The Lallantop
Advertisement

कहानी राजपाल यादव की, जिन्होंने रामू की फिल्म करने से मना किया, फिर आगे 17 फ़िल्में साथ की

जानिए कैसे शूट हुआ था 'चुप चुपके' से राजपाल यादव का वो कॉमेडी सीन, जिस पर मीम्स की बाढ़ आई रहती है.

Advertisement
rajpal-yadav, biography
अपने करियर के शुरुआती दिनों में राजपाल यादव. दूसरी तरफ फिल्म 'जंगल' के एक सीन में राजपाल.
pic
श्वेतांक
28 जून 2022 (Updated: 13 जून 2023, 13:28 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

साल 2001. स्टार स्क्रीन अवॉर्ड्स चल रहे थे. जैसे ही बेस्ट एक्टर इन नेगेटिव रोल की घोषणा हुई, एक पांच फुट दो इंच का आदमी स्टेज पर पहुंचा. भावुक होकर उसने जनता के सामने मत्था टेका. रोते-रोते अवॉर्ड स्वीकार किया और हिंदी में अपनी एक्सेप्टेंस स्पीच दी. इस एक्टर का नाम था राजपाल यादव. राजपाल को ये अवॉर्ड राम गोपाल वर्मा के डायरेक्शन में बनी फिल्म 'जंगल' के लिए मिला था. ये ऑफिशियली राजपाल के करियर की पहली फिल्म थी, जिसके लिए उन्हें क्रेडिट मिला. फरदीन खान और उर्मिला मातोंडकर स्टारर 'जंगल' में उन्होंने सिप्पा नाम का किरदार निभाया था. ये फिल्म उन्हें कैसे मिली, इसके पीछे एक बड़ी मज़ेदार कहानी है.

राजपाल यादव 1999 में आई फिल्म 'शूल' में एक कुली के रोल में दिखाई दिए. ये ब्लिंक एंड मिस रोल था. जब रामू इस फिल्म का रफ कट देख रहे थे, तो उन्हें राजपाल का काम नोटिसेबल लगा. उन दिनों रामू अपनी अगली फिल्म 'जंगल' बनाने जा रहे थे. वो इसमें राजपाल यादव को भी कास्ट करना चाहते थे. राजपाल तक खबर पहुंचाई गई कि राम गोपाल वर्मा अपनी अगली फिल्म की कास्टिंग के सिलसिले में उनसे मिलना चाहते हैं. मगर राजपाल उनसे मिलने नहीं गए. राजपाल को दोबारा समन किया गया. फाइनली जब दोनों की मुलाकात हुई, तो रामू ने पूछा कि वो बुलाने पर मिलने क्यों नहीं आए. इसके जवाब में राजपाल ने कहा कि उन्हें लगा कि रामू की फिल्म में उनके लायक क्या रोल होगा. फिल्म का नाम 'जंगल' है, ये सुनकर राजपाल यादव ने खुद को रिजेक्ट कर लिया. क्योंकि उन्हें लगा कि इस फिल्म में लंबे-चौड़े एक्टर्स को कास्ट किया जाएगा. मगर इस मीटिंग के बाद ही राजपाल को सिप्पा के रोल में कास्ट कर लिया गया. जो कि एक नेगेटिव कैरेक्टर था. ‘शूल’ फिल्म से राजपाल का वो सीन आप नीचे देख सकते हैं-

राजपाल यादव, राम गोपाल वर्मा को अपने जीवन के सबसे ज़रूरी लोगों में गिनते हैं. 'जंगल' से शुरू हुआ उनका रिश्ता ऐसा बना कि राजपाल ने अपने करियर में कुल 17 फिल्में रामू के प्रोडक्शन-डायरेक्शन में की. खैर, राजपाल यादव को उनके कॉमिक रोल्स के लिए जाना जाता है. क्योंकि उन्होंने 'हंगामा', 'मुझसे शादी करोगी', 'गरम मसाला', 'ढोल', 'भूल भुलैया', ‘फिर हेरा फेरी’, 'पार्टनर', 'दे दना दन' और 'चुप चुपके' समेत कई फिल्मों में अपने काम का लोहा मनवाया. यूपी के एक छोटे से गांव से आने वाला लड़का, जिसे ठीक से हिंदी बोलनी भी नहीं आती थी, वो हिंदी फिल्मों का जबरदस्त कॉमेडी एक्टर कैसे बना? 

# वो बच्चा, जिसके पैदा होते ही तय हो गया कि वो डॉक्टर बनेगा  

उत्तर प्रदेश में एक जिला है शाहजहांपुर. शाहजहांपुर से 50 किलोमीटर दूर एक छोटा सा कस्बा है, कुंडरा. 16 मार्च, 1971 को इसी गांव में एक बच्चे का जन्म हुआ. घरवालों की इच्छा थी कि लड़का बड़ा होकर डॉक्टर बने. इस इच्छा को पूरा करने की तैयारी बचपन से ही चालू हो गई थी. पांचवी तक की पढ़ाई गांव के प्राइमरी स्कूल से हुई. 10वीं तक पहुंचते-पहुंचते तीन स्कूल बदले गए. राजपाल ने 11वीं और 12वीं की पढ़ाई शाहजहांपुर की ऑर्डिनेन्स क्लोदिंग फैक्ट्री में स्थित स्कूल से की.

ऑर्डिनेन्स क्लोथिंग फैक्ट्री सरकारी संस्थान है, जिसे रक्षा मंत्रालय संचालित करता है. बेसिकली यहां आर्मी, एयर फोर्स, नेवी वगैरह के लिए कपड़े और ज़रूरत की अन्य चीज़ें बनाई जाती हैं. इसके एंट्रेंस इग्ज़ाम में बहुत सारे बच्चे बैठते हैं, जिसमें से बमुश्किल 30-35 लोगों का चुनाव होता है. यहां से पढ़ रहे बच्चों को आगे चलकर यहीं जॉब करने की सहूलियत मिलती थी. राजपाल अपने इंटरव्यूज़ में बताते हैं कि अगर वो एक्टर नहीं होते, तो आज भी ऑर्डिनेन्स क्लोदिंग फैक्ट्री में जॉब कर रहे होते. खैर, 11वीं-12वीं से निपटने के बाद अब ग्रैजुएशन की बारी थी. राजपाल ने मम्मी-पापा के कहने पर डॉक्टरी के लिए साइन-अप तो कर लिया था, मगर उन्हें साइंस में कुछ खास इंट्रेस्ट नहीं था. न ही उन्हें लैब एक्सपेरिमेमंट्स वगैरह अच्छे लगते थे. ग्रैजुएशन तक पहुंचते-पहुंचते क्लैरिटी आ गई थी कि साइंस लेकर पढ़ाई नहीं हो सकती. इसलिए राजपाल अपना स्ट्रीम चेंज करके आर्ट्स में आ गए. उन्होंने रुहेलखंड यूनिवर्सिटी से पॉलिटिकल साइंस और हिंदी लिटरेचर में ग्रैजुएशन किया.  

अपने करियर के शुरुआती दौर में राजपाल यादव.


 # लखनऊ ने सिखाया बोलने का शऊर  

राजपाल यादव पढ़ाई तो कर रहे थे, मगर उनका मन एक्स्ट्रा करिकुलर एक्टिविटीज़ में ज़्यादा लगता था. उन्होंने कॉलेज के दिनों से नुक्कड़-नाटकों में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था. इसी दौरान उन्हें अंधेर नगरी चौपट राजा नाम के नाटक में काम करने का मौका मिला. इस नाटक के बाद लोगों ने उनकी खूब तारीफें की. राजपाल उसे अपना लाइफ चेंजिंग मोमेंट बताते हैं. उसी दिन उन्होंने तय कर लिया कि उन्हें अपना करियर एक्टिंग में ही बनाना है. इसकी तैयारी शुरू हुई. वो शाहजहांपुर के लोकल थिएटर ग्रुप कोरोनेशन आर्ट थिएटर से जुड़ गए. ये सब कॉलेज वाले दिनों की बात है.

ग्रैजुएशन पूरा करने के बाद 1992 में राजपाल ने लखनऊ के भारतेंदु नाट्य अकादमी से दो साल का एक्टिंग डिप्लोमा कोर्स किया. राजपाल बताते हैं कि जब वो लखनऊ पहुंचे, तब जाकर उन्हें बोलने का शऊर आया. वरना उन्हें 'श' और 'स' के बीच का फर्क तक नहीं पता था. लखनऊ से अपना डिप्लोमा पूरा करके राजपाल यादव दिल्ली पहुंचे. यहां उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में दाखिला पाया. तीन साल तक एक्टिंग की ट्रेनिंग ली. 1997 में वो पास आउट हो गए. मई में वो पास आउट हुए और जून में मुंबई पहुंच गए. एक्टर बनने.

NSD से पास आउट होने के बाद एक्टिंग करने मुंबई पहुंचे राजपाल यादव.

# जिस फिल्म से महिमा चौधरी का करियर खत्म होने वाला था, उससे राजपाल का डेब्यू हुआ

1997 में मुंबई पहुंचने के बाद राजपाल यादव को ज़्यादा स्ट्रगल नहीं करना पड़ा. अगर करना पड़ा भी हो, तो वो उसे स्ट्रगल नहीं मानते. खैर, उन दिनों टीवी पर एक बड़ा हिट सीरियल आता था 'मुंगेरीलाल के हसीन सपने'. प्रकाश झा उसका सीक्वल 'मुंगेरी के भाई नौरंगीलाल' बनाने जा रहे थे. राजपाल यादव को मुंगेरी के रोल में कास्ट कर लिया गया. मगर इस शो को वैसी सफलता नहीं मिली. आगे राजपाल ने पंकज कपूर के साथ 'मोहनदास' में काम किया. इसमें पंकज के साथ नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी और आदित्य श्रीवास्तव जैसे एक्टर्स भी काम कर रहे थे. फिर राजपाल तिग्मांशु धूलिया के 'नया दौर' में भी दिखाई दिए.

अगले डेढ़-दो साल तक राजपाल 5-6 टीवी शोज़ में छोटे-बड़े रोल्स में दिखाई दिए. मगर उन्हें मज़ा नहीं आ रहा था. वो ये करने मुंबई नहीं आए थे. उन्हें फिल्मों में काम करना था. इसी आइडिया के साथ राजपाल ने टीवी करना बंद कर दिया. 1999 में प्रकाश झा अजय देवगन, काजोल और महिमा चौधरी को लेकर 'दिल क्या करे' नाम की फिल्म बना रहे थे. इस फिल्म को अजय के पिता वीरू देवगन ने प्रोड्यूस किया था. ये वही फिल्म थी, जिसकी शूटिंग के दौरान महिमा चौधरी का भयंकर एक्सीडेंट हुआ. शूटिंग के लिए जा रहीं महिमा की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी. इस एक्सीडेंट में महिमा के चेहरे में शीशे के 67 टुकड़े चुभ गए थे, जो डॉक्टरों ने निकाले. खैर, राजपाल यादव को इस फिल्म में एक स्कूल वॉचमैन का रोल मिला. ये उनके करियर की पहली फिल्म थी. 1999 में ही वो आफताब शिवदासानी की डेब्यू फिल्म 'मस्त' में एक चपरासी के रोल में दिखे. फिर आई 'शूल', जिसमें राजपाल ने एक कुली का रोल किया. इस फिल्म के बाद उनका करियर बदल गया. क्योंकि रामगोपाल वर्मा ने उन्हें सामने से बुलाकर अपनी फिल्म 'जंगल' में काम ऑफर किया. 

‘मुंगेरी के भाई नौरंगीलाल’ के एक सीन में राजपाल यादव.

# 'चुप चुपके' का वो मीम वाला सीन कैसे बना था?

राजपाल यादव को 'जंगल' के बाद खूब काम मिलने लगा. 'जंगल' की रिलीज़ के बाद कुछ ही समय में उन्होंने 20 से ज़्यादा फिल्में साइन कर लीं. इसमें 'प्यार तूने क्या किया', 'चांदनी बार', 'कंपनी' और 'हासिल' जैसी फिल्में शामिल थीं. मगर राजपाल बताते हैं कि उन्हें I have arrived वाली फिल्म फीलिंग 2003 में फिल्म 'हंगामा' के बाद आई. प्रियदर्शन डायरेक्टेड इस फिल्म में राजपाल ने राजा नाम के लड़के का रोल किया था. यही वो फिल्म थी, जिसके बाद राजपाल की पहचान अच्छे कॉमेडी एक्टर की बन गई. फिल्ममेकर्स ने उन्हें बढ़िया पैसा देना शुरू किया.  

2006 में एक फिल्म आई थी 'चुप चुपके'. इस फिल्म में शाहिद कपूर, परेश रावल, ओम पुरी, करीना कपूर और सुनील शेट्टी जैसे एक्टर्स ने काम किया था. मगर ये फिल्म हमें याद रही राजपाल यादव और उनकी परफॉरमेंस की वजह से. वो सीन इसी फिल्म का है, जिसमें गूंगे शाहिद को बोलते सुन राजपाल यादव कंफ्यूज़ हो जाते हैं. इस सीन की मेकिंग के पीछे भी एक छोटा सा किस्सा है.

करियर में छोटे-छोटे रोल्स करके राजपाल यादव परेशान हो गए थे. ऐसे में प्रियदर्शन उन्हें अपनी एक फिल्म में कास्ट करते हैं. प्रियदर्शन ने 'चुप चुपके' की शूटिंग के लिए राजपाल यादव से 40 दिन का समय मांगा. राजपाल को लगा कि चलो फाइनली कोई बड़ा रोल उनके खाते में आया. वो प्रियदर्शन की फिल्म के सेट पर पहुंचने से पहले सेलेब्रिटी हेयर-स्टाइलिस्ट आलिम हकीम के यहां पहुंचे. बढ़िया फैंसी स्टाइल में बाल कटाया. इसके बाद वो पहुंचे 'चुप चुपके' के सेट पर. यहां पहुंचते ही प्रियदर्शन ने राजपाल का बाल कटोरा कट स्टाइल में कटवा दिया. खैर, जिस सीन का अपन ज़िक्र कर रहे हैं, उसकी शूटिंग शुरू हुई. प्रियदर्शन ने इस सीन का ब्रीफ देते हुए राजपाल को कहा कि आपको हंसना है, कंफ्यूज़ होना है, रोना है, सरप्राइज़ होना है. ये सबकुछ एक साथ करना है. राजपाल ने एकांत में जाकर इसकी तैयारी की. वो सीन पहले टेक में ही ओके हो गया. यानी डायरेक्टर उससे संतुष्ट हो गए. राजपाल अपने एक इंटरव्यू में बताते हैं कि उस सीन को उन्होंने कई बार दोबारा करने की कोशिश की. मगर वो उस लेवल तक पहुंच ही नहीं पाए. 



# जब अजय देवगन के सामने राजपाल ने रामू को ऑकवर्ड कर दिया

'कंपनी' फिल्म की शूटिंग चल रही थी. हॉन्गकॉन्ग के इंटर कॉन्टिनेंटल होटल की छत पर फिल्म की स्टारकास्ट बैठी हुई थी. अजय देवगन, मनीषा कोईराला, विवेक ओबेरॉय, अंतरा माली, राजपाल यादव और डायरेक्टर रामगोपाल वर्मा एक सर्किल बनाकर बैठे गप्पें मार रहे थे. इसी बीच रामू ने राजपाल से कहा कि अब तो वो उनकी फिल्म नहीं करेंगे. राजपाल ने पूछा, ऐसा क्यों?

रामू ने अपनी टूटी-फूटी हिंदी में कहा- ''आपको 'जंगल' से इतनी पॉपुलैरिटी मिली. फिर मैंने आपको इस फिल्म में एक छोटे रोल में कास्ट कर लिया. आप इंटरव्यूज़ में कहेंगे कि रामू ने ‘कंपनी’ में आपका मिसयूज़ कर दिया.''

राजपाल ने कहा- ''सर आपने मुझे तमाम फिल्में दीं. ‘जंगल’ आपने दी. ‘प्यार तूने क्या किया’ आपने दी. ‘कंपनी’ भी आपने ही दी. और पक्का पता है कि मेरे लायक कोई लीड फंसेगा, तो वो भी आप मुझे ही दोगे.''

इस स्टेटमेंट के बाद महफ़िल में सन्नाटा पसर गया. किसी ने कुछ नहीं कहा. राजपाल बताते हैं कि वो रात भर सो नहीं पाए. उन्हें लग रहा था कि वहां उन्हें वो बात नहीं बोलनी चाहिए थी. थोड़ा ज़्यादा हो गया. अगले दिन हॉन्गकॉन्ग एयरपोर्ट पर फिल्म की शूटिंग चल रही थी. राम गोपाल वर्मा आए और राजपाल को किनारे ले गए. उन्होंने राजपाल से कहा कि वो रात भर सो नहीं पाए. राजपाल ने पूछा क्यों? रामू ने कहा कि उन्हें राजपाल का कॉन्फिडेंस बहुत अच्छा लगा. वो अगर कोई सब्जेक्ट लेकर आएंगे, तो रामू उनके साथ लीड में फिल्म बनाने को तैयार हैं. इसी के बाद राजपाल यादव ने 'मैं माधुरी दीक्षित बनना चाहती हूं' नाम की फिल्म में काम किया. जो कि रामू के प्रोडक्शन की फिल्म थी और उसके हीरो राजपाल यादव थे.

फिल्म ‘भूल भुलैया 2’ के एक सीन में कार्तिक आर्यन के साथ राजपाल यादव.

राजपाल यादव बताते हैं कि उनकी लाइफ में तीन लोग ऐसे हैं, जिनके वो हमेशा आभारी रहेंगे. वो तीन लोग हैं- राम गोपाल वर्मा, प्रियदर्शन और डेविड धवन. ऐसा राजपाल इसलिए कहते हैं क्योंकि करियर में वो कई मुश्किलों से गुज़रे. मगर इन तीनों फिल्ममेकर्स ने उन्हें हमेशा एक आर्टिस्ट के तौर पर देखा और इज्ज़त दी. प्रियदर्शन डायरेक्टेड आखिरी हिंदी फिल्म थी 'हंगामा 2', इसमें भी राजपाल यादव ने अहम भूमिका निभाई. रामू इन दिनों हिंदी फिल्में बना नहीं रहे. डेविड धवन के डायरेक्शन में बनी आखिरी फिल्म थी 'कुली नंबर 1', उसमें भी राजपाल यादव एक ज़रूरी किरदार में दिखाई देते हैं. खैर, राजपाल यादव आखिरी बार 'भूल भुलैया 2' में छोटे पंडित के किरदार में दिखाई दिए थे. इसके अलावा वो ज़ी5 फिल्म 'अर्ध' में लीड रोल में दिखाई दिए.  

वीडियो: राजपाल यादव की फिल्म 'अर्ध' का रिव्यू

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement