हरियाणा में जो हुआ सबने देखा, J&K के नतीजे तो खुद कांग्रेस भी देखना नहीं चाहेगी
जम्मू रीजन में कांग्रेस ने 29 सीटों पर चुनाव लड़ा. मगर जीत सिर्फ एक सीट पर मिली.
जम्मू-कश्मीर में वैसे तो नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन ने बहुमत का आंकड़ा हासिल कर लिया है, पर कांग्रेस अपनी सीटें देखकर बिल्कुल भी खुश होने की स्थिति में नहीं लगती. इस केंद्रशासित प्रदेश में उमर अब्दुल्ला की पार्टी नेशनल कॉन्फ्रेंस ने 42 सीटों पर जीत दर्ज की है. लेकिन गठबंधन में उसकी सहयोगी कांग्रेस अपना सबसे खराब प्रदर्शन करते हुए सिर्फ 6 सीटें हासिल कर पाई है.
इस गठबंधन में दोनों पार्टियों ने अलग-अलग हिस्सों में सीटों का बंटवारा किया था. कांग्रेस ने जम्मू में दमखम के साथ चुनाव लड़ा, जबकि नेशनल कॉन्फ्रेंस ने घाटी पर फोकस किया. कांग्रेस ने जम्मू रीजन में 29 सीटों पर अपने कैंडिडेट उतारे थे. लेकिन उसके खाते में आई सिर्फ एक सीट. जम्मू क्षेत्र में कांग्रेस केवल राजौरी सीट ही जीत पाई है, जबकि 2014 में उसे कुल पांच सीटें मिली थीं. कांग्रेस के इफ्तिखार अहमद ने 28,923 वोट हासिल कर भाजपा के विबोध गुप्ता को 1,404 वोटों के अंतर से हराया. इसके अलावा कश्मीर में कांग्रेस 5 और सीटें जीतने में कामयाब हुई है. कांग्रेस ने घाटी में डुरू, अनंतनाग, सेंट्रल शाल्टेंग, बांदीपोरा, वागुरा-क्रेरी सीटों पर जीत दर्ज की है. वोट प्रतिशत की बात करें तो कांग्रेस को कुल 12 प्रतिशत वोट मिले हैं.
इस चुनाव में कांग्रेस से भी खराब अगर किसी पार्टी ने प्रदर्शन किया है तो वो महबूबा मुफ्ती की PDP है. पिछले चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी रही PDP इस बार सिर्फ 3 सीटों पर सिमट गई है. 2014 में PDP को 28 सीटों पर जीत मिली थी. तब उसने बीजेपी ने साथ मिलकर सरकार बनाई थी और मुफ्ती मोहम्मद सईद सीएम बने थे. उनकी मौत के बाद महबूबा मुफ्ती मुख्यमंत्री बनी थीं.
अगस्त 2019 में अनुच्छेद 370 के निष्प्रभावी होने के बाद जम्मू-कश्मीर में ये पहला चुनाव था. सरकार बनाने के मंसूबे पाले बैठी बीजेपी बहुमत के आंकड़े के आसपास भी नहीं पहुंची. हालांकि पार्टी ने अब तक का अपना सबसे अच्छा प्रदर्शन दर्ज करा दिया है. जम्मू-कश्मीर में 29 सीटों पर जीत दर्ज करने के साथ ही विधानसभा में बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
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