अकबरुदुद्दीन ओवैसी. AIMIM के फायरब्रांड नेता. पंद्रह मिनट वाले ओवैसी के नाम सेमशहूर. एक बार फिर से ख़बरों में हैं. उनका एक और बयान वायरल हो रहा है. बयान भी औरउसमें एक्स्ट्रा लगाया गया तड़का भी. फेसबुक, ट्विटर पर रैंडम सर्च करने भर से आपकोओवैसी साहब का एक महावायरल स्टेटमेंट मिल जाएगा. कई मीडिया हाउसेस तो इसपर ख़बरें भीकर चुके हैं. बयान के मुताबिक़ अकबरुद्दीन ओवैसी ने नरेंद्र मोदी से कहा, "चाय वाले,इतना मारूंगा कि कान से खून निकलने लगेगा." कितनी ऑफेंसिव बात! सुनते ही किसी भीसमझदार इंसान का मन वितृष्णा से भर जाए. वो बोले, 'क्या बकवास है यार!' हकीकत मेंभी ये बकवास ही है. अकबरुद्दीन ओवैसी ने ऐसा कहा ही नहीं है. अपनी उस लंबी तक़रीरमें उन्होंने बहुत कुछ बोला है, सिवाय इस एक बात के.एक नमूना ये रहा,ऐसी बहुत सी पोस्ट्स आपको फेसबुक पर मिल जाएंगी.ओवैसी का बयान कुछ यूं था, "चाय वाले, हमें मत छेड़, चाय-चाय चिल्लाते हो, याद रखोइतना बोलूंगा-इतना बोलूंगा कि कान में से पीप निकलने लगेगा, खून निकलने लगेगा." आपखुद देख लीजिए वीडियो:बेसिकली बोलने की बात थी, मारने की नहीं. जिसे झूठ की खेती करने वाले ले उड़े औरमिर्च-मसाला झोंक कर परोस दिए.साइबेरिया में जब तापमान बहुत नीचे गिर जाता है, वहां के पंछी कुछ समय के लिए अपनामुल्क छोड़ देते हैं. भारत में ऐसा इंसानों को करना चाहिए. ख़ास तौर से चुनावी मौसममें. चुनावी रुत में इंडिया में भी बहुत कुछ तेज़ी से नीचे गिरता है. जैसे राजनीतिका स्तर, भाषाई मर्यादा और बेसिक नैतिकता का सेंसेक्स. हालात कुछ ऐसे हैं किचुनावों से जस्ट पहले के एक-दो महीने तमाम समंजस भारतीयों का मंगल ग्रह पर जाकररहने की सलाह देने का मन करता है.अनर्गल बयानबाज़ी भी एक पैटर्न से होती है अपने यहां. # पहले कोई एक नेता वाहियातबयान देता है. समर्थक एक मैडल की तरह उसे प्रदर्शनी में रख देते हैं. # उसके जवाबमें दूसरी तरफ से और भी घटिया बयान आता है. इस बार दूसरी तरफ की जनता लहालोट होजाती है. # कभी-कभी इस बाईलेटरल मुकाबले को जनता ट्राइएंगुलर भी बना देती है. अपनीतरफ से मसाला झोंक कर झूठ का गुब्बारा आसमान में छोड़ देती है. ताज़ा मामले में ऐसाही कुछ हुआ है.तेलंगाना में पहले योगी आदित्यनाथ ने एक बेतुका बयान दिया. कहा कि अगर हम सत्ता मेंआए ओवैसी को हैदराबाद के निजाम की तरह देश छोड़कर भागना पड़ेगा. क्यों साहब! क्योंभागे कोई भारतीय नागरिक अपना मुल्क, अपनी ज़मीन छोड़कर? आप सत्ता में ख़ुशी से आएं. जोजनता आपको सत्ता में लाए, उसके लिए आप काम करें. अपना काम छोड़कर किसी को भगाने मेंआपको इतना इंटरेस्ट क्यों है? वो कीजिए न जिसके लिए आपको चुना गया है.योगी आदित्यनाथ.उधर जवाबी हमले में ओवैसी साहब ने भले ही मारने वाली बात न की हो, सुर तो उनका भीहद दर्जे का ऑफेंसिव था. चाहे योगी आदित्यनाथ के कपड़ों पर टिप्पणी हो याप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को बार-बार चाय वाला कहना. अकबरुद्दीन ओवैसी को भी येसमझ लेना चाहिए कि मंच से सिर्फ दहाड़कर जनता का या उनकी ज़ुबान में कौम का कोई भलानहीं होने वाला. पहले ही उनकी एक वाहियात स्पीच में इस मुल्क की रगों में पर्याप्तज़हर भर रखा है. वो ही झिल नहीं रहा.अब रही बात उन अंधे समर्थकों की जो हर कान ले उड़ने वाली अफवाह पर कौवे के पीछे दौड़लगाते हैं. झूठी ख़बरें न सिर्फ खुद कंज़्यूम करते हैं बल्कि उन्हें वायरल करके गंदीराजनीति करने वालों के हाथ मज़बूत करते हैं. या तो इस समझदार बनिए, इस सर्कस काहिस्सा बनने से इंकार कीजिए या मंगल ग्रह पर जाकर रहिए. फैसला आपका. नमस्ते.--------------------------------------------------------------------------------वीडियो: