कमल नाथ मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री, कैबिनेट में ये नाम हो सकते हैं शामिल
कमल नाथ पहली बार दिल्ली से भोपाल की राजनीति में आए हैं.
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मध्यप्रदेश में कांग्रेस का वनवास खत्म हो गया है. राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने कमल नाथ को मध्यप्रदेश के 18वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ दिला दी है. भोपाल में भेल के जंबूरी मैदान लाल परेड ग्राउंड पर जब कमल नाथ ने शपथ ली तो कांग्रेस अपने पूरे लाव लश्कर के साथ मौजूद रही. और चूंकि कांग्रेस राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में हो रहे शपथ ग्रहण को राष्ट्रीय स्तर पर विपक्ष की एकता का शोकेस बनाना चाहती है, देश भर में अलग-अलग विपक्षी पार्टियों के तकरीबन 50 नेताओं को भी दावत दी गई है.
मंच पर सभी धर्मों से धर्मगुरू बैठाए गए थे. इनमें एक कंप्यूटर बाबा भी थे, जिन्हें शिवराज सिंह चौहान ने मंत्री का दर्जा दे दिया था. उन्होंने अपनी बात तीन माताओं की जय से शुरू की - नर्मदा, गऊ और भारत. आज के कार्यक्रम में सिर्फ मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण हुआ. कैबिनेट का ऐलान 21 को हो सकता है.
ये कैसा नाम है - जंबूरी मैदान?
जंबूरी एक स्लैंग है. माने बोलचाल की भाषा का शब्द. अमरीका से चलकर दुनिया भर में पहुंचा. जंबूरी का मतलब होता है ज़ोरदार वाली बड़ी सी पार्टी. जंबूरी का दूसरा और ज़्यादा प्रचलित मतलब होता है स्काउट और गाइड की रैली. दुनियाभर में स्काउट और गाइड की रैली को जंबूरी ही कहा जाता है. 1990 में हिंदुस्तान की राष्ट्रीय जंबूरी हुई थी भोपाल में भेल कैंपस के पास वाले मैदान पर. इसके बाद जगह का नाम जंबूरी मैदान पड़ गया. अखबार 'पत्रिका' के मुताबिक मैदान लंबे समय से बेकार बड़ा था. फिर भाजपा ने यहां राजनैतिक आयोजन करने शुरू किए. 2008 और 2013 में शिवराज सिंह चौहान का शपथ ग्रहण यहीं हुआ था.
खूब ज़ोर लगाया गया. लेकिन मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम नहीं रखा गया. माने बनेगा तो सिर्फ सीएम. और वो भी कमलनाथ और सिंधिया में से कोई एक. (फोटोःपीटीआई)
कैसे बनी सरकार?
मध्यप्रदेश विधानसभा में 230 सीटें हैं. चुनाव में कांग्रेस लाई 114 सीटें. माने बहुमत के आंकड़े से 2 कम. लेकिन पार्टी ने 4 निर्दलीयों को पाले में मिला लिया. फिर दो सीटें बसपा से और एक सीट समाजवादी पार्टी से मिल गई. इस तरह टोटल हो गया 121. तो कांग्रेस मध्यप्रदेश में गठबंधन सरकार चलाने वाली है.
मुख्यमंत्री बन गए, विधायक कब बनेंगे?
कमलनाथ ने कह दिया है कि वो छिंदवाड़ा की किसी सीट से लड़ेंगे. अब छिंदवाड़ा में सात विधानसभा सीटें हैं - छिंदवाड़ा, सौंसर, चौरई, पांढुर्णा, अमरवाड़ा, जुन्नारदेव और परासिया. इन सभी पर कांग्रेस जीती है. लेकिन पहली तीन को छोड़कर सारी आरक्षित हैं. तो कमलनाथ के लिए बचते हैं छिंदवाड़ा, सौंसर और चौरई. कमलनाथ जिस बूथ पर वोटर हैं, वो छिंदवाड़ा शहर की सीमा पर बसे गांव शिकारपुर में पड़ता है. शिकारपुर की विधानसभा लगती है सौंसर. इस लॉजिक से वो सौंसर से पर्चा भर सकते हैं. जहां कांग्रेस के विजय चौरे ने भाजपा के तीन बार के विधायक और पूर्व राज्यमंत्री नानाभाऊ मोहोड को हराया है. लेकिन फिलहाल कुछ तय नहीं है.
कहां बैठेंगे कमल नाथ?
मध्यप्रदेश सरकार के सचिवालय का नाम वल्लभ भवन है. यहां जब जगह कम पड़ने लगी तो जनवरी 2015 में शिवराज सरकार ने वल्लभ भवन की एनेक्सी का निर्माण शुरू करवाया. ये शिवराज के ड्रीम प्रोजेक्ट में से एक था. शिवराज सिंह चौहान ने खूब कोशिश की कि एनेक्सी का उद्धाटन प्रधानमंत्री के हाथों हो जाए. 25 सितंबर, 2018 की तारीख भी तय हुई. लेकिन कार्यक्रम टल गया. कमलनाथ एनेक्सी में बैठने वाले पहले मुख्यमंत्री होंगे. एनेक्सी की पांचवीं मंज़िल पर मुख्यमंत्री का दफ्तर है.
ऐसे पोस्टर लगाकर सिंधिया समर्थकों ने भी उनके लिए माहौल बनाया था. लेकिन राजस्थान की तरह मध्यप्रदेश में डिप्टी सीएम नहीं बनाया गया है.
अब सिंधिया का क्या होगा ?
ये फिलहाल तय नहीं है. मध्यप्रदेश में राजस्थान की तरह डिप्टी सीएम नहीं होने वाला है. तो सिंधिया के समर्थकों ने उनके दिल्ली वाले बंगले के बाहर प्रदर्शन किया, कि आप पार्टी अध्यक्ष हो जाइए. सिंधिया ने इसपर कुछ नहीं कहा. लेकिन वो पार्टी के आम कार्यकर्ता बनकर नहीं रह जाने वाले हैं, ये साफ है.
कौन बनेगा मंत्री?
कमल नाथ के कैबिनेट का ऐलना बाद में होगा. लेकिन मध्यप्रदेश से छपने वाले समाचारपत्रों ने तीन दर्जन से ज़्यादा नामों की लिस्ट निकाली है, जो विधायक से मंत्री बन सकते हैं. दो और नामों के भविष्य पर फैसला होगा -
अरुण यादव - अरुण यादव कमल नाथ से पहले प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष थे. उन्होंने शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ चुनाव लड़ा था. ये संदेश देने कि पार्टी इस बार शिवराज को बुधनी में भी वॉकओवर नहीं देने वाली. लेकिन वो लगभग 60 हज़ार की मार्जिन से हार गए. अरुण यादव को सरकार से बाहर नहीं रखा जाएगा. एक काम ये हो सकता है कि अरुण के भाई सचिन यादव, जो कसरावद से 6000 की लीड से जीते हैं, मत्रिमंडल में शामिल कर लिए जाएं.
अरुण यादव के पिता सुभाष यादव कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे हैं.
अजय सिंह - अजय सिंह (राहुल भैया) पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन सिंह के बेटे हैं. वो नेता प्रतिपक्ष भी थे. चुरहट से भाजपा के शारदेंदु तिवारी के हाथों छह हज़ार की मार्जिन से उनकी हार ने सभी को चौंकाया था. पार्टी अजय के साथ कैसे न्याय करेगी, ये फिलहाल तय नहीं है. अरुण और अजय को क्या ज़िम्मेदारी दी जाए और किस तरह, फिलहाल इसपर विचार चल रहा है.
मध्यप्रदेश से छपने वाले अखबारों के मुताबिक 38 मंत्री बनाए जा सकते हैं, इनमें से बड़े नाम ये रहे -
> सज्जन सिंह वर्मा, बाला बच्चन, तुलसी सिलावट, जीतू पटवारी, सचिन यादव, कमलेश्वर पटेल, लक्ष्मण सिंह, जयवर्द्धन सिंह, दीपक सक्सेना, हिना कावरे.
अजय सिंह चुरहट से हार जाएंगे, ऐसा भाजपा ने भी शायद ही सोचा हो. (फोटोःयूट्यूब स्क्रीनग्रैब)
दो बाग़ियों को भी मंत्री बनाया जा सकता है - > बुरहानपुर से अर्चना चिटनिस को हराने वाले सुरेंद्र सिंह उर्फ शेरा भैया. > वारासिवनी से शिवराज सिंह चौहान के साले संजय मसानी को हराने वाले प्रदीप जायसवाल.
विधानसभा अध्यक्ष कौन -
> चार नामों की चर्चा है - डॉ. गोविंद सिंह, केपी सिंह, डॉ. विजय लक्ष्मी साधौ और एनपी प्रजापति.
एक नाम जो इस पूरी कवायद के दौरान बड़ा आहिस्ता लिया गया - पीछे चल रहे दिग्विजय सिंह. (फोटोःपीटीआई)
वीडियोः क्या गांधी परिवार से करीबी की वजह से मध्य प्रदेश के सीएम बने कमलनाथ?