The Lallantop
X
Advertisement

लोकसभा चुनाव: पहले चरण में बिहार की इन सीटों पर वोटिंग, NDA और 'INDIA' में किसका पलड़ा भारी?

Lok Sabha Election 2024: पहले चरण में बिहार की चार सीटों Aurangabad, Gaya, Nawada और Jamui में चुनाव होने हैं. इन सीटों पर कौन हैं NDA और INDIA गठबंधन के उम्मीदवार? जानिए पूरा सियासी गणित.

Advertisement
2024 Indian general election in Bihar
बिहार की 4 सीटों पर 19 अप्रैल को चुनाव होना है. (फाइल फोटो: PTI/आजतक)
pic
रवि सुमन
4 अप्रैल 2024 (Published: 22:08 IST)
font-size
Small
Medium
Large
font-size
Small
Medium
Large
whatsapp share

लोकसभा का चुनाव (Lok Sabha election) होना है. तारीखें घोषित की जा चुकी हैं. पहले चरण में 19 अप्रैल को बिहार की 4 सीटों पर वोटिंग होनी है. लोकसभा की वो 4 सीटें हैं- औरंगाबाद, गया, नवादा और जमुई. उम्मीदवारों ने नामांकन भर दिया है. नामाकंन वापस लेने की तारीख भी खत्म हो गई है, जो कि 2 अप्रैल थी. अब स्पष्ट है कि इन सीटों पर किनके बीच लड़ाई है और यहां के उम्मीदवारों के जीत-हार का क्या गणित है? इस आर्टिकल में इन सीटों की राजनीति को समझने की कोशिश करेंगे.

पहले बात करेंगे राष्ट्रीय जनता दल (RJD) नेता तेजस्वी यादव के उस बयान की, जिसमें उन्होंने NDA पर परिवारवाद का आरोप लगाया है. उन्होंने कहा है कि परिवारवाद पर सवाल उठाने वाली NDA ने इन चारों सीटों पर परिवारवाद के आधार पर ही टिकट दिया है. तेजस्वी यादव ने कहा,

"जमुई से NDA ने अरुण भारती को टिकट दिया है, जो पूर्व 𝐌𝐋𝐂 ज्योति पासवान के बेटे और पूर्व केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के दामाद और चिराग पासवान के जीजा हैं. औरंगाबाद के भाजपा उम्मीदवार सुशील कुमार सिंह भी पूर्व सांसद राम नरेश सिंह के बेटे हैं. गया से पूर्व CM जीतनराम मांझी उम्मीदवार हैं, जो मंत्री और 𝐌𝐋𝐂 संतोष सुमन के पिता हैं. वहीं नवादा से उम्मीदवार विवेक ठाकुर पूर्व सांसद सीपी ठाकुर के बेटे हैं."

PM Modi in Jamui
जमुई में चुनावी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (तस्वीर साभार: PTI)

अब इन चारों सीटों की राजनीति को समझने की कोशिश करते हैं.

Nawada में BJP बनाम RJD की लड़ाई

नवादा में आमने-सामने हैं- BJP के विवेक ठाकुर और RJD के श्रवण कुमार. श्रवण कुमार कुशवाहा समाज से हैं. इंडिया टुडे से जुड़े पत्रकार पुष्य मित्र बताते हैं,

“देखना होगा कि नवादा के यादव समाज के लोग श्रवण कुमार को कितना समर्थन देते हैं.”

Vivek Thakur and Shrawan Kumar
विवेक ठाकुर और श्रवण कुमार (तस्वीर साभार: ECI)

एक निर्दलीय उम्मीदवार भी हैं, जिन पर नजरें टिकी हैं. पिछले लोकसभा चुनाव में यहां से RJD से राजबल्लभ यादव की पत्नी विभा देवी चुनाव लड़ी थीं. हार गई थीं. इस बार उनको टिकट नहीं मिला. इसके बाद राजबल्लभ के भाई विनोद यादव निर्दलीय खड़े हो गए हैं. जानकार बता रहे हैं कि विनोद यादव RJD को वोटों का नुकसान पहुंचा सकते हैं. अगर उन्होंने यादव समाज के लोगों का कुछ भी वोट काटा, तो उसका नुकसान सीधे श्रवण कुमार को होगा.

इस सीट पर एक और निर्दलीय उम्मीदवार की चर्चा है. भोजपुरी गायक गुंजन कुमार की. गुंजन कुमार ने यहां से निर्दलीय पर्चा भरा है. गुंजन भूमिहार समाज से हैं और BJP के विवेक ठाकुर भी इसी समाज से हैं. ऐसे में हो सकता है कि गुंजन NDA का कुछ वोट काट पाएं. हालांकि, स्थानीय राजनीति के जानकार पुष्य मित्र मानते हैं कि इसकी बहुत कम संभावना है.

जानकारों की मानें तो इस सीट पर BJP के विवेक ठाकुर का पलड़ा भारी है. इनके अलावा 4 अन्य उम्मीदवार भी हैं. 

रंजीत कुमारबहुजन समाज पार्टी
गनौरी पंडितपीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक)
गौतम कुमार बबलूभागीदारी पार्टी (P)
आनंद कुमार वर्माभारत जन जागरण दल

इस सीट पर कांग्रेस, जनता पार्टी, CPI, भाजपा, राजद, लोक जनशक्ति पार्टी के साथ एक निर्दलीय उम्मीदवार को भी जीत मिल चुकी है. 2014 में गिरिराज सिंह ने भी यहीं से चुनाव जीता था.

2019 के लोकसभा चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) से चंदन सिंह को जीत मिली थी. चंदन सिंह सूरजभान सिंह के भाई हैं. सूरजभान सिंह को रामविलास पासवान का करीबी माना जाता था. सूरजभान मोकामा से विधायक (निर्दलीय) और बलिया से LJP के टिकट पर सांसद रह चुके है. चिराग पासवान और पशुपति पारस के बीच जब विवाद हुआ था, तब सूरजभान सिंह पशुपति पारस के साथ चले गए थे. LJP के टूटने में सूरजभान सिंह की भूमिका मानी जाती है. 

इस बार जब नवादा की सीट BJP के खाते में गई, तो चर्चा चली कि चंदन सिंह BJP से अपनी नजदीकियां बढ़ा रहे हैं. अटकलें चलीं कि अब वो BJP से टिकट ले आएंगे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं.

Jamui से चिराग पासवान के जीजा को टिकट 

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस सीट पर 2014 और 2019 में चिराग पासवान को जीत मिली थी. 2019 में तो चिराग को यहां से 2 लाख से अधिक वोटों से जीत मिली थी. इस बार चिराग ने अपने लिए हाजीपुर सीट को चुना है. जमुई से उन्होंने अपने जीजा अरुण भारती को टिकट दिया है. RJD ने यहां से अर्चना कुमारी रविदास को टिकट दिया है. 

पत्रकार पुष्य मित्र यहां की राजनीतिक लड़ाई के बारे में बताते हैं,

"जमुई में चिराग की स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. लेकिन एक चीज जो उनके फेवर में है, वो ये कि उनके सामने विपक्ष बहुत ज्यादा मजबूत नहीं है. चिराग अरुण भारती के लिए JDU नेता अशोक चौधरी का समर्थन भी ले आए हैं. अशोक चौधरी की बेटी शांभवी चौधरी को चिराग ने अपनी पार्टी से टिकट दिया है. ये इसी समझौते पर हो पाया कि चौधरी जमुई में चिराग के जीजा को सपोर्ट करेंगे. बदले में शांभवी को समस्तीपुर सीट से टिकट मिला."

Jamui candidates arun bharti and archana ravidas
अरूण भारती और अर्चना कुमारी (तस्वीर साभार: ECI)

पुष्य मित्र आगे कहते हैं,

“यहां से राजद उम्मीदवार अर्चना कुमारी रविदास इस चुनाव को बाहरी बनाम स्थानीय की लड़ाई बना रही हैं. वो लोगों से कह रही हैं कि उनके विपक्षी बाहरी हैं और वो स्थानीय. अब देखना होगा कि लोग इस बात को कैसे लेते हैं.”

इसके अलावा 5 अन्य उम्मीदवार भी चुनाव मैदान में हैं.

श्रवण कुमारराष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी
सुभाष पासवाननिर्दलीय
जगदीश प्रसादलोकतांत्रिक सामाजिक न्याय पार्टी
सकलदेव दासबहुजन समाज पार्टी
संतोष कुमार दाससोशलिस्ट यूनिटी सेंटर ऑफ इंडिया (कम्युनिस्ट)

इससे पहले इस सीट पर कांग्रेस, CPIM, नीतीश कुमार की पार्टी JDU और लोजपा को भी जीत मिल चुकी है.

‘राजपूतों के गढ़’ Aurangabad का हाल

औरंगाबाद सीट को ‘बिहार का चित्तौड़गढ़’ या ‘राजपूतों का गढ़’ कहा जाता है. यहां सबसे अधिक संख्या राजपूत समाज के लोगों की है. अब तक यहां सिर्फ राजपूत उम्मीदवारों को ही जीत मिल पाई है. बिहार के पहले उप मुख्यमंत्री अनुग्रह नारायण सिंह के बेटे सत्येंद्र नारायण सिंह ने भी यहीं से चुनाव जीता था. सत्येंद्र नारायण सिंह 1989 में बिहार के मुख्यमंत्री भी रहे.

भाजपा ने यहां से मौजूदा सांसद सुशील कुमार सिंह को टिकट दिया है. सुशील सिंह ने 1998 में यहां से समता पार्टी से चुनाव जीता था. 2009 में उनको जनता दल (यूनाइटेड) से जीत मिली. फिर 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में उनको BJP के टिकट पर जीत मिली.

राजद (RJD) ने यहां से अभय कुमार सिंह को टिकट दिया है, जो कुशवाहा समाज से हैं. अभय कुमार की तुलना में सुशील कुमार सिंह मजबूत उम्मीदवार नज़र आ रहे हैं. 

Abhay Kumar Sinha and Sushil Kumar Singh Aurangabad candidates
अभय कुमार सिंह और सुशील कुमार सिंह (तस्वीर साभार: ECI)

इसके अलावा 7 उम्मीदवार और हैं-

सुनेश कुमार बहुजन समाज पार्टी
शैलेश राहीअखिल हिंद फॉरवर्ड ब्लॉक (क्रांतिकारी)
रामजीत सिंहराष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी
सुरेश प्रसाद वर्मानिर्दलीय
प्रतिभा रानीपीपुल्स पार्टी ऑफ इंडिया (डेमोक्रेटिक)
मोहम्मद वली उल्लाह खाननिर्दलीय
राज बल्लभ सिंहनिर्दलीय
NDA से जीतन राम मांझी को मिली गया की सीट 

2019 में यहां जदयू (JDU) को जीत मिली थी. उसके पहले 2009 और 2014 में भाजपा को जीत मिली थी. इस बार ये सीट जीतन राम मांझी को दी गई है. हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) से मांझी खुद ही चुनाव लड़ रहे हैं. वहीं राजद (RJD) ने बिहार सरकार के पूर्व मंत्री कुमार सर्वजीत को चुनावी मैदान में उतारा है. 

स्थानीय जानकार बता रहे हैं कि लोगों से जो फीडबैक मिल रहे हैं उसके अनुसार, जीतम राम मांझी से लोग थोड़े नाराज लग रहे हैं. उनकी शिकायत है कि वो और उनके बेटे बिहार सरकार में बड़े पदों पर रहें लेकिन उस क्षेत्र के लिए कुछ खास कर नहीं पाए. हालांकि, पुष्य मित्र इसे 60-40 की लड़ाई बताते है. 60 फीसदी मामला जीतन राम मांझी के पक्ष में नजर आ रहा है, तो वहीं 40 फीसदी मामला कुमार सर्वजीत के पक्ष में. यहां महादलित समाज के सबसे ज्यादा वोटर्स हैं. इसलिए भी जीतन राम मांझी के नंबर्स बढ़ सकते हैं. सर्वजीत अगर मेहनत करते हैं, तो मुकाबला टक्कर का हो सकता है.

Jitan Ram Manjhi and Kumar Sarvjit Gaya candidates
जीतन राम मांझी और कुमार सर्वजीत (तस्वीर साभार: ECI)

गया से कई और उम्मीदवार भी मैदान में हैं -

धीरेंद्र प्रसादलोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी
शिव शंकरभारतीय लोक चेतना पार्टी
अमरेश कुमारनिर्दलीय
अशोक कुमार पासवाननिर्दलीय
रंजन कुमारनिर्दलीय
देवेंद्र प्रतापनिर्दलीय
सुरेंद्र मांझीराष्ट्रीय जनसंभावना पार्टी
सुषमा कुमारीबहुजन समाज पार्टी
आयुष कुमारनिर्दलीय
गिरिधर सपेराद नेशनल रोड मैप पार्टी ऑफ इंडिया
रानु कुमार चौधरीनिर्दलीय
अरुण कुमारनिर्दलीय

बिहार में पहले फेज की ये चार सीटें INDIA गठबंधन में राजद (RJD) के पास हैं. NDA में नवादा और औरंगाबाद की सीट भाजपा (BJP) के पास है. वहीं जमुई की सीट चिराग पासवान और गया की सीट जीतन राम मांझी के पास है. वर्तमान परिस्थितियों को देखकर कहा जा रहा है कि पहले चरण के लोकसभा चुनाव में NDA का पलड़ा भारी है.

इन चारों सीटों पर मायावती की पार्टी बसपा ने भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं. लेकिन जमीन पर उन उम्मीदवारों की स्थिति बहुत बेहतर नहीं बताई जा रही है. इन सीटों पर 19 अप्रैल को चुनाव होना है. वोटों की गिनती 4 जून को की जाएगी.

वीडियो: Lok Sabha Election 2024: बिहार के NDA गठबंधन में पांच पार्टियां, किसे कितनी सीटें मिलीं?

Comments
thumbnail

Advertisement

Advertisement