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कान फिल्म फेस्टिवल में पहुंचे नसीरुद्दीन शाह ने कहा, "मैं धर्म पर एक हिम्मती फिल्म बनाना चाहता हूं"

Cannes 2024 में Manthan को प्रीमियर के लिए चुना गया था. इस मौके पर Naseeruddin Shah ने मीडिया के सवाल का जवाब देते हुए कहा कि धर्म इंसानियत के लिए सबसे नुकसानदेह चीज़ों में से एक है.

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'मंथन' को कान फिल्म फेस्टिवल में 5 मिनट लंबा स्टैंडिंग ओवेशन मिला.
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खुशी
22 मई 2024 (Published: 20:49 IST)
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Shyam Benegal की फिल्म Manthan को Cannes Film Festival 2024 के Classics Section में प्रदर्शित किया गया. फिल्म की ओरिजिनल रिलीज़ के 48 साल बाद इसे रीस्टोर किया गया है. जिसके बाद इसे कान में प्रीमियर के लिए चुना गया. ये सारा किया धरा है Shivendra Singh Dungarpur का. जो कि एक फिल्मकार हैं. उन्होंने फिल्म हेरिटेज फाउंडेशन नाम का NGO शुरू किया. इसी के तहत वो कई फिल्मों को रीस्टोर कर चुके हैं. ख़ैर, ‘मंथन’ के प्रीमियर में Naseeruddin Shah, Ratna Pathak Shah और Prateik Babbar ने हिस्सा लिया. यहां पर मीडिया इंटरैक्शन के दौरान एक सवाल का जवाब देते हुए नसीर ने कहा कि वो धर्म जैसे विषय पर एक हिम्मती फिल्म बनाना चाहते हैं. 

फ्रांस में Brut के साथ इंटरव्यू में नसीरुद्दीन शाह से पूछा गया कि अगर उन्हें किसी सामाजिक मसले पर फिल्म बनाने का मौका मिलेगा, तो वो किस मुद्दे पर फिल्म बनाना चाहेंगे. नसीर ने कहा, 

“मैं कहूंगा कि धर्म. मेरा मानना है कि इस विषय पर कुछ हिम्मती फिल्में बननी चाहिए. क्योंकि आज कल हम सबके दिमाग में यही चलता रहता है. मेरी राय में ये इंसानियत के लिए सबसे नुकसानदेह चीज़ों में से एक है. मैंने कई सालों पहले पाकिस्तान में एक बेहद ज़रूरी फिल्म की थी ‘खुदा के लिए’. जो कि ‘मंथन’ जितनी ही अहम फिल्म है. कुछ लोग ये करने की कोशिश कर रहे हैं. और आने वाले समय में उन लोगों की संख्या में इजाफा होगा. बावजूद इसके डायरेक्ट तरीके से इस बात को कह पाना आसान नहीं है. आपको गोलमोल घुमाकर ये बातें कहनी पड़ती हैं. ”    

नसीरुद्दीन शाह ने पहली बार कान फिल्म फेस्टिवल के रेड कार्पेट पर चलने का अनुभव भी बताया. उन्होंने कहा,

“मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मैं यहां हूं. मैंने हमेशा ये रेड कार्पेट फोटोज़ और वीडियोज़ में देखा है. मैंने बड़े बड़े लोगों को यहां पर सुंदर कपड़ों में चलते देखा है. आज मैं भी इस सब का हिस्सा हूं. मैंने ये सब सपने में भी नहीं सोचा था. इसलिए मैंने और मेरी पत्नी (रत्ना पाठक शाह) ने बिल्कुल साधारण दिखने का फैसला किया. काफी भावुक भी महसूस कर रहा हूं. क्योंकि मेरे इतने सारे दोस्त इस फिल्म का हिस्सा थे. मगर आज वो यहां नहीं है. गिरीश, स्मिता, अमरीश, उनमें से कोई भी यहां नहीं है.” 

‘मंथन' की कहानी श्वेत क्रांति के बैकड्रॉप में सेट है, जिसे वर्गीज़ कुरियन लीड कर रहे थे. इसे भारतीय सिनेमा इतिहास की पहली क्राउड फंडेड फिल्म माना जाता है. क्राउड फंडेड मतलब, जिस फिल्म को बनाने के पैसे आम जनता ने दिए हों. ‘मंथन’ को बनाने के लिए गुजरात के 5 लाख डेयरी वर्कर्स ने 2-2 रुपए डोनेट किए थे. फिल्म बनने के बाद वो सभी वर्कर्स ‘अपनी’ फिल्म देखने सिनेमाघरों में पहुंचे. जिसकी वजह से टिकट खिड़की पर ये फिल्म हिट साबित हुई. साथ ही इसे बेस्ट फीचर फिल्म और बेस्ट स्क्रीनप्ले का नेशनल अवॉर्ड भी मिला. 'मंथन' को ऑस्कर्स में भारत की तरफ से ऑफिशियल एंट्री के तौर पर भेजा गया था. बेस्ट इंटरनेशनल फीचर फिल्म कैटेगरी में. 

2024 में इस फिल्म के रीस्टोर्ड वर्ज़न को 77वें कान फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शन के लिए चुना गया. जहां इसे देखने के बाद लोगों ने 5 मिनट तक खड़े होकर तालियां बजाईं. 1 जून, 2024 को ‘मंथन’ का यही  नया वाला वर्ज़न भारत के सिनेमाघरों में भी रिलीज़ होने जा रहा है. 

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