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Madhya Pradesh Election: कांग्रेस ने कहा गद्दार, सिंधिया बोले वफादार, नतीजा क्या रहा?

Madhya Pradesh Elections में जनता ने Shivraj Singh Chouhan को सत्ता सौंप दी है. साथ ही ज्योतिरादित्य सिंधिया के ज्यादातर समर्थकों ने भी बाजी मार ली है. कितने जीते और कौन हारा? सिंधिया की मामी का क्या हाल रहा?

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ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थक विधायकों ने शिवराज के भरोसे पर लगाई मुहर. (तस्वीर:India Today/Social Media)
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शुभम सिंह
4 दिसंबर 2023 (Updated: 4 दिसंबर 2023, 16:48 IST)
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मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव (Madhya Pradesh Elections 2023) की तस्वीर अब साफ़ हो गई है. बीजेपी ने प्रचंड बहुमत से चुनावों में जीत हासिल कर ली है. राज्य की जनता ने शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) को सत्ता की चाभी दे दी है. एमपी की 230 विधानसभा सीटों में से बीजेपी को 163 और कांग्रेस को 66 सीटें मिली हैं. मध्य प्रदेश चुनाव में बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिधिंया (Jyotiraditya Scindia) के करीब डेढ़ दर्जन से अधिक समर्थकों को इस बार टिकट दिया था. इसमें ज्यादातर समर्थक अपनी सीटों पर जीत गए हैं.

सिंधिया के एक दर्जन समर्थकों ने लहराया जीत का परचम

ज्योतिरादित्य सिंधिया एक जमाने में मध्यप्रदेश कांग्रेस के बड़े नेता माने जाते थे. उन्होंने फरवरी 2020 में कांग्रेस छोड़ बीजेपी का दामन थाम लिया था. सिंधिया के साथ उनके कई समर्थकों ने बीजेपी की सदस्यता ग्रहण की थी. इसमें से करीब 18 लोगों को बीजेपी ने इस बार विधानसभा में टिकट दिया था. सबसे प्रमुख नाम है उर्जा मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर का. ग्वालियर विधानसभा सीट से खड़े तोमर ने कांग्रेस के सुनील शर्मा को 19,140 वोटों से हरा दिया है.

राज्य की सांवेर विधानसभा सीट से जलसंसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कांग्रेस की रीना बुरासी देवी को 68,854 वोटों से हरा दिया. सिंधिया समर्थकों में जीतने वालों में सांची विधानसभा सीट से स्वास्थ्य मंत्री डॉ प्रभुराम चौधरी ने कांग्रेस के डॉ जीसी गौतम को 44,273 वोटों से हराया है. सांची सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी. अनुपुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण मंत्री बिसाहूलाल सिंह ने कांग्रेस के रमेश कुमार सिंह को 20 हज़ार वोटों से हराया है.

प्रद्युमन सिंह तोमर और तुलसीराम सिलावट. (क्रेडिट:सोशल मीडिया)

सुवासरा विधानसभा सीट से नवीन एवं नवकरणीय ऊर्जा, पर्यावरण मंत्री हरदीप सिंह डंग ने कांग्रेस के राकेश पाटीदार को 22,669 मतों से हराया है. मुंगावली विधानसभा सीट 1990 से अभी तक चार बार बीजेपी तो चार बार कांग्रेस के हिस्से आई थी. लेकिन इस बार यहां सिंधिया के समर्थक और राज्य मंत्री- लोक स्वास्थ्य यांत्रिक - ब्रजेंद्र सिंह यादव ने बाजी मार ली है. उन्होंने कांग्रेस के राव यादवेंद्र सिंह को 5,422 वोटों से हरा दिया. देवास जिले की हाटपिपलिया विधानसभा सीट से पिछले कुछ चुनावों से कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस को जीत मिलती आई थी. इस बार फिर से ये सीट बीजेपी के हाथ लगी. मनोज नारायण सिंह ने कांग्रेस के राजवीर सिंह बघेल को 4142 मतों से हरा दिया. खंडवा जिले की सभी सीटों पर बीजेपी ने अपना परचम लहराया है. यहां से कांग्रेस ने पूर्व विधायक राजनरायण सिंह के बेटे उत्तम पाल सिंह को मैदान में उतारा था. लेकिन, उन्हें बीजेपी के नारायण पटेल ने मात्र 589 वोटों से हरा दिया.

उपचुनाव में हारे तीन सिंधिया समर्थकों को भी मिला था टिकट

बीजेपी ने ज्योतिरादित्य सिंधिया के उन तीन समर्थकों को भी इस बार टिकट दिया था जो 2020 के उपचुनाव में हार गए थे. बता दें, नवंबर 2020 में मध्य प्रदेश में 28 सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी ने 19 सीटों पर जीत दर्ज की थी. उपचुनाव में मिली हार के बाद जिन तीन सिंधिया गुट के प्रत्याशियों को बीजेपी ने टिकट दिया था, उनमें से दो की फिर से हार हो गई है. डबरा विधानसभा सीट से सिंधिया की कट्टर समर्थक इमरती देवी को बीजेपी का टिकट मिला था. 

इमरती देवी और रघुराज सिंह कंसाना

अपने बयानों के कारण चर्चा में रहने वाली इमरती देवी इस बार फिर से चुनाव हार गईं. उन्हें कड़े मुकाबले में कांग्रेस के सुरेश राजे ने 2200 से अधिक वोटों से हरा दिया. मुरैना विधानसभा सीट से रघुराज सिंह कंसाना को कांग्रेस के दिनेश गुर्जर ने 19,871 वोटों से हरा दिया. सुमवाली विधानसभा से बीजेपी के एदल सिंह कंसाना ने बसपा के कुलदीप सिंह सिकरवार को हरा दिया.

सिंधिया की मामी चुनाव हार गईं

ग्वालियर पूर्व विधानसभा सीट से ज्योतिरादित्य सिंधिया की मामी माया सिंह को ऐन वक्त पर बीजेपी ने अपना उम्मीदवार बनाया था. इसको लेकर बीजेपी को खासा विरोध झेलना पड़ा था, लेकिन बीजेपी ने अपना निर्णय नहीं बदला. लेकिन कांग्रेस के सतीश सिंह सिकरवार ने माया सिंह को 15 हज़ार से अधिक वोटों से हरा दिया. इसके अलावा ग्वालियर की भितरवार विधानसभा सीट से सिंधिया के कट्टर समर्थक मोहन सिंह राठौर पहली बार चुनाव लड़ रहे थे. उन्होंने चार बार के विधायक कांग्रेस के लाखन सिंह यादव को 22,695 वोटों से हरा दिया.

ज्योतिरादित्य के इन समर्थकों मिली हार

ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीब एक दर्जन समर्थकों के खाते जीत आई, लेकिन करीब आधा दर्जन समर्थकों को बीजेपी की इस लहर में भी हार का मुंह देखना पड़ा. इसमें बमोरी विधानसभा सीट से कांग्रेस के ऋषि अग्रवाल ने महेंद्र सिंह सिसोदिया (संजू भईया) को 14,796 वोटों से हरा दिया. इसी तरह राज्य की मलहरा विधानसभा सीट से कांग्रेस की उम्मीदवार बहिन रामसिया भारती ने सिंधिया समर्थक कुंवर प्रद्युमन सिंह लोधी को 21,532 वोटों से हरा दिया. शिवराज सरकार में पीडबल्यूडी राज्यमंत्री सुरेश सिंह को कांग्रेस के कैलाश कुशवाहा ने 49,481 वोटों से हरा दिया. एमपी सरकार में उद्योग नीति मंत्रालय संभाल रहे बीजेपी के राज्यवर्धन सिंह बदनवार विधासभा सीट से चुनाव हार गए हैं. उन्हें कांग्रेस के भंवर सिंह शेखावत (बाबू जी) ने 93,733 वोटों से हरा दिया.

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एमपी की अशोक नगर सीट से बीजेपी ने जजपाल सिंह जज्जी को चुनाव मैदान में उतारा था. उनपर फर्जी जातिप्रमाण पत्र बनवा कर चुनाव लड़ने का आरोप था. इस बार वे कांग्रेस के हरिबाबू राव से 8,373 वोटों से हार गए. अंबाह विधानसभा सीट से भी सिंधिया समर्थक को हार का सामना करना पड़ा है. यहां बीजेपी के टिकट पर खड़े कमलेश जाटव को कांग्रेस के देवेंद्र रामनारायण सखवार ने 22,627 वोटों से हरा दिया.

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