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हरियाणा: CM पद को लेकर चर्चा गरम, भूपिंदर हुड्डा कुछ ऐसा बोले जो सैलजा को अच्छा नहीं लगेगा!

7 अक्टूबर को दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए हुड्डा ने दोहराया कि वे रिटायर नहीं हुए हैं. पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वे हैट्रिक लगाएंगे या नौजवानों को मौका देंगे? इस पर उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मैं क्या लगता हूं आपको?"

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हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर हुड्डा और लोकसभा सांसद कुमारी सैलजा. (फोटो- पीटीआई)
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साकेत आनंद
7 अक्तूबर 2024 (Updated: 7 अक्तूबर 2024, 18:05 IST)
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8 अक्टूबर को हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे (Haryana election result) आने वाले हैं. एग्जिट पोल्स की माने तो राज्य में कांग्रेस बहुमत के साथ सरकार बनाती दिख रही है. पार्टी ने चुनाव से पहले राज्य में मुख्यमंत्री के चेहरे का एलान नहीं किया. इसलिए सरकार बनने की स्थिति में कांग्रेस के लिए सबसे बड़ा सिरदर्द मुख्यमंत्री को चुनना होगा. पूरे चुनाव के दौरान पार्टी भी इसी सवाल का सामना करती रही. पार्टी के भीतर गुटबाजी और बड़े नेताओं के दावों के कारण ये सवाल महत्वपूर्ण हो चुका है.

राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा (Bhupinder Singh Hooda) को सीएम पद का सबसे बड़ा दावेदार माना जा रहा है. हुड्डा खुद इंटरव्यू में कई बार दोहरा चुके हैं कि ना तो वे टायर्ड (थके) हुए हैं और ना रिटायर्ड हुए हैं. लेकिन दूसरी तरफ, कांग्रेस की सीनियर नेता चुनाव से पहले और चुनाव के दौरान कई बार खुलकर इच्छा जता चुकी हैं, कि वह मुख्यमंत्री बनना चाहती हैं. इसके अलावा रोहतक से सांसद और भूपिंदर सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा, और पार्टी के सीनियर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला के नाम पर भी चर्चा चल रही है.

चुनाव परिणाम से ठीक पहले 6 अक्टूबर को भूपिंदर सिंह हुड्डा दिल्ली पहुंच गए. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हुड्डा रिजल्ट से पहले पार्टी आलाकमान से मुलाकात करने पहुंचे हैं. ये मुलाकात हुई या नहीं, अभी इसकी पुष्टि नहीं हुई है. हालांकि, 6 अक्टूबर की रात उन्होंने हरियाणा कांग्रेस के प्रभारी दीपक बाबरिया से मुलाकात की.

7 अक्टूबर को दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए हुड्डा ने दोहराया कि वे रिटायर नहीं हुए हैं. पत्रकारों ने उनसे पूछा कि क्या वे हैट्रिक लगाएंगे या नौजवानों को मौका देंगे? इस पर उन्होंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, "मैं क्या लगता हूं आपको?"

हुड्डा के जवाब से साफ संकेत है कि वे पीछे नहीं हटने वाले हैं. हालांकि, इसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने ये भी कहा कि मुख्यमंत्री चुनने को लेकर विधायकों की राय ली जाएगी और पार्टी आलाकमान अंतिम फैसला लेगा.

77 साल के हुड्डा साल 2005 से 2014 तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रह चुके हैं. हुड्डा कांग्रेस के उन बचे खुचे क्षत्रपों में से हैं, जिनके पास अपना व्यापक जनाधार है. कई पत्रकार बताते हैं कि लंबे समय तक सत्ता से बाहर होने के बावजूद भी उनकी पकड़ कमजोर नहीं हुई है. इसलिए, कांग्रेस नेतृत्व चाहकर भी हुड्डा के खिलाफ नहीं हो पाता. टिकट बंटवारे में भी हुड्डा की बात ही मानी गई. 

हरियाणा कांग्रेस के अध्यक्ष उदयभान भी दिल्ली में मौजूद हैं. खुद के मुख्यमंत्री पद के दावेदार माने जाने को उन्होंने सीधे-सीधे खारिज नहीं किया और शीर्ष नेतृत्व पर फैसले को टाल दिया. समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए उदयभान ने कहा कि कांग्रेस विधायक दल और नेतृत्व तय करेगा, और जनता की आकांक्षाओं के अनुरूप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा. उन्होंने बताया कि पार्टी जो भी निर्देश देगी, चाहे वो संगठन में काम करना हो या सरकार में, वे वैसा ही करेंगे.

क्या सैलजा पीछे हटेंगी?

इधर, कुमारी सैलजा भी पीछे हटने को तैयार नहीं हैं. उन्होंने एक बार फिर कहा कि वह सीएम पद की रेस हैं लेकिन वह कोई दावा नहीं करेंगी. NDTV से बात करते हुए सैलजा ने कहा, 

"सभी राज्य में गुट होते हैं. यह राजनीति का हिस्सा है. लेकिन हरियाणा और मेरी पार्टी पर ही उंगली क्यों उठ रही है? जमीन पर हमने मिलकर कड़ी मेहनत की है."

सैलजा अभी सिरसा से लोकसभा सांसद हैं. हालांकि, भूपिंदर हुड्डा की तरह पूरे राज्य में उनका कोई व्यापक जनाधार नहीं है. क्योंकि लंबे समय तक वो केंद्र की राजनीति में रहीं. आज तक वो विधानसभा चुनाव भी नहीं लड़ीं हैं.

मुख्यमंत्री बनने की इच्छा जाहिर करने के बावजूद उन्होंने विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा. या नहीं लड़ पाईं. जब गुटबाजी और बयानबाजी सतह पर सामने आ गई तो सैलजा आलाकमान के फैसले की बात करने लगीं.

सीट बंटवारे और हुड्डा कैंप से नाराज चल रहीं सैलजा करीब 15 दिन चुनाव प्रचार से दूर भी रहीं. 12 सितंबर से 25 सितंबर तक. कैंपेन से दूर हटने के बाद 22 सितंबर को सैलजा ने दिल्ली में मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी. आश्वासन मिलने के बाद वो दोबारा चुनाव प्रचार में उतरी थीं.

ये भी पढ़ें- हरियाणा में CM फेस के लिए हुड्डा और सैनी को मिल रही शैलजा से टक्कर, एग्जिट पोल में कौन आगे?

चुनाव प्रचार के आखिरी दौर में राहुल गांधी मैदान में उतरे. 30 सिंतबर को अंबाला जिले के नारायणगढ़ में राहुल गांधी ने स्टेज पर भूपिंदर हुड्डा और सैलजा का हाथ पकड़वा दिया. वोटिंग से ठीक पहले इसे "पार्टी में एकता" के मैसेज के तौर पर प्रचारित किया गया. लेकिन प्रदेश कांग्रेस में वाकई एकता है, ये विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद ही सबके सामने आएगा.

सैलजा के अलावा सीनियर नेता रणदीप सिंह सुरजेवाला और दीपेंद्र हुड्डा भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हैं. हालांकि, पत्रकार बताते हैं कि चुनाव नतीजों में मिलने वाली सीटों के हिसाब से ही कांग्रेस फैसले लेगी.

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