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CAA पर हिमंता बिस्वा सरमा और किरेन रिजिजू के बीच भारी मतभेद! वजह हैरान कर देगी

Assam के CM Himanta Biswa Sarma ने कहा है कि असम में किसी भी शरणार्थी को बसाने के लिए जगह ही नहीं है. जबकि केंद्रीय मंत्री Kiren Rijiju की राय थोड़ी अलग है.

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Kiren Rijiju and Himanta Biswa Sarma
हिमंता बिस्वा सरमा ने किरेन रिजिजू के दावे को खारिज कर दिया है. (फाइल फोटो: इंडिया टुडे/PTI)
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24 अप्रैल 2024 (Updated: 24 अप्रैल 2024, 12:29 IST)
Updated: 24 अप्रैल 2024 12:29 IST
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नागरिकता संशोधन कानून (CAA) पर BJP के दो बड़े नेताओं के बीच विरोधाभास देखने को मिला है. केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू (Kiren Rijiju) ने अरुणाचल प्रदेश में रहने वाले 67000 चकमा और हाजोंग (Chakmas and Hajongs) समुदाय के शरणार्थियों को असम में बसाने का दावा किया था. उन्होंने कहा था कि इस बारे केंद्र सरकार से उनकी बात हो गई है. रिजिजू अरुणाचल पश्चिम लोकसभा क्षेत्र से BJP के उम्मीदवार हैं. असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) ने उनके इस दावे को खारिज कर दिया है.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, बीते दिनों किरेन रिजिजू ने ईटानगर में मीडिया से बात करते हुए कहा था, 

“वे (चकम-हाजोंग) भारत में कहीं भी नागरिक बन सकते हैं लेकिन अरुणाचल प्रदेश में नहीं. CAA अरुणाचल प्रदेश के लिए वरदान बनकर आया है. हमने चकमा-हाजोंगों समुदाय के लोगों के लिए जगहों की पहचान करने के लिए असम सरकार से बात की है. हम भी मदद करेंगे क्योंकि हम भाई हैं. मुझे पता है कि असम पर भी दबाव है लेकिन मैंने मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा से चर्चा की है. और उनके पुनर्वास के लिए असम में किसी भी तरह से कुछ जमीन खोजने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ भी बातचीत की है.”

ये भी पढ़ें: 'चीन के भी 60 जगहों के नाम बदलो...' असम और अरुणाचल के CM ने क्या बोला

असम के CM ने इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि चकमा और हाजोंग शरणार्थियों के समझौते पर किरेन रिजिजू से कोई बातचीत नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि इस बारे में केद्र सरकार से भी उनकी कोई बातचीत नहीं हुई है. सरमा ने आगे कहा कि असम में किसी भी शरणार्थी को बसाने के लिए जगह ही नहीं है. चकमा या हाजोंग समुदाय से भी किसी ने भी उनसे या उनकी सरकार से इस बारे में कोई बात नहीं की है. हिमंता बिस्वा सरमा  ने कहा कि चुनाव के बाद वो किरेन रिजिजू से इस मामले पर बात करेंगे.

चकमा और हाजोंग समुदाय के लोग साल 1964 से 1966 के बीच तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान और मौजूदा बांग्लादेश से पलायन करके अरुणाचल प्रदेश आ गए थे. इस लोकसभा चुनाव में इस मुद्दे की चर्चा हो रही है.

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