चढ़ दुश्मन की छाती पर, मुहर लगेगी हाथी पर. बहुजन समाज पार्टी समाज पार्टी केउत्साही कार्यकर्ता पार्टी का सिंबल बांटते रहते हैं लोगों में. और बच्चे इनके नारेलगाते रहते हैं. चाहे समझ आये ना आये. हाथी नहीं गणेश है, ब्रह्मा, विष्णु महेश है.बचपन में भी मुझे भी समझ नहीं आता था पर अच्छा लगता था. क्योंकि हाथी बड़ा प्यारासिंबल लगता था. वो भी ब्लू हाथी. पर हाथी ही क्यों है बसपा का सिंबल? बहुजन समाजपार्टी के संस्थापक कांशीराम ने इलेक्शन कमीशन से हाथी ही क्यों मांगा था चुनावचिन्ह के लिए? इसकी कई वजहें थीं- 1. कांशीराम जाति-प्रथा में नीचे के लोगों कोबहुजन कहते थे. क्योंकि इनकी आबादी बाकी जातियों से ज्यादा थी. फिर ये दलित कहेजाने के खिलाफ भी था. क्योंकि दलित कहने से किसी की मानसिक मजबूती कैसे बढ़ेगी? तोकांशीराम मानते थे कि बहुजन समाज एक हाथी की तरह है. विशालकाय. हाड़-तोड़ मेहनतकरने वाला. बेहद मजबूत. बस इसको अपनी ताकत की समझ नहीं है. इसीलिए ऊपरी जातियों केलोग कमजोर होने के बावजूद महावत की तरह कंट्रोल करते हैं. 2. इसके अलावा हाथी काबौद्ध धर्म से भी रिश्ता है. इस धर्म को भीमराव अंबेडकर ने अपने मरने से कुछ समयपहले अपना लिया था. बुद्ध की जातक कथाओं में हाथी का जिक्र है. गौतम बुद्ध की मांमहामाया ने सपना देखा था कि एक सफेद हाथी अपनी सूंड उठाये कमल का फूल लिये हुए उनकेगर्भ में आ रहा है. एक संत ने इसका मतलब बताया था कि लड़्का पैदा होगा और बहुत महानबनेगा. 3. फिर भीमराव अंबेडकर ने जब अपनी पार्टी बनाई तो हाथी को ही सिंबल के तौरपर लिया था. कांशीराम को अंबेडकर की राजनीति का उत्तराधिकारी माना जाता था. तो येएक सम्मान का भी प्रतीक था. साथ ही प्रथा को कायम रखने का भी जरिया था. 4. हिमाचलप्रदेश, पंजाब, बिहार राज्यों में बहुत सारे बहुजन हाथी को देवताओं की सवारी भीमानते हैं. यहां तक तो आधुनिकता पहुंची नहीं थी. ऐसे में अपनी चीजों को बड़े स्तरपर देखना कांफिडेंस देता. कांशीराम उस वक्त बहुजन समाज को जोड़ रहे थे. उस समाज मेंज्यादा लोग पढ़े-लिखे नहीं थे उस वक्त. हालांकि अब वो बात नहीं है. बहुत पढ़ते हैं.उस वक्त लोगों को एक झंडे के नीचे लाने के लिए किसी सिंबल की जरूरत थी जिसे लोगआसानी से समझ सकें. और खुद को जुड़ा हुआ महसूस कर सकें. क्योंकि उस वक्त तक बहुजनसमाज के ज्यादातर वोट कांग्रेस को ही जाते थे. क्योंकि कांग्रेस को बहुत दिन से लोगजानते थे. समझ नहीं थी कि किसको वोट करना है. एक अबूझ सी लॉयल्टी थी. जो नफे-नुकसानसे परे थी. ऐसे में उनको तोड़ के लाना और भरोसा दिलाना कि हम अच्छा करेंगे, बड़ामुश्किल था. कई सारे प्रतीक खोजे गये. सबको एक बनाने के लिये. तो हाथी बड़ा काम कासिद्ध हुआ. फिर इस को ले के बड़ प्यारे और जबान पर चढ़ने वाले नारे भी बन गये.https://www.youtube.com/watch?v=93EoXr-FFIIhttps://www.youtube.com/watch?v=xPugbbPSKlc--------------------------------------------------------------------------------मायावती के लिए मुस्लिम वोट बटोरेगा 28 साल का ये लड़कामुझे आर्यावर्त को चमारावर्त में बदलना है: कांशीराम