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रणबीर कपूर की फ्लॉप फिल्म के लिए अमित त्रिवेदी को पहले म्यूजिक सीखना पड़ा!

अमित त्रिवेदी ने बताया कि उन्हें सबसे ज़्यादा टाइम अनुराग कश्यप की फिल्म 'बॉम्बे वेलवेट' के गाने बनाने में लगा.

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ranbir kapoor
बॉम्बे वेलवेट बुरी तरह फ्लॉप हुई थी
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अनुभव बाजपेयी
20 अक्तूबर 2023 (Published: 17:18 IST)
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अमित त्रिवेदी का लल्लनटॉप के न्यूजरूम आना हुआ. यहां उन्होंने अपने गानों और धुनों की कुछ अबूझ चीजें हमारे सामने खोली. ऐसी ही एक चीज़ है कि अमित त्रिवेदी के लिए सबसे कठिन किस फिल्म के गाने बनाना रहा? अमित ने इसका जवाब दिया कि उनके लिए 'बॉम्बे वेलवेट' के गाने काफी कठिन रहे. ऐसा क्यों? इस पर अभी हम आगे बात करेंगे.

अमित त्रिवेदी किसी फिल्म के मूड को कैसे पकड़ते हैं? कैसे किसी कहानी के अनुसार धुनें बनाते हैं? इस पर अमित का कहना था:

मैं किसी भी चीज़ में घुस जाता हूं. जैसे 'बॉम्बे वेलवेट' में जैज़ था. या फिर 'उड़ता पंजाब' में ड्रग्स. 'जुबिली' का फोर्टीज या फिफ्टीज हो! मैं खुद को बहुत इन्वेस्ट कर देता हूं. फिर जाकर कुछ बाहर आता है.

इस पर अमित त्रिवेदी से सवाल पूछा गया कि उनको अब तक सबसे ज़्यादा टाइम किस फिल्म के गाने बनाने में लगा. उन्होंने जवाब दिया:

'बॉम्बे वेलवेट' में मुझे बहुत टाइम लगा क्योंकि वो जैज़ था. और मैं जैज़ म्यूजिशियन हूं नहीं. मुझसे जब अनुराग सर ने कहा कि जैज़ करना है, तो मैंने कहा मुझे तो पहले सीखना पड़ेगा. फिर मैंने थोड़ी बहुत ट्रेनिंग ली. फिफ्टीज-सिक्सटीज का जैज़ सुना बहुत. तब मुझे पता चला कि जैज़ में ब्लैक स्विंग और वाइट स्विंग अलग-अलग होता है. इसलिए मुझे इन सब में बहुत टाइम लगा. तब जाकर 'बॉम्बे वेलवेट' का म्यूजिक बना.

ये भी पढ़ें: फ्लॉप होती हिंदी फिल्मों के पीछे की सबसे मजबूत वजह अनुराग कश्यप ने बताई 

अमित ने ये भी बताया कि नई धुनें कैसे बनती हैं? क्या कोई आमद होती है? या फिर ख़ास समय होता है, जब धुनें बनाई जाती हैं? अमित त्रिवेदी ने इसका जवाब दिया. उन्होंने बताया:

ये साइंस किसी को नहीं पता. यहां तक कि मुझे भी नहीं पता कि कोई नई धुन कैसे बन जाती है! अगर आप एआर रहमान से पूछेंगे, वो भी ऐसा ही जवाब देंगे. उन्होंने एक बार कहा भी था, कम्पोजीशन कहीं से आ जाती है बस. मेरी तो ज़्यादातर धुनें नींद में आई. मैं नींद में अपना फोन पास में ही रखता हूं कि कोई चीज़ मैं मिस न कर दूं. जैस कि 'काई पो चे' का मांझा था. रात में तीन बजे उठकर न जाने कहां से आ गया. मुझे भी नहीं पता. इसका साइंस मुझे वास्तव में नहीं पता. किसी न्यूरोसाइंस वाले से पूछेंगे, शायद वो बता पाए.

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