The Lallantop
Advertisement

अमिताभ का इलाज करने वाले 'डॉक्टर', आसाम सिनेमा के दिग्गज एक्टर निपुण गोस्वामी नहीं रहे

आसाम के पहले ट्रेन्ड एक्टर की कहानी.

Advertisement
nipon-goswami-assamese-actor
27 अक्टूबर, 2022 को उनका 80 साल की उम्र में निधन हो गया.
pic
यमन
28 अक्तूबर 2022 (Updated: 28 अक्तूबर 2022, 17:33 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

साल 1976. अमिताभ बच्चन गाड़ी चलाते हुए कहीं जा रहे हैं. तभी अचानक उनकी गाड़ी का एक्सीडेंट हो जाता है. ये हकीकत नहीं बल्कि फिल्म का सीन था. फिल्म थी ‘दो अनजाने’. एक्सीडेंट के बाद हम देखते हैं कि अमिताभ का किरदार अपने बिस्तर पर सोया है. उसकी आंखें खुलती हैं. कोई उसे पुकारता है, 'नरेश'. ये उसका इलाज कर रहे डॉक्टर हैं. अमिताभ को कुछ याद नहीं. वो परेशान. डॉक्टर हैरान. फ्रेम में दो एक्टर थे – नरेश बने अमिताभ और डॉक्टर बने निपुण गोस्वामी. 

भारतीय सिनेमा में दो समान कद के अभिनेता. हिंदी पट्टी वालों को निपुण से परिचय करवाने के लिए अमिताभ जैसे महानायक का इस्तेमाल करना पड़ा. जबकि निपुण खुद असमिया सिनेमा के कलावंत थे. लेट सिक्सटीज़ में फिल्मी एक्टिंग करियर शुरू हुआ. आसामी, हिंदी और बांग्ला भाषा में काम किया. लगभग 50 से ज़्यादा फिल्मों में. उसी दौरान असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिसवा के रील वाले दादाजी भी बने. आसामी भाषी जनता को सुनहरी, यादगार फिल्में दी. सिनेमा को समृद्ध किया. सिनेमा जगत को इतना योगदान देने वाले इस दिग्गज ने 27 अक्टूबर, 2022 को अपनी आखिरी सांस ली. वो लंबे समय से हृदय संबंधी बीमारी से लड़ रहे थे. CM बिसवा ने उनकी डेथ को आसामी सिनेमा के लिए बड़ा आघात बताया. साथ ही लिखा कि बचपन में उन्हें Kokadeuta Nati Aru Hati नाम की फिल्म में निपुण गोस्वामी के साथ करने का सौभाग्य मिला था. 

निपुण की डेथ उन्हें याद करना का बहाना नहीं होनी चाहिए. बल्कि एक और वजह होनी चाहिए उनकी लेगेसी को सेलिब्रेट करने की. आज उनकी लाइफ और उनके सिनेमा को थोड़ा करीब से जानते हैं. 

# ट्रेनिंग लेने वाला आसाम का पहला एक्टर

साल 1942 में आसाम के कालीबाड़ी में निपुण का जन्म हुआ. एक कला समृद्ध परिवार में. पिता चंद्रधर गोस्वामी एक्टर थे. नाटक किया करते. वहां की जनता के लिए आदरपूर्वक लिया जाने वाला नाम थे. मां निरुपमा गोस्वामी एक गायिका थीं. अपने करियर में सफल. निपुण की परवरिश की बदौलत उनका झुकाव कला के प्रति बढ़ने लगा. रही सही कसर पूरी की बान थिएटर ने. 1906 में इस थिएटर की स्थापना हुई थी. बचपन के दिनों में अकसर निपुण यहां नाटक देखने जाते. बान थिएटर के दिनों को पहली ईंट माना जा सकता है. जिस पर उनकी एक्टिंग की इमारत खड़ी हुई. 

nipon goswami
निपुण की फिल्म से एक सीन. 

नाटकों में बढ़ती इच्छा के चलते उन्होंने खुद एक्टिंग करना शुरू किया. उन दिनों आसाम में मोबाईल थिएटर हुआ करते थे. इसकी शुरुआत आसाम में ही हुई. यहां नाटक मंडली अलग-अलग जगह जाकर नाटक किया करती. निपुण भी ऐसे मोबाईल थिएटर का हिस्सा बनने लग गए. ये नाटक ही उनके पहले एक्टिंग अनुभव के साक्षी बने. हालांकि कैमरा के सामने एक्टिंग करने का पहला मौका मिला अपने पिता की फिल्म में. 1957 में एक फिल्म आई थी Piyali Phukan. निपुण के पिता चंद्रधर ने फिल्म में अहम रोल निभाया. और निपुण ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट पहली बार कैमरा का सामना किया. पहली फिल्म के बाद कुछ साल बीते. निपुण पढ़ाई पर ध्यान दे रहे थे. B.A. कर चुके थे. अब एक्टिंग को सीरियसली लेना चाहते थे. उसकी बारीकियों को समझना चाहते थे. यही सोचकर फिल्म एंड टेलिविज़न इंस्टिट्यूट ऑफ इंडिया, पुणे (FTII) में एक्टिंग कोर्स के लिए अप्लाई कर दिया. सिलेक्शन भी हो गया. 

FTII के दिनों में शत्रुघ्न सिन्हा, नवीन निश्चल और सुभाष घई जैसे नाम उनके साथी थे. उन्होंने अपनी पढ़ाई, अपनी कला पर काम किया. वो आसाम के पहले अभिनेता बनने जा रहे थे जिसने एक्टिंग की फॉर्मल ट्रेनिंग ली हो. 

# कॉलेज में मिला खत और पहली फिल्म 

अमर पाठक नाम के एक लेखक थे. सिक्सटीज़ में उन्होंने अपने एक नॉवल पर फिल्म बनाने की सोची. उसी के लिए हीरो की तलाश थी. अपने हीरो के नाम उन्होंने एक लेटर लिखा. जो जाकर पहुंचा FTII. उस पर निपुण गोस्वामी का नाम लिखा था. अमर चाहते थे कि निपुण उनकी फिल्म के नायक बनें. ये फिल्म थी ‘संग्राम’. बतौर लीड एक्टर, निपुण की पहली फिल्म. ‘संग्राम’ हिट हुई. लेकिन अभी भी निपुण के पांव पूरी तरह आसामी सिनेमा में नहीं जमे थे. ये काम किया उनकी दूसरी फिल्म Dr. Bezbaruah ने. 

nipon goswami movies
निपुण ने 46 आसामी फिल्मों में काम किया. 

साल 1969 में आई इस फिल्म ने निपुण को स्टार बना दिया. ये वही साल था जब ‘आराधना’ ने राजेश खन्ना को हिंदी सिनेमा का पहला सुपरस्टार बनाया था. खैर, Dr. Bezbaruah के बाद निपुण को कभी पीछे मुड़कर नहीं देखना पड़ा. सेवंटीज़ और एटीज़ में उन्होंने अपने सिनेमा पर राज़ किया. 1983 में आई Kokadeuta Nati Aru Hati उनकी पॉपुलर फिल्मों में से एक थी. ये फिल्म ऐसे दौर में आई जब आसाम की राजनीति में अस्थिरता बनी हुई थी. इस फ़ील गुड फिल्म में उन्होंने हेमंत बिसवा के दादा का रोल निभाया. 

निपुण आसामी फिल्मों को लीड कर रहे थे. लेकिन हिंदी में उन्हें ऐसा मौका नहीं मिला. ‘दो अनजाने’ के अलावा उन्होंने ‘दो भाई’, ‘दामिनी’ समेत आठ हिंदी फिल्मों में काम किया. इन सभी फिल्मों में उन्होंने सपोर्टिंग कैरेक्टर्स के रोल अदा किए. तबीयत खराब होने से पहले तक वो फिल्मों में काम करते रहे. उनकी आखिरी रिलीज़ हुई फिल्म 2021 में आई. Dr. Bezbaruah 2. उस फिल्म का सीक्वल जिसने उनके सितारे को बुलंद कर दिया था.              

वीडियो: बसु चटर्जी की बायोग्राफी -

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement