक स्क्रीन का है. डेस्कटॉप वॉलपेपर पर विक्रमदित्य मोटवानी की परिवार के साथ फोटो लगी है. तभी नोटिफिकेशन आती है कि 'आंदोलन' ने इस सिस्टम का एक्सेस ले लिया है. एक बच्ची की आवाज़ सुनाई पड़ती है, 'ममा पापा फिर से आपके कंप्युटर के साथ छेड़खानी कर रहे हैं. आंदोलन, मोटवानी का प्रोडक्शन हाउस है. कायदे से इस शॉट की जगह प्रोडक्शन हाउस का नाम भी आ सकता था. लेकिन मोटवानी ने अपनी ऑडियंस का वक्त ज़ाया नहीं किया, और साथ ही ये भी बता दिया कि फिल्म किस बारे में होने वाली है.         

बाकी नेला बनी अनन्या पांडे ने अच्छा काम किया है. बिना उनका काम देखे जज करने वालों का मुंह बंद होगा. हमारे सामने नेला परत-दर-परत खुलती है. पहले वो एक Influencer है. ब्रेकअप हुआ, ज़िंदगी बदली लेकिन वो अपने Influencer वाले रोल से बाहर नहीं निकल पा रही. अपनी दोस्त को ब्रेकअप के बारे में बता रही है. उस कॉल पर उन दोनों के अलावा कोई नहीं. लेकिन बात करने का तरीका ऐसा था कि जैसे कोई सीक्रेट कैमरा उसे कैप्चर कर रहा है. नेला धीरे-धीरे किसी सेलेब्रिटी से इंसान बनने लगती है. और अनन्या उस ट्रान्ज़िशन को खटकने नहीं देती. 
कई सारे पहलुओं को जगह देने के चक्कर CTRL अपना ट्रैक खो देती है. लेकिन उसके बावजूद इसे देखा जाना चाहिए. आप फिल्म को नेटफ्लिक्स पर स्ट्रीम कर सकते हैं.                              
                   
 

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