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क्या आप जानते हैं इन 8 टॉप एक्टर्स ने कौन-कौन सी चर्चित फ़िल्में डायरेक्ट की हैं?

जानिए उन एक्टर्स के बारे में जिन्होंने अपनी पहली पारी कैमरा के सामने शुरू की, फिर आगे चलकर वो कैमरा के पीछे भी पहुंचे.

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फिल्म 'वेड' के सेट पर सलमान खान के साथ रितेश देशमुख. 'मंटो' की शूटिंग के दौरान नवाज के साथ नंदिता दास. और आखिरी तस्वीर में नई फिल्म डायरेक्ट करते अजय देवगन.
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यमन
11 जुलाई 2022 (Updated: 11 जुलाई 2022, 22:10 IST)
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रितेश देशमुख. एक्टर हैं. और सिर्फ हिंदी फिल्मों में नहीं. मराठी फिल्मों के भी बड़े नाम हैं. रितेश ने 2014 में आई मराठी फिल्म ‘लय भारी’ से मराठी सिनेमा में डेब्यू किया था. अपने एक हालिया ट्वीट में उन्होंने फिल्म का ज़िक्र भी किया. साथ ही एक जानकारी भी साझा की. वो ये कि रितेश बतौर डायरेक्टर अपनी पहली फिल्म ‘वेड’ की शूटिंग पूरी कर चुके हैं. 'वेड' एक मराठी शब्द है, जिसका मतलब होता है पागलपन. रितेश ने पिछले साल बताया था कि वो डायरेक्टर के तौर पर अपनी पहली फिल्म पर काम शुरू करने वाले हैं. फिल्म पर रितेश ने सिर्फ एक्शन-कट नहीं बोला. बल्कि शॉट देने के बाद मॉनिटर पर चेक भी किया, कि टेक सही था या नहीं. ऐसा इसलिए क्योंकि रितेश ‘वेड’ में एक्टिंग भी कर रहे हैं.

एक्ट्रेस और उनकी पत्नी जेनेलिया डिसूज़ा भी ‘वेड’ के ज़रिए 10 साल बाद फिल्मों में कमबैक करने जा रही हैं. इस फिल्म में सलमान खान भी स्पेशल अपीयरेंस में दिखाई देंगे. अक्खे इंडिया को ‘झिंग झिंग झिंगाट’ करवाने वाले अजय-अतुल ‘वेड’ का म्यूज़िक बना रहे हैं. पिछले साल बताया गया था कि ‘वेड’ 11 अगस्त, 2022 को रिलीज़ होगी. हालांकि, अब ये रिलीज़ डेट थोड़ी मुश्किल लग रही है. फिल्म की फाइनल रिलीज़ डेट को लेकर जो भी अपडेट आएगा, हम आप तक पहुंचाएंगे. लेकिन रितेश के बहाने आज बात करेंगे उन एक्टर्स की, जिन्होंने अपनी पहली पारी कैमरा के सामने शुरू की. फिर आगे चलकर वो कैमरा के पीछे भी पहुंचे. यानी करियर एक्टिंग से शुरू किया, फिर फिल्में भी डायरेक्ट कीं.  

#1. कोंकणा सेन शर्मा 

कोंकणा कभी डायरेक्टर नहीं बनना चाहती थीं. मगर उन्हें ये भी कहां पता था कि चार लाइन की कहानी इतनी पसंद आ जाएगी कि खुद उसे डायरेक्ट करने का मन करेगा. कोंकणा के पिता और जर्नलिस्ट मुकुल शर्मा ने एक परिवार के ऊपर शॉर्ट स्टोरी लिखी, जो कि उनके आपसी रिलेशनशिप के बारे में थी. ये कहानी कोंकणा के दिमाग में अटक गई. वो दिन-रात उसके बारे में सोचतीं. दिमाग ही दिमाग में उस कहानी को गुनती रहीं. जब कहानी इतनी बड़ी हो गई कि कागज़ या दिमाग में न फिट हो सके, तब उसे फिल्म की शक्ल देने का फैसला लिया. इस कहानी पर बनी फिल्म को 2016 में ‘A Death in The Gunj’ नाम से रिलीज़ किया गया.   

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फिल्म के सेट पर कोंकणा. 

टोरंटो फिल्म फेस्टिवल में प्रीमियर होने के बाद फिल्म दुनियाभर के अलग-अलग फिल्म फेस्टिवल्स में घूमी. गैर-हिंदी फिल्म होने के बावजूद इसे इंडिया में पॉज़िटिव रिस्पॉन्स मिला. कोंकणा ने बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर का फिल्मफेयर अवॉर्ड भी अपने नाम किया. कोंकणा अपने इंटरव्यूज़ में कह चुकी हैं कि उनके हाथ अगर कोई कमाल स्क्रिप्ट लगती है, तो वो फिर से डायरेक्टर की कुर्सी पर बैठना चाहेंगी. 

#2. अजय देवगन 

06 अप्रैल, 2008 को Films Division of India के ऑडिटोरियम में एक फिल्म स्क्रीन हुई. इसे देखने लालकृष्ण आडवाणी और दिवंगत नेता सुष्मा स्वराज भी पहुंची थीं. स्क्रीनिंग पूरी हुई, जिसके बाद लालकृष्ण आडवाणी को स्टैंडिंग ओवेशन देते हुए देखा गया. वो फिल्म थी ‘यू मी और हम’. बतौर डायरेक्टर, अजय देवगन की पहली फिल्म. भले ही अजय को फिल्म का आइडिया तीन साल पहले पसंद आ गया, लेकिन डायरेक्शन की नींव सालों पहले पड़ चुकी थी. साल 1998 में अजय ‘मेजर साब’ पर काम कर रहे थे. उस फिल्म को टीनू आनंद डायरेक्ट कर रहे थे. शूटिंग के दौरान वो एक दिन बीमार पड़ गए, हॉस्पिटल में एडमिट करने की नौबत आ गई. 

ऐसे समय में फिल्म का काम न अटके, इसलिए अजय ने स्टेप इन किया. जब तक टीनू चंगे नहीं हो गए, तब तक इस फिल्म को अजय ने ही डायरेक्ट किया. मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो अजय ने ‘प्यार तो होना ही था’ और ‘हिंदुस्तान की कसम’ के भी कुछ सीन्स डायरेक्ट किए थे. खैर, ‘यू मी और हम’ कमर्शियल फ्रंट पर कारगर साबित नहीं हुई. न ही फिल्म को क्रिटिक्स ने कुछ खास पसंद किया. उसके बाद अजय ने ‘शिवाय’ डायरेक्ट की. जिसे क्रिटिक्स ने ठीक-ठाक फिल्म बताया. लेकिन बॉक्स ऑफिस पर हालत पतली रही. उसके साथ रिलीज़ हुई ‘ऐ दिल है मुश्किल’ ने 'शिवाय' को पछाड़ दिया. 2022 में अजय की तीसरी डायरेक्टोरियल फिल्म ‘रनवे 34’ रिलीज़ हुई थी. इस फिल्म की कमाई तो कुछ खास नहीं रही, मगर समीक्षकों ने अजय के काम की तारीफ की. अब अजय ने अपने चौथे प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर दिया है. अजय तमिल फिल्म ‘कैथी’ के हिंदी रीमेक ‘भोला’ को डायरेक्ट कर रहे हैं. इसमें वो तबू के साथ एक्टिंग भी करेंगे.   

#3. आमिर खान 

‘तारे ज़मीन पर’. वो इकलौती फिल्म जिसके डायरेक्टर वाले क्रेडिट में आमिर खान का नाम है. इस फिल्म के बनने में एक और अहम किरदार था. वो थे अमोल गुप्ते. उनका नाम आपको फिल्म के राइटर और क्रिएटिव डायरेक्टर वाले सेक्शन में मिलेगा. फिल्म आने के बाद ये दोनों नाम किसी और वजह से चर्चा में रहे. अमोल ने आरोप लगाया कि आमिर ने उनका क्रेडिट चुराया है. उनका कहना था कि बतौर डायरेक्टर, फिल्म की शूटिंग उन्होंने शुरू की थी, जिसे बाद आमिर ने टेकओवर कर लिया.  

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‘तारे ज़मीन पर’ में राम शंकर निकुंभ के रोल में आमिर खान. 

आमिर का इस पर कहना था कि वो फिल्म के प्रोड्यूसर थे. इसलिए उन्होंने अमोल को फिल्म बनाने दी. लेकिन एक हफ्ते की शूटिंग के बाद उनका अमोल के काम पर से भरोसा कमजोर हो गया. उन्होंने अमोल से कहा कि आप अपनी स्क्रिप्ट किसी दूसरे प्रोड्यूसर के पास ले जा सकते हैं. ऐसे में अमोल ने आमिर से ही फिल्म डायरेक्ट करने को कहा. ये आमिर का वर्ज़न है. कंट्रोवर्सी चाहे कितनी भी बड़ी हुई हो, लेकिन ‘तारे ज़मीन पर’ जैसी फिल्म के इम्पैक्ट को कोई नहीं नकार सकता. 

आए दिन आमिर पर आरोप लगते रहते हैं कि वो अपनी फिल्मों में इनवॉल्वमेंट के नाम पर काफी दखलअंदाज़ी करते हैं. हालांकि इस पर आमिर ने अपनी सफाई पेश की. उन्होंने करण जौहर के शो ‘कॉफी विद करण’ में कहा था कि लोगों को लगता है कि वो अपनी फिल्में खुद डायरेक्ट करते हैं. मगर उन्होंने इन बातों को अफवाह बताकर खारिज कर दिया.   

#4. नसीरुद्दीन शाह 

‘यूं होता तो क्या होता’. 2006 में रिलीज़ हुई फिल्म. इसमें इरफान खान, कोंकणा सेन शर्मा और रत्ना पाठक शाह जैसे एक्टर्स ने काम किया था. इस फिल्म ने इंडियन सिनेमा के दो दिग्गजों की लाइफ बदल दी. मलयालम फिल्मों के बढ़िया एक्टर्स में गिने जाने वाले फहाद फ़ाज़िल ने ये फिल्म देखी. वो इरफान की एफर्टलेस एक्टिंग देखकर सब कुछ भूल गए. वो बताते हैं कि इस फिल्म ने उनकी दुनिया बदल दी. जब फहाद ने ये फिल्म देखी, तब वो एक्टिंग में फुल टाइम एक्टिव नहीं थे. वो लाइफ में अन्य चीज़ें ट्राय कर रहे थे. मगस इसके बाद उन्होंने अभिनय को गंभीरता से लेना शुरू कर दिया. फिर आते हैं ‘यूं तो तो क्या होता’ के डायरेक्टर नसीरुद्दीन शाह. जो कहते हैं कि इस फिल्म ने उनका फिल्ममेकर के तौर पर कॉन्फिडेंस हिलाकर रख दिया. 

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‘यूं होता तो क्या होता’ से एक स्टिल.

वो फिर कभी कोई फिल्म डायरेक्ट करने की हिम्मत नहीं जुटा पाए. नसीर एक इंटरव्यू में बताते हैं कि उनकी खामियों की वजह से फिल्म अच्छी नहीं बन पाई. अब वो एक-एक कदम लेकर चलेंगे, जिसकी शुरुआत शायद एक शॉर्ट फिल्म बनाने से हो. 

#5. नंदिता दास 

2008 में नंदिता दास अपनी पहली फिल्म ‘फिराक’ बना चुकी थीं. जो 2002 के गुजरात दंगों पर आधारित कहानी थी. फिल्म कंप्लीट होने के बाद नंदिता को अफसोस हो रहा था. गुस्सा आ रहा था. कसम खा ली कि फिर कभी फिल्म नहीं बनाएंगी. इसकी वजह थी फिल्म को मिल रहा कमजोर डिस्ट्रिब्यूशन. कोई भी सीरियस और बिना स्टार वाली फिल्म को डिस्ट्रिब्यूट करके रिस्क नहीं लेना चाहता था. बहरहाल, फिल्म रिलीज़ हुई और नंदिता ने अपनी कसम तोड़ दी. जब उन्होंने पिछले दिनों नवाजुद्दीन सिद्दीकी को लेकर ‘मंटो’ बनाई. 

अब उनकी तीसरी फिल्म आने वाली है. जो एक डिलीवरी बॉय की कहानी बताएगी. उनकी इस फिल्म में कॉमेडियन कपिल शर्मा लीड रोल करेंगे.    

#6. अनुपम खेर 

अनुपम खेर ने 1984 में आई ‘सारांश’ से फिल्मों में एक्टिंग डेब्यू किया. 28 साल की उम्र में उन्होंने एक बुजुर्ग और रिटायर्ड स्कूल टीचर का रोल निभाया. जिसे उस दौर में अन-कंवेनशनल चॉइस बताया गया. एक्टिंग के बाद अनुपम खेर ने बतौर प्रड्यूसर अपना करियर शुरू किया. साल 2000 में आई बांग्ला फिल्म ‘बाड़ीवाली’ से. ऋतुपर्णो घोष के डायरेक्शन में बनी इस फिल्म को क्रिटिक्स ने खूब सराहा. अनुपम खेर ने एक्टिंग और प्रोडक्शन के बाद कुछ नया ट्राय किया.    

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फिल्म के सेट पर अनुपम खेर. 

उन्होंने 2002 में ‘ओम जय जगदीश’ नाम की फिल्म डायरेक्ट की. इसमें अनिल कपूर, फरदीन खान के साथ अभिषेक बच्चन ने काम किया था. अनुपम के डायरेक्शन में बनी इस इकलौती फिल्म में तमाम टिपिकल एलिमेंट्स पाए गए. नई पैकेजिंग में वही घिसा हुआ फैमिली ड्रामा, जो दशकों से हिंदी सिनेमा में चला आ रहा था. नतीजतन, फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बुरी पिटी. हालांकि, अनुपम खेर फिल्म पर काम करने को अच्छे अनुभव के तौर पर याद रखते हैं.    

#7. रजत कपूर 

एक फिल्म की शूटिंग हुई. एडिट टेबल पर गई. वहां पता चला कि फिल्म से हीरो ही गायब है. मतलब शूटिंग के वक्त था, मगर रील में नज़र नहीं आ रहा. ये रजत कपूर की लिखी और डायरेक्ट की गई आगामी फिल्म ‘RKAY’ की कहानी है. ये डायरेक्टर के तौर पर रजत कपूर की पहली फिल्म है. ‘RKAY’ 22 जुलाई, 2022 को सिनेमाघरों में रिलीज़ होने जा रही है. रजत लंबे समय से अपनी कहानियों को बैक करने के लिए प्रोड्यूसर्स तलाशते रहे हैं. इरफान और नसीरुद्दीन शाह जैसे एक्टर्स को लेकर ‘Private Detective: Two Plus Two Plus One’ बनाई. लेकिन पैसे की कमी के चलते फिल्म कभी रिलीज़ नहीं हो पाई. 

आगे चलकर उन्होंने ‘रघु रोमियो’ और ‘आंखों देखी’ जैसी फिल्में भी बनाई. 'आंखों देखी' को रजत के करियर की ही नहीं, हिंदी सिनेमा की कमाल फिल्मों में भी गिना जाता है.   

#8. पंकज कपूर 

‘एक डॉक्टर की मौत’, ‘मक़बूल’ और ‘रुई का बोझ’ जैसी फिल्मों में काम करने वाले पंकज कपूर ने 2011 में अपनी पहली फिल्म डायरेक्ट की. इस फिल्म में उन्होंने अपने बेटे शाहिद को डायरेक्ट किया. ये फिल्म थी ‘मौसम’. पंकज कपूर ने अपने एक्टिंग करियर में मेनस्ट्रीम सिनेमा से इतर पैरेलल सिनेमा के डायरेक्टर्स के साथ भी काम किया. इनमें से कई फिल्में ऐसी होती थी, जहां लिमिटेड बजट के चलते एक इंसान को कई डिपार्टमेंट संभालने पड़ते थे. कुंदन शाह की ‘जाने भी दो यारों’ ऐसी फिल्ममेकिंग का एग्ज़ैम्पल है. 

ऐसी फिल्मों और शोज़ पर काम करते हुए पंकज कपूर ने एक्सपीरियेंस हासिल किया. फिर अपना पहला टीवी शो डायरेक्ट किया. ये शो था 2001 में आया ‘मोहनदास B.A L.L.B’.             

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